द न्यूज 15
नई दिल्ली। महापुरुषों के नाम पर राजनीति करने का प्रचलन बहुत पुराना है पर आज की तारीख में राजनीतिक दल जमीनी मुद्दों पर काम करने के बजाय महापुरुषों के नाम को भुना रहे हैं। डॉ. भीम राव अंबेडकर एक ऐसा नाम है जिन्हें हर पार्टी भुनाना चाहती है। बसपा तो भीम राव अंबेडकर के नाम पर राजनीति कर ही थी। आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली और पंजाब के सरकारी दफ्तरों में भगत सिंह के साथ ही डा. भीम राव अंबेडकर की तस्वीर लगाने का ऐलान कर दिया। अब सवर्णांे की पार्टी मानी जाने वाली भाजपा भी डा. भीम राव अंबेडकर के नाम पर दलित मतदाताओं को रिझाने में लग गई है। भाजपा ने अधिसूचना जारी कर अंबेडकर की जयंती १४ अप्रैल को पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश देने का ऐलान किया है।
दरअसल 14 अप्रैल को संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती है। केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 14 अप्रैल को पूरे देश में अवकाश की घोषणा कर दी है। भाजपा यह मानकर चल रही है कि बसपा से कटकर दलित उसकी झोली में आया है। अब भाजपा दलित समुदाय को साथ लेकर ‘मिशन 2024’ पर काम करना चाहती है। भाजपा का कहना है कि केंद्र सरकार की कई योजनाओं का लाभ सबसे ज्यादा दलित वर्ग को मिला है। आयुष्मान कार्ड से इलाज हो या फिर आवास और शौचालय इस वर्ग ने इसका भरपूर लाभ उठाया है। दरअसल विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा ने केंद्र और राज्य की योजनाओं से संबंधित ‘लाभार्थी संपर्क अभियान’ चलाया था। इस अभियान में दलित समुदाय से लोगों ने बड़ी दिलचस्पी ली थी।
14 फरवरी को बीजेपी उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। दरअसल पार्टी अंबेडकर जयंती के जरिए ‘मिशन 2024’ पर चलने की रणनीति बना रही है। यूपी में कार्यक्रमों की जिम्मेदारी भाजपा के दलित मोर्चा के अध्यक्ष रामचंद्र कन्नौजिया को सौंपी गई है।