ऑनलाइन बर्बादी और मौत का खेल

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राजेश बैरागी

ऑनलाइन जरूरी और गैरजरूरी सामान बेच कर सकल घरेलू व्यापार का एक बड़ा हिस्सा कब्जाने के बाद अब क्या बेचा जा रहा है? एक पैंतीस वर्षीय युवक ने हारते हारते आज अपनी जिंदगी को हरा दिया। उसने रेल से कट कर अपनी जान दे दी।वह ऑनलाइन गेम खेलता था।अजय देवगन टीवी पर आकर जंगली रमी खेलने के लिए प्रोत्साहित करता है तो उससे यह अवश्य पूछा जाना चाहिए कि क्या वह स्वयं भी इसे खेलता है या केवल परोसता ही है।उस युवक ने पिछले कुछ समय में ही अपना घर और पुश्तैनी जमीन बेच दी थी।

ऑनलाइन गेम खिलाने वाले इससे संतुष्ट नहीं थे। सबकुछ बर्बाद होने के बावजूद चस्का लगा रहा। अभी यह जानना शेष है कि उसने यार दोस्तों और रिश्तेदारों से कितना कर्ज ले रखा था। हालांकि कर्ज देने वालों को कुछ हाथ नहीं लगेगा। उसने कुछ छोड़ा नहीं है। पत्नी और दो बच्चे सड़क पर हैं। ऑनलाइन गेम ने उन्हें कटोरा पकड़ा दिया है। क्या ये ऑनलाइन गेम सरकार की जानकारी में नहीं हैं? तो फिर खेल के लिए पहले बर्बाद होने और फिर जान देने वालों से ही सरकार कहां वाकिफ होगी। ऐसी सरकार होने न होने से क्या अंतर पड़ता है?(साभार:नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)

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