क्या गंगा में नहाने से सचमुच पाप कटते हैं?

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 ऊषा शुक्ला

क्या गंगा जल में नहाने से या गंगा नदी में डुबकी लगाने से पाप धुल जाते हैं । हिन्दू धर्म में इसे न केवल एक नदी के रूप में देखा जाता है, बल्कि एक पवित्र और दिव्य तत्व के रूप में पूजा जाता है। मेरे विचार में गंगा में डुबकी लगाने से पूर्व और पश्चात आपने जितने भी तथाकथित पाप-पुण्य कर्म किये हैं और करेंगे उनके फलों को देवताओं द्वारा नियत प्रणाली के अनुसार आपको भोगना ही होगा| गंगा में स्नान करना यदि देवताओं की नज़र में पुण्य कर्म है तो उसके तथाकथित अच्छे फल आपको अलग से प्राप्त होंगे|।गंगा के बारे में कहा जाता है कि इसके जल में स्नान करने से मनुष्य के पाप नष्ट हो जाते हैं, और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मैं तो नहीं मानती। अगर ऐसा सच होता तो कोई भी व्यक्ति पाप करने से कभी डरता ही नहीं । हर व्यक्ति पहले पाप करता फिर जाकर गंगा नदी में डुबकी लगा देता जिसे कहते हैं गंगा स्नान कर लेता और पुणे पा जाता । भगवान पापी व्यक्ति को दंडित ज़रूर करते हैं । हर किसी को अपने किए हुए कर्मों की सजा इसी जनम इसी धरती पर भुगतनी पड़ती है ।आख़िर बेईमानी से अपने ही भाई की संपत्ति को हड़प कर किसी व्यक्ति को परमात्मा के हार का डर क्यों नहीं लगता। देखा गया है कि चंद रुपयों की ख़ातिर कुछ लोग किसी भी तरह का पाप करने को इतने अग्रसर हो जाते हैं कि भूल जाते हैं कि तुम्हारे पाप से बड़ा भगवान है। एक लायक बेटे को दुनिया में झूठा बदनाम करने की पता नहीं क्यों एक नालायक बेटे को ज़रा भी ईश्वर के प्रकोप का डर नहीं लगा। अक्सर देखा गया है कि जो नालायक संतान अपने माता पिता की संपत्ति हड़पने के लिए अपने माता पिता को परेशान करती है और मनगढ़ंत कहानियां बनाकर अपने ही सगे भाई को सारी दुनिया के सामने झूट बदनाम करती है। बड़े शर्म की बात है के हर व्यक्ति जानता है कि यह धन दौलत हमारे साथ नहीं जाएगी हमारे साथ तो सिर्फ़ हमारे कर्म जाएंगे। हमने सुना है लोग कहते हैं हमें ज़रूरत है तो हम बेईमानी कर रहे हैं पर वो क्यों भूल जाते हैं कि अगर धरती पर ईश्वर ने उन्हें ज़हर दिया है तो उन्हें जितने की ज़रूरत होगी ईश्वर उन्हें उससे ज़्यादा देगा। आप व्यर्थ ही बेइमानी करके अपने जीवन में पाप बढ़ा रहे हैं। कलियुग असीम सीमा पर है। और आश्चर्य वाली बात है कि जो जितने अधिक पाप करता है वह उतनी ज़्यादा पूजा करता हैं । अपने ही शक्तिशाली निराकार भगवान को बेवक़ूफ़ समझने का काम कर रही हैं आज के नासमझ कुछ लोग। एक पिता अपने बच्चों को जन्म देता है पर उन्हें ढंग से पढ़ता लिखता नहीं है और न ही उन्हें नौकरी करने के लिए प्रोत्साहित करता है और जब वो आदमी बूढ़ा होते हैं तो उसके ही बेरोज़गार बच्चे उसको मारते पीटते हैं और उसे मौत के घाट उतार देते हैं। और उसके नालायक बच्चे उसे भूखा प्यासा रखते हैं एक एक रोटी के लिए तड़पता देते हैं और फिर सारा पैसा हड़प लेते हैं फिर कोई कहता या पापा तब जाकर तूने करने की सोचते हैं ।इसलिए गंगा में स्नान करने से सभी पाप खत्म हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्त होती है. शास्त्रों के अनुसार गंगा में स्नान करने से हर प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है. गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष लाभ मिलने की मान्यता है.कर्म करना तो हमारे वश में है, परन्तु उनके परिणाम या कर्मों के फल देवताओं (परमेश्वर की अनगिनत शक्तियों) द्वारा तय किये जाते हैं| जहाँ तक मैंने पढ़ा और समझा है हर कर्म के एक ही साथ एक से अधिक परिणाम या फल होते हैं| कुछ साथ के साथ भोग लिए जाते हैं और कुछ बाद में भोगने पड़ते हैं| हिन्दू मान्यताओं के अनुसार तो आने वाले जन्मों (योनियों) में भी भोगने पड़ते हैं|किसी भी कर्म के फल को भोगने का कोई शार्टकट नहीं है और न ही किसी तथाकथित बुरे कर्म के फल को अन्य तथाकथित अच्छे कर्म फल से निरस्त किया जा सकता है| हर कर्म के फलों को अलग अलग भोगना पड़ता है| जैसे, आधुनिक न्याय प्रणाली में भी कोई व्यक्ति उसके द्वारा की गयी चोरी के अपराध की सज़ा से किसी अन्य को दान देकर बच नहीं सकता|इसीलिये कहा गया है—अहिंसा परमो धर्मः| अहिंसा का तात्पर्य है—किसी को भी अपने शारीरिक, वाचिक या मानसिक कर्मों द्वारा कष्ट न पंहुचाना| कर्म करने से तो कोई बच नहीं सकता, परन्तु हिंसा से रिक्त होना चाहिए हर कर्म, पापों से बचने के लिए|क्या सिर्फ गंगा में नहाने से पाप कट जाते हैं नहीं पाप किसी भी नदी में नहाने से नहीं कटता है गंगा हिंदू के लिए पवित्र है गंगा को सम्मान देने के लिए अक्सर हम बोलते हैं गंगा मां हम हिंदू लोग हर एक का आभार प्रकट करते हैं अभी कुंभ मेला चल रहा है हर नदियों में स्नान लोग कर रहे हैं इस भक्ति भाव से जो प्रयागराज में कर रहे हैं जो प्रयागराज में नहीं जा पा रहे हैं घर पर भी स्नान करते हैं तो ऐसा ही विचार करते हैं गंगा तो 2000 3 000 किलोमीटर लंबी बहती है इस समय स्नान मुख्य रूप से प्रयागराज में हो रहा है जबकि हर घाटों पर भी भक्ति भाव है नदियों में हम गंगा को सबसे अच्छा मानते हैं प्रश्न करता सिर्फ मेरी इतनी बात समझे गंगा में नहाने से किसी भी नदी में नहाने से कुएं पर नहाने से कोई पाप नहीं धुलना है ना कोई भी पाप कटता है !

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