लिस्ट में नाम होकर भी नहीं ली मंत्रिपद की शपथ, आखिर क्यों नाराज हैं अनिल विज?

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हरियाणा बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल विज अपनी ही पार्टी से नाराज चल रहे हैं। हरियाणा की नई सरकार की गठन प्रक्रिया के दौरान उन्होंने जिस प्रकार नाराजगी व्यक्त की है उसकी चर्चा पूरे प्रदेश में हैं। विज ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था और वो वहां से निकल कर सीधे अंबाला पहुंच गए थे। अब अगले कदम को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। उनका अगला कदम क्या होगा, इस पर उनके समर्थकों की ही नहीं, बल्कि विरोधियों की भी निगाहें टिकी हुई है। अनिल विज की यह नाराजगी इसिलए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि आगामी लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और बीजेपी नेताओं को भय है कि इन चुनावों में विज उनके लिए कोई बड़ी मुसीबत खड़ी न कर दें। अपने बयानों के लिए अकसर चर्चा में रहने वाले विज ने अपने राजनीतिक सफर के दौरान निर्दलीय विधायक के तौर पर कई सरकारें देखी हैं, लेकिन वो किसी भी सरकार में शामिल होने से परहेज करते रहे। उन्होंने हमेशा कहा है कि उनकी इच्छा सत्ता नहीं अंबाला छावनी का विकास है। 2014 में जब हरियाणा में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव जीता था तो कयास लगाए जा रहे थे अनिल विज को सीएम बनाया जा सकता है। लेकिन ऐसा नहीं हो सका। विज को स्वास्थ्य मंत्रालय और खेल मंत्री का पद मिला था। 2019 में उन्हें हरियाणा का गृह मंत्री बनाया गया। इसके साथ ही स्वास्थ्य मंत्रालय भी उनके पास था। इस दौरान वो अपने दबंग फैसलों के लिए चर्चा में रहे। उनके समर्थक हमेशा उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग भी करते रहते हैं। लेकिन उनकी बेबाकी की वजह से बीजेपी उन्हें सीएम पद देने से बचती रही।
मंगलवार को जब मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दिया तो अनिल विज के समर्थकों को आस थी कि उन्हें सीएम बनाया जा सकता है। लेकिन एक बार फिर से ऐसा नहीं हुआ। जैसे ही नायब सैनी के नाम का ऐलान हुआ, विज बैठक से निकल गए। उन्होंने सरकारी गाड़ी वहीं छोड़ी और प्राइवेट गाड़ी में सवार होकर अंबाला पहुंचे। जब से विज ने बैठक का बहिष्कार किया है, उसी समय से उनके कदम को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन अनिल विज ने कह दिया है कि वो बुधवार यानि आज होने वाले विधानसभा सत्र में हिस्सा लेंगे।

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