देवबंद के मौलवियों ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने का किया विरोध

0
237
शादी की उम्र बढ़ाने का किया विरोध
Spread the love

मुजफ्फरनगर (यूपी)| प्रसिद्ध इस्लामिक मदरसा दारुल-उलूम देवबंद के मौलवियों ने लड़कियों की शादी की उम्र 18 से 21 साल करने के केंद्र के फैसले का विरोध किया है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खापों ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है और घोषणा की है कि वे इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक महा पंचायत बुलाएंगे।

देवबंद के मौलवियों ने कहा है कि ऐसा लगता है कि फैसला ‘जल्दबाजी में लिया गया है और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।’

जमीयत दावत उल मुस्लिमीन के संरक्षक इशाक गोरा ने कहा कि अगर केंद्र सरकार इसे कानून बनाना चाहती है, तो उन्हें सभी धर्मो के धर्मगुरुओं से सलाह लेनी चाहिए थी।

मौलवी ने आगे कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां लोग सरकार से ज्यादा धार्मिक प्रमुखों का पालन करते हैं।

उन्होंने कहा, “हमारी सरकार को कोई भी कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने के बाद सरकार को इसे लागू करने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।”

देवबंद के एक अन्य मौलवी मुफ्ती असद कासमी ने कहा, “वे (सरकार) किसी की नहीं सुनते। अगर वे इसे कानून बनाना चाहते हैं, तो वे ऐसा करेंगे। लेकिन मैं यह बताना चाहूंगा कि अगर एक लड़का और एक लड़की ने सही समय पर शादी नहीं की, तो जोखिम है कि वे पाप कर सकते हैं। इसलिए, उनकी शादी कम उम्र में कर देनी चाहिए।”

कई खापों ने भी केंद्र के फैसले का विरोध करते हुए कहा है कि इससे महिलाओं के खिलाफ अपराध में वृद्धि होगी। खापों ने कहा कि निर्णय लोगों के निजी जीवन में हस्तक्षेप के बराबर है।

बीकेयू नेता और बलियां खाप के प्रमुख नरेश टिकैत ने कहा, “माता-पिता को यह तय करने का एकमात्र अधिकार होना चाहिए कि उनकी बेटियों की शादी कब की जाए।”

थंबा खाप नेता चौधरी बृजपाल ने कहा, “इस कदम से समाज में अपराध बढ़ेगा। लड़कियों की शादी 16 साल की उम्र में कर देनी चाहिए।”

केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का फैसला लिया है। पुरुषों के लिए शादी की कानूनी उम्र 21 साल है। इस फैसले के साथ सरकार दोनों की शादी की उम्र को बराबर कर देगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here