रविवार को होगी कांग्रेस कार्य समिति की बैठक, हार पर होगी चर्चा, स्वामी प्रसाद मौर्य ने खाली किया सरकारी घर 

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द न्यूज 15 
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश आबादी के हिसाब से देश का सबसे बड़ा राज्य है। राजनीतिक दृष्टि से भी यूपी काफी अहम है। कहा जाता है कि जिस पार्टी ने यूपी जीत ली वह दिल्ली भी जीतता है। इस राज्य ने कई प्रधानमंत्री दिये हैं। मौजूदा पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी यूपी के वाराणसी से ही लोकसभा सदस्य हैं।
पांच राज्यों में चुनावी हार के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार शाम चार बजे होगी। इसके साथ ही यूपी में हार के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है। ममता बनर्जी के कांग्रेस विरोधी बयानों पर पलटवार करते हुए कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि पागल व्यक्ति को जवाब देना सही नहीं है। ममता भाजपा को खुश करने के लिए ऐसा करती रहती हैं। वहीं गोवा में सीएम प्रमोद सावंत ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। उनका कार्यकाल समाप्त हो गया था। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम पर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) हिंदुत्व और ध्रुवीकरण के नाम पर चतुराई से चुनाव जीत गई। पूरे देश में हालत गंभीर हैं और यूपी में कोरोना का प्रबंधन कैसे हुआ…ये सबको मालूम है।
पांच में से चार चुनावी सूबों में बीजेपी की जीत के बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गुजरात दौरे का दूसरा दिन है। इस बीच, पंजाब में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए भावी सीएम और आप नेता भगवंत मान राज्यपाल से मिलने पहुंचे। इस बीच, सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी ने बताया कि यूपी के कार्यवाहक सीएम योगी आदित्यनाथ कल दिल्ली आएंगे। वह पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी चीफ जेपी नड्डा के बुलावे पर आ रहे हैं, जबकि होली के बाद यूपी में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने मतों में वृद्धि का कीर्तिमान स्थापित करने के साथ ही करीब 37 वर्षों बाद लगातार दोबारा पूर्ण बहुमत हासिल करने और लाभार्थी योजनाओं से जातियों की गोलबंदी का तोड़ने का संदेश दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव में जातीय गोलबंदी तोड़ने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व के साथ ही डबल इंजन सरकार की लाभार्थी योजनाओं का प्रभाव रहा है।
उत्तर प्रदेश की राजनीतिक नब्ज समझने वाले शिक्षाविद डॉक्टर प्रभाकर मिश्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘यह सही है कि इस चुनाव में मतदाताओं को जातियों में बांटने की कोशिश हुई, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व, किसान सम्मान निधि, गरीबों को राशन और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली राज्‍य सरकार की कानून-व्यवस्था ने क्षेत्रवाद, जातिवाद और अन्‍य समीकरणों को ध्वस्त कर दिया है।’’
उत्तर प्रदेश में 2017 में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार में करीब पांच वर्ष तक मंत्री रहे स्‍वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी ने ऐन चुनाव के मौके पर भाजपा पर पिछड़ों दलितों की उपेक्षा का आरोप लगाकर मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल होकर अखिलेश यादव के नेतृत्व में पिछड़ों को एकजुट करने की मुहिम शुरू की। हालांकि, मौर्य और सैनी खुद चुनाव हार गये।
वैसे, यूपी और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद भाजपा-विरोधी गठबंधन के लिए क्षेत्रीय दलों से संपर्क साधते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस को साथ रखने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि अब उसमें वह बात नहीं रही।
बनर्जी के तीखे बयान पर तत्काल पलटवार करते हुए कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनका (तृणमूल सुप्रीमो का) रूख समान है, एक (मोदी) ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ चाहते हैं और दूसरी (ममता) ‘कांग्रेस के बगैर विपक्ष के गठबंधन’ की बात करती हैं। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख बनर्जी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भाजपा का मुकाबला करने को इच्छुक सभी राजनीतिक दलों को साथ मिलकर काम करना चाहिए। कांग्रेस पर निर्भर रहने का कोई मतलब नहीं है।’’
उन्होंने संकेत दिया कि कांग्रेस ‘‘पहले जीतने में सफल होती थी क्योंकि उसके पास संगठन था।’’ हालांकि बनर्जी ने कहा, ‘‘लेकिन अब, अब वह हर जगह हार रही है। ऐसा नहीं लगता है कि अब उन्हें (जीतने में) कोई दिलचस्पी है। उनकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है और अब उनपर निर्भर रहने का कोई मतलब नहीं है।’’ बनर्जी ने यह भी कहा कि कई मजबूत क्षेत्रीय पार्टियां हैं और वह एकजुट होकर ज्यादा प्रभावी होंगी।

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