Child PGI Noida : चाइल्ड पीजीआई में ग्रेन्यूलोसाइट्स ट्रांसफ्यूजन

0
353
Spread the love

नोएडा ।   पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (चाइल्ड पीजीआई) नोएडा के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा ग्रेन्यूलोसाइट्स ट्रांसफ्यूजन उत्पाद प्रदान किया जा रहा। संस्थान के निदेशक प्रो. अजय सिंह ने बताया- संस्थान का ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग ग्रेन्यूलोसाइट्स प्रदान करने वाला पहला और एकमात्र सरकारी ब्लड बैंक है। शरीर में न्यूट्रोफिल का मुख्य कार्य शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। कम न्यूट्रोफिल काउंट वाले और सेप्सिस के रोगियों के लिए इस न्यूट्रोफिल / “ग्रेन्यूलोसाइट्स” का आधान (ट्रांसफ्यूजन) आवश्यक हैं।
संस्थान के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ सत्यम अरोड़ा के अनुसार यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा डोनर से “ग्रैनुलोसाइट्स” (मुख्य रूप से न्यूट्रोफिल) को एकत्र किया जाता है  और एक ऐसे रोगी को ट्रांसफ्यूज किया जाता है,  जिसे बहुत कम न्यूट्रोफिल काउंट्स (0.5 x 109/L से कम) के साथ गंभीर बैक्टीरिया, यीस्ट या फंगल संक्रमण होता है।
उन्होंने बताया सामान्य रक्तदाताओं द्वारा एफेरेसिस मशीन पर “ग्रैनुलोसाइट्स” को दान किया जा सकता है और ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विशेषज्ञ द्वारा “ग्रैनुलोसाइट्स” डोनर की स्क्रीनिंग कर उसकी “ग्रैनुलोसाइट्स” दान करने की योग्यता को जांचा जाता है।
उन्होंने बताया अब तक संस्थान में कैंसर से पीड़ित और गंभीर संक्रमण वाले बच्चों के लिए लगभग 10 “ग्रैनुलोसाइट्स” यूनिट का ट्रांसफ्यूजन किया जा चुका है। इससे सभी बच्चों को लाभ हुआ है और इसकी कोई विपरीत प्रतिक्रिया की सूचना नहीं मिली है।
गौरतलब है कि संस्थान में पीडियाट्रिक हेमोटो ऑन्कोलॉजी वार्ड, मदर न्यू नेटल केयर यूनिट, पीडियाट्रिक कार्डियक आईसीयू, ब्लड बैंक, पैथोलॉजी विभाग, माइक्रोबायोलॉजी विभाग, बायोकेमिस्ट्री विभाग सहित इमरजेंसी विभाग है। यहां बच्चों के खेलने के लिए विभिन्न स्थानों पर प्ले एरिया बने हुए हैं, इससे यहां इलाज के लिए आने वाले बच्चों का दर्द-तनाव काफी हद तक कम हो जाता है। संस्थान में उच्चतम कोटि की लैबोरेट्री की सुविधा उपलब्ध है जिससे यहाँ आने वाले मरीजों की सही डाइग्नोसिस होती है।
संस्थान के निदेशक प्रो अजय सिंह के अनुसार यहां जल्द ही स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की भी शुरुआत की जाएगी, जिससे संस्थान की एनआईसीयू में भर्ती होने वाले नवजात को उनकी मां से ज्यादा दूर नहीं रहना पड़ेगा और नवजात के साथ साथ उनकी माताओं का भी उपचार हो सकेगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here