पुष्पा सिंह विसेन
यह पर्व पहले बिहार राज्य का त्यौहार होता था, लेकिन आज सिर्फ भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों में भारतीय लोगों द्वारा मनाया जाता है, यह पर्व भी पांच दिवसीय पर्व के रुप में मनाया जाता है|नहाय, खाय की प्राचीन प्रथा से ही घर परिवार में तैयारियों का सिलसिला आरंभ हो जाता है|हमारे प्रत्यक्ष देवता यानि सूर्य देव की स्तुति छठ मैया के रुप में गीत गानों के द्वारा घर की महिलाओं के द्वारा किया जाता है, छठ के दिन संध्या काल में छठी मैया के व्रत का पहला अर्घ्य सूर्य देवता को दिया जाता है, और सप्तमी तिथि को सुबह उठते सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित कर उपवास व्रत पूर्ण होता है| सभी देवताओं में एक भास्कर ही है जो प्रत्यक्ष प्रकाश ले कर धरा वासियों को दर्शन देते हैं| लगभग तीस वर्षों से यह पावन पर्व मैं स्वयं करती आ रही हूँ, लेकिन इस वर्ष व्रत को बैठा दिया है|मधुमेह के कारण असमर्थ हूँ|मैं सूर्य देवता को सुबह और शाम दोनों समय प्रतिदिन जल चढ़ा हूँ,यह क्रम कभी कभी रजस्वला के कारण टूटता रहा है|मुझे सूर्य देवता से बहुत ही ज्यादा प्रेम है, उनसे वार्ता करते हुए एक प्रबंध काव्य भी रच दिया है, जो देवांजलि नाम से अपनी उपस्थिति साहित्य जगत में दर्ज करवाते हुए आज उस मुकाम पर पहुँच गया है कि उसकाे अंग्रेजी में अनुवादित किया जा रहा है|अनुवादक हैं जामिया के भाषा अधिकारी डा.राजेन्द्र मांझी|खैर बात छठ पर्व की हो रही थी पर यह चर्चा भी मुझे आवश्यक लगा|छठी मैया की महिमा बहुत ही अपार है, सूर्य देवता और छठी मइया की असीम कृपा से सभी देशवासियों को लाभ मिलता है, इस पर्व में प्रसाद बनाने से लेकर सभी तैयारी बहुत ही सफाई और पवित्रता का ध्यान रखा जाता है|गाँवों में आम की लकड़ी पर ही ठेकुआ और पूड़ी आदि प्रसाद शुद्ध घी में बनता है और अपनी शक्ति अनुसार सभी फलों के साथ सूप में चढ़ाया जाता है, कमर तक के पानी में खड़े होना बहुत ही कठिन होता है पर व्रत करने वाले स्त्री एवं पुरुष बहुत ही उत्साह के साथ सभी विधियों को करते हैं,इस पर्व में नये वस्त्रों से ही सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है|शाम को घाट पर उत्सव का माहौल होता है|बिहार से आरम्भ हो कर यह विश्व के अनेक देशों में अपनी पहुँच बना चुका है|यह पर्व सभी के मनोरथ को पूर्ण करता है|और लोग हर्षोल्लास के साथ कोशी भरते हुए अपनी अपार श्रद्धा से यह व्रत करते हैं,इस वर्ष भी छठी मइया सभी देशवासियों पर अपनी कृपालु दृष्टि से उनके जीवन को रोगमुक्त बनाते हुए खुशहाली से भरें, सबकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें| मैं बहुत ही विस्तार से सब कुछ नहीं परिभाषित करते हुए अपने इस लेख को बड़ा नहीं करना चाहती हूँ,क्योंकि आप सभी सब कुछ जानते हैं|मैं यह पर्व बहुत ही सादगी से सात्विकता के साथ अपने छत पर टब में पानी भर कर सात आठ वर्षों से कर रही थी क्योंकि कि अब बच्चे मेरे पास नहीं रहते हैं, जो छठी माँ के लिए प्रसाद का दऊरा यानि डाल लेकर घाट तक जाएं, छठी मैया के ढेरों गीत मुझे आते हैं,और मैं सदैव स्वरचित गीत गाती रही हूँ|
प्रिय गीत की कुछ पंक्तियाँ,
“आज छठी मइया धरती पधारी हैं,
चना दाल संग लौकी की तैयारी है,
कल छठी मइया संग मेरे आएगी,
आंगन बीच ईखमहल बैठ जाएंगी,
दीप प्रज्ज्वलित जगमग कर रहें हैं,
वो खुश होआशिर्वाद देकर जाएंगी,
सभी का जीवन रहे खुशहाल कृपा,
बरसाते हुए भक्तों को सुखी बनाएगी|”
बहुत सारे गीत लिखी हूँ फिर कभी,
सूर्य देवता और छठी मैया की कृपा सदैव मेरे सभी अपनो पर बनी रहे| सूर्य देवताऔर छठी मइया सदा मेरा ख्याल रखें|सभी भारतीय खुशहाल रहें|जय हो छठी मइया की,जय हो सूर्य देवताकी, सदैव पृथ्वी पर रहने वाले प्राणियों को प्रकाश देने वाले दिनकर को दिल से कोटि कोटि नमन करते हैं और अब लेखनी को विराम देते हैं|
लेखिका नारायणी साहित्य अकादमी की राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं