नहाय खाय के साथ आज से चैती छठ की शुरुआत

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भवेश कुमार
मुजफ्फरपुर। शुक्रवार से नहाए खाए के साथ लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ शुरू हो गया है । इसको लेकर पटना सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए तैयारी कर रखी है। गंगा तट पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गए हैं। यहां बड़ी संख्या में लोग पूजा करने आते हैं।
चैती छठ महापर्व आज शुक्रवार को नहाय खाय के साथ शुरुआत हुई। शनिवार को खरना है। इस दिन चैती छठ करने वाले व्रती गंगा नदी में स्नान कर गंगाजल ले जाकर घर पर छठ मैया का प्रसाद तैयार करते हैं।रविवार को अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिया जाएगा। सोमवार को उदयीमान भगवान भष्कर को अर्घ्य देकर महापर्व का समापन होगा। जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है।

चैती छठ का पर्व 12 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच मनाया जाएगा। जिसकी शुरुआत नहाए खाए के साथ शुरू हो गई है। नहाए खाए के दिन चावल दाल कद्दू का सब्जी का बड़ा विशेष महत्व है। शुद्धता के साथ इस प्रसाद को तैयार किया जाता है। व्रती के साथ-साथ पूरा परिवार प्रसाद के रूप में इसे ग्रहण करते हैं और यहां से 36 घंटे का निर्जला व्रत का आरंभ होता है।

14 अप्रैल रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को छठव्रती अर्घ्य अर्पित करेंगे। इस दिन मिट्टी के चूल्हे पर या ईंट के चूल्हे पर छठी मैया का प्रसाद तैयार किया जाता है। ठेकुआ तैयार किया जाता है और उसके बाद ऋतु के अनुसार फल का दउरा तैयार किया जाता है और शाम होने के साथ छठवर्ती के साथ-साथ पूरे परिवार छठ घाट पर पहुंचते हैं।

 

अस्ताचलगामी भास्कर को देते हैं अर्घ्य।

 

दूसरे दिन सुबह 15 अप्रैल सोमवार को छठ वर्ती उदय होते भगवान भाष्कर को अर्घ्य अर्पित करेंगी। इसके साथ ही महापर्व का समापन हो जाएगा।
सनातन धर्म में छठ का बड़ा विशेष महत्व है। साल में दो बार छठ का पर्व मनाया जाता है ।पहला चैत्र मास में और दूसरा कार्तिक मास में। भले ही कार्तिक मास की छठ का धूम देखने को मिलता है लेकिन अब हिंदू सनातन चैती छठ को भी बड़ी धूमधाम से मना रहे हैं।

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