Booker Prize Winners
Booker Prize Winners : बीता हफ्ता हिन्दी साहित्य के नाम रहा। पहली बार किसी हिन्दीभाषी उपन्यास को बुकर प्राइज के सम्मान से सम्मानित किया गया। लेखिका गीतांजलि श्री जी की कृति “रेत समाधि” जो कि 2018 में पहली बार प्रकाशित किया गया था। इसी किताब के अंग्रेजी संस्करण Tomb of Sand को साल 2022 के बुकर पुरस्कार मिला जिसे डेजी राकवेल ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
ये पहला मौका है जब किसी हिन्दी के उपन्यास को इस प्रकार से सम्मानित किया गया हो। लेकिन इसके पहले भी कई भारतीयों को बुकर सम्मान से सम्मानित (Booker Prize Winners) किया गया हैं जिनके बारे में हम आज जानेंगे।
गीतांजलि श्री की कृति ‘रेत समाधि’ को मिला इंटरनेशनल बुकर अवार्ड
किस बारे में है गीतांजलि का उपन्यास – रेत समाधि भारत के विभाजन के दौर की बात करती है इसके मुख्य किरदार में एक 80 साल की बूढ़ी महिला हैं जिनके परिवार के हर पहलू पर बात की गई है जो कि मार्मिक हैं। साल 2022 में गीतांजली श्री जी को 26 मई को मिला गीतांजली को ये पुरस्कार।
अरविंद अडीगा –
अरविंद पेशे से पत्रकार हैं उनकी किताब White Tiger 2008 में प्रकाशित होती है जिसे साल 2008 के बुकर पुरस्कार (Indian Booker Prize Winners) मिलता हैं, इस उपन्यास पर एक फिल्म भी आ चुकी है जिसमें प्रियंका चोपड़ा और राजकुमार राव ने काम किया हैं।
इस उपन्यास में एक हलवाई के बिजनेस मैन बनने की कहानी है जो कि डार्क ह्यूमर, उतार-चढाव से भरी पड़ी हैं। उपन्यास में चीन के राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र का जिक्र है जिसमें कि वे चीन के राष्ट्रपति को बताते है कि कैसे भारत के लोगों में बिजनेस खड़ा करने की असीम संभावना हैं।
किरण देसाई –
किरण देसाई को सन 2006 में उनकी किताब “The Inheritance of Loss” के लिए बुकर प्राइज (Indian Booker Prize Winners) मिला था। ये उपन्यास प्रवासियों पर आधारित है कि किस प्रकार प्रवासियों को एक जगह से दूसरी जगह काम की तलाश में जाना होता हैं और किस तरह की नस्लभेदी और भी कई समस्याओं से गुजरना पड़ता हैं।
लेखिका किरण देसाई का जन्म सन 1971 में दिल्ली में हुआ बाद में वे विदेश पढ़ाई करने गई और अमेरिका से उन्होंने क्रिएटिव राइटिंग सीखी।
अरुंधति रॉय –
आपने ये नाम अक्सर राजनीति में सुना होगा लेकिन सन 1997 में उन्हें उनकी पहली ही उपन्यास “The God of Small Things” के चलते बुकर सम्मान मिला।
इनका जन्म 1961 में शिलांग में हुआ इसके बाद वे केरल में रही। अरुंधति का उपन्यास भी केरल की कहानी बताता हैं। इस उपन्यास जुड़वा बच्चों की जीवन की कहानी पर आधारित हैं। इसके साथ अरुंधति राजनीतिक जीवन में भी सक्रिय रहती है इसी कारण उनके उपन्यास में भी केरल की राजनीति पर टिप्पणी मिलती हैं।
अरुन्धती अभी भी सुर्खियों में बनी रहती हैं अपने कामों को लेकर लेकिन अपनी किताब के लिए सालों पहले ही वे बुकर पुरस्कार की लिस्ट ( Booker Prize Winners List) में शामिल हो चुकी हैं।
सलमान रुश्दी –
सलमान का पूरा नाम सर अहमद सलमान रुश्दी है। सलमान को उनके उपन्यास midnight children के लिए 1981 में बुकर सम्मान प्राप्त हुआ था। सलमान का जन्म बाम्बे में हुआ थी और बाद में वे अपने परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए।
सलमान की ये नोवेल की कहानी काफी रोचक हैं, ये दो बच्चों की कहानी है जिनका जन्म 1947 की रात होता हैं और अस्पताल में उनकी अदला बदली अलग धर्मों के परिवारों के बीच हो जाती हैं। ये कहानी उनकी परवरिश के पहलूओं को समझाती है और उन सभी बच्चों के दोबारा मिलने की कहानी को बताती हैं।
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तो ये थे वे नाम जिनकी जड़े भारत से हैं और उन्हे अपने काम के चलते किताबों के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार “बुकर पुरस्कार” (Booker Prize Winners) सें सम्मानित किया गया। उम्मीद है आने वाले सालों में इस लिस्ट में और भी नाम शामिल होंगे और हिन्दी साहित्य को अगले स्तर पर ले कर जाएंगे।