चरण सिंह राजपूत
देखने में आता है कि केद्र में काबिज पार्टी को बस भ्र्ष्टाचार चुनाव के समय ही दिखाई देता है। विरोधियों को बेनकाब करने के लिए आयकर विभाग का पूरा इस्तेमाल किया जाता है। अब जब उत्तर विधानसभा चुनाव करीब आ रहे हैं तो बीजेपी की अगुआई में बनी मोदी सरकार को उत्तर प्रदेश में विरोधी नेताओं में भ्र्ष्टाचार नजर आने लगा है। इत्र व्यापारी पीयूष जैन के बाद अब उनके पड़ोसी पुष्पराज को निशाना बनाया गया है। दरअसल मोदी सरकार आयकर विभाग को हथियार बनाकर समाजवादी इत्र की खुूशबू को बदबू में बदलने में लग गई है। यह इत्र इन्हीं पुष्पराज जैन ने बनाया था। पुष्पराज सपा के एमएलसी हैं।
आयकर विभाग की टीम ने सपा एमएलसी पुष्पराज के करीब 50 ठिकानों पर छापेमारी की है। कहा तो यह भी जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों में भी पुष्पराज जैन के ठिकानों पर छापेमारी की गई है। कन्नौज शहर के बड़े कारोबारी पुष्प राज उर्फ पम्पी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहद करीबी बताये जाते हैं। 2016 में वह सपा से एमएलसी बने थे। पम्पी जैन का विदेशों तक इत्र कारोबार फैला है। यह इत्र एवं कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के पड़ोसी हैं। पीयूष जैन के घर हुई छापेमारी के दौरान इनका भी नाम पीयूष जैन के साथ जुड़कर सामने आया था।
आयकर विभाग की टीम ने सपा एमएलसी पुष्पराज के करीब 50 ठिकानों पर छापेमारी की है। कहा तो यह भी जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के अलावा कई राज्यों में भी पुष्पराज जैन के ठिकानों पर छापेमारी की गई है। कन्नौज शहर के बड़े कारोबारी पुष्प राज उर्फ पम्पी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बेहद करीबी बताये जाते हैं। 2016 में वह सपा से एमएलसी बने थे। पम्पी जैन का विदेशों तक इत्र कारोबार फैला है। यह इत्र एवं कंपाउंड कारोबारी पीयूष जैन के पड़ोसी हैं। पीयूष जैन के घर हुई छापेमारी के दौरान इनका भी नाम पीयूष जैन के साथ जुड़कर सामने आया था।
दरअसल पुष्पराज जैन ने अखिलेश यादव के साथ 9 नवंबर को समाजवादी परफ्यूम लॉन्च किया था। पम्पी जैन मुलायम सिंह यादव के समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े हैं। पार्टी के कमजोर होने के बावजूद सपा मुखिया अखिलेश ने इन्हें एमएलसी बनाया।
पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज स्थित ठिकानों पर जब छापेमारी हुई तो पीयूष जैन को सपा का करीबी बताया गया। हालांकि पीयूष का सपा से कोई कनेक्शन नहीं था। दरअसल इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर पर छापेमारी के बाद से ही भाजपा नेता समाजवादी पार्टी पर लगातार हमला कर रहे हैं। यह भी दावा किया गया कि पीयूष जैन पूर्व सीएम अखिलेश यादव के करीबी हैं। हालांकि अखिलेश यह स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र सरकार ने गलत जैन के घर छापा मार दिया। अखिलेश ने कहा था कि जिस जैन के यहां आयकर विभाग ने कार्रवाई की है उनका संबंध भारतीय जनता पार्टी से ही है।
पीयूष जैन के कानपुर और कन्नौज स्थित ठिकानों पर जब छापेमारी हुई तो पीयूष जैन को सपा का करीबी बताया गया। हालांकि पीयूष का सपा से कोई कनेक्शन नहीं था। दरअसल इत्र कारोबारी पीयूष जैन के घर पर छापेमारी के बाद से ही भाजपा नेता समाजवादी पार्टी पर लगातार हमला कर रहे हैं। यह भी दावा किया गया कि पीयूष जैन पूर्व सीएम अखिलेश यादव के करीबी हैं। हालांकि अखिलेश यह स्पष्ट कर चुके हैं कि केंद्र सरकार ने गलत जैन के घर छापा मार दिया। अखिलेश ने कहा था कि जिस जैन के यहां आयकर विभाग ने कार्रवाई की है उनका संबंध भारतीय जनता पार्टी से ही है।
दरअसल विधानसभा चुनाव के चलते गत दिनों समाजवादी पार्टी के प्रमुख और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ‘समाजवादी इत्र’ नाम से एक परफ्यूम लॉन्च किया था। इस अवसर पर सपा एमएलसी पुष्पराज जैन ने कहा था कि कहा कि इस परफ्यूम से 2022 में नफरत खत्म होगी। 4 महीने में तैयार हुआ ‘समाजवादी इत्र’ ‘समाजवादी इत्र’ को कन्नौज से इस एसपी एमएलसी पम्मी जैन ने तैयार किया था। पम्मी जैन का कहना था कि इसे तैयार करने में 4 महीने का समय लगा और इसे दो वैज्ञानिकों ने तैयार किया है। उन्होंने बताया कि इस परफ्यूम में कश्मीर से कन्याकुमारी तक 22 नेचुरल परफ्यूम का प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा था कि एक और परफ्यूम तैयार किया जा रहा है, जिसे 2024 में लांच किया जाएगा। तभी से उन पर भाजपा की निगाहें टेढ़ी थी।
यह भी जमीनी हकीकत है कि जो भ्रष्ट नेता सत्तारूढ़ पार्टी में आ जाता है तो वह पाक साफ हो जाता है। जिन नेताओं पर चुनाव के समय शिकंजा कसा जाता है वे भी चुनाव जीतते ही आरोपों से बरी होने लगते हैं। चाहे हरियाणा के विधानसभा चुनाव में अजय चौटाला हों, महाराष्ट्र में शरद पवार हों, यश बैंक का डूबना हो। ये मामले चुनाव खत्म होते ही दब गये। मतलब सरकार को सारे भ्रष्टचार चुनाव के समय ही दिखाई देते हैं। या यह भी कह सकते हैं चुनाव जीतने के लिए इन मामलों को दबाकर रखा जाता है। जो तंत्र जनता की भलाई के लिए बनाये गये हैं वे सभी चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल होने लगे हैं। आयकर विभाग, सीबीआई, चुनाव आयोग, मीडिया, यहां तक कई मामले में न्यायपालिका भी चुनाव जीतने के लिए इस्तेमाल होने लगे हैं। यदि ऐसा नहीं है तो बस चुनाव के समय ही सत्तारूढ़ दलों को भ्रष्टाचार क्यों दिखाई देता है। उद्योगपति भी ऐसा ही करते हैं। अपने धंधे को बढ़ाने के लिए राजनीकित दलों और सत्ता का सहारा लेते हैं।