द न्यूज 15
पटना | बिहार में जब से नीतीश कुमार की सरकार आई है तब से महिला सशक्तिकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। अब इसके परिणाम सामने आने लगे हैं।
आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पिछले 16 वर्षों के दौरान महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। जदयू भी इसे सरकार के कार्ययोजना का परिणाम बता रही है।
बिहार राज्य गृह विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2005 में राज्य में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या महज 867 थी। इसमें 805 सिपाही, 11 सहायक अवर निरीक्षक और 51 पुलिस अवर निरीक्षक यानी दारोगा थीं। वहीं अब महिला पुलिसकर्मियों की संख्या 20 हजार के करीब पहुंच गई है। इसमें 18,744 सिपाही, 225 सहायक अवर निरीक्षक और 882 पुलिस अवर निरीक्षक शामिल हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों के आंकड़ों को देखें तो महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2016 में राज्य में पुलिस पद पर 6289 महिला तैनात थी, जबकि 116 महिला सहायक अवर निरीक्षक थी और 170 महिला दारोगा पद की जिम्मेदारी निभा रही थी।
बताया जाता है कि फिलहाल पुलिस अवर निरीक्षक सहित विभिन्न पदों पर नियुक्ति की कार्रवाई अभी प्रक्रियाधीन है।
बिहार के पूर्व मंत्री और जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार भी कहते हैं कि यह सरकार की कार्ययोजना का परिणाम है, जो सड़कों पर अब दिखाई दे रही है। आज बाजारों और ट्रैफिक पुलिस के तौर पर भी महिला पुलिसकर्मी दिखाई देंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार ने पंचायती राज चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर घर की चौखट से उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की।
इसके बाद महिला सशक्तिकरण को लेकर फिर छात्राओं की शिक्षा में आ रही कमियों को संवर्धन कर आगे बढ़ाने की कोशिश की उसके बाद सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण देकर समाज में महती भूमिका निभाने का दायित्व सौंप दिया।
महिला सशक्तिकरण को लेकर चरणवार चलाए गए कार्यक्रमों का परिणाम अब सरजमी पर दिख रहा है। जदयू नेता कहते हैं कि आज कमोबेश सभी थानों में महिला पुलिसकर्मी तैनात हैं।