मधु उत्पादकों की सामूहिक सहभागिता जरूरी
समस्तीपुर पूसा डॉ राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविधालय स्थित विद्यापति सभागार में राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड प्रायोजित शहद में भौगौलिक उपदर्शन का संवर्धन एवं विकास विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसकी अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ.पीएस पाण्डेय ने कहा कि भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बिहार ने मधु क्रांति लाने की दिशा में अग्रसर हो चुका है। इस कड़ी को सशक्त और धारदार बनाने के लिए सरकार व विवि के साथ मधु उत्पादको की सामूहिक सहभागिता जरूरी है। शाही लीची की गुणवत्तायुक्त शहद पर जीआई टैग लगवाने का जोरदार प्रयास किया जा रहा है। जो फिलवक्त इसी का एक अहम हिस्सा है। जिसके सहयोग एवं विवि की ब्रांड इमेज से यहां की शहद एक हजार से भी अधिक प्रति किलो की दर से बेचने की योजना पर कार्य प्रारंभ हो चुका हैै। इसके लिए इसके गुण व विशेषताओं से पहचान बनाने के साथ ही उसकी गुणवत्ता राष्ट्रीय व अर्न्तराष्टीय स्तर की मानक पर खड़ा उतारने की जरूरत है। कुलपति डा पांडेय ने बुधवार को विवि के विद्यापति सभागार में मधु उत्पादक समूहो, किसानो, छात्रों व वैज्ञानिको को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बिहार के गुणवत्तायुक्त कई उत्पादों पर जीआई टैग की अपार संभावनाएं है। जिसे पूरा करने की दिशा में केंद्रीय कृषि विश्वविधालय की वैज्ञानिक एवं कर्मचारियों सहित छात्र छात्राएं के अलावे किसान भी संबंधित वैज्ञानिकों के साथ कदम से कदम मिलाकर चल चुके है। अब वो दिन दूर नही होगी जब इस विश्वविधालय के द्वारा अनुसंधान किए गए उत्पादों को जीआई टैग मिलना प्रारंभ हो सके। उन्होंने मालभोग व चिनिया केला, गन्ना के उत्पाद समेत कई कृषि उत्पादो की चर्चा करते हुए कहा कि इस दिशा में पहल को गति देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जल्द ही विवि में विश्वस्तरीय नर्सरी के विकास की दिशा में कार्य होगा।
सीआईएसएच, लखनउ के पूर्व निदेशक डॉ.शैलेन्द्र राजन ने कहा कि जीआई टैग मिलने व उसके बाद उसे स्थाई बनाये रखने में विवि की अहम भूमिका होगी। जीएमजीसी महाराष्ट्रा के प्रो.गणेश हिमगीरी ने कहा कि उत्पादो की गुणवत्ता का प्रदर्शन व बेहतर मार्कटिंग से बेहतर लाभ लिया जा सकता है। एनआरसी लीची, मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ.विकास दास ने कहा कि लीची इस क्षेत्र के किसानों के दिल से लगाव रखने वाले उत्पाद है। इसे संभालने की दिशा में किसान एवं वैज्ञानिक एक होकर आगे बढ़ रहे है। स्वागत भाषण करते हुए निदेशक अनुसंधान डॉ.अनिल कुमार सिंह ने कहा कि कुलपति डा पांडेय के समुचित निर्देशन में सतत किसान व कृषि के हित में कार्य संचालित कर रहे है। जिससे किसानों को लाभ भी मिलने की शुरुआत हो गई है।
संचालन वैज्ञानिक डॉ.कुमारी अंजनी ने की। धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक सह समन्वयक डॉ.रामदत्त ने किया। मौके पर डीन डा कृष्ण कुमार, डा मयंक राय, डा शमीर कुमार, वैज्ञानिक सह मधुमक्खी पालन केंद्र प्रभारी डा नागेंद्र कुमार आदि मौजूद थे।