बिहार: लीची किसानों की आमदनी बढ़ाने में मददगार बना मुर्गी पालन

0
256
आमदनी
Spread the love

मुजफ्फरपुर, बिहार के मुजफ्फरपुर की लीची देश में ही नहीं विदेशों में भी चर्चित है। अब इन लीची किसानों के लिए मुर्गीपालन का कारोबार आर्थिक रूप से उन्हें और मजबूत कर रहा है। लीची किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने दो वर्ष पहले लीची के बागों में ओपन मुर्गा फार्मिग करने की सलाह लीची किसानों को दी थी। इसका लाभ अब लीची किसानों को दिखने लगा है।

किसान अपने लीची बागों में अच्छी प्रजाति कड़कनाथ, वनराजा, शिप्रा जैसी मशहूर नस्लों का मुर्गी पालन कर रहे हैं, जिससे किसानों कि आर्थिक स्थिति अच्छी हो रही है।

मुजफ्फरपुर की रसभरी और लाल रंग की मिट्ठी लीची देश के राज्यों में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी निर्यात होती रही है, अब मुजफ्फरपुर के लीची किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन किसानों के लिए एक अच्छी आमदनी का जरिया बन गया है।

लीची बागान में मुर्गा फामिर्ंग से लीची के पेड़ों को भी लाभ है। किसान बताते हैं कि मुर्गी पालन में लागत कम आती है, जबकि मुनाफा अच्छा होता है। मुजफ्फरपुर के लीची बागानों में देश के सर्वोत्तम देसी नस्लों के मुर्गों को पाला जा रहा है, जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कड़कनाथ, वनराजा और शिप्रा जैसे देसी मुर्गें शामिल हैं।

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. शेषधर पाण्डेय की मानें तो इस पहल से लीची के उत्पादन को एक नई राह मिली है। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में जब लीची किसानों को बगीचे में बकरी या मुर्गी पालन की सलाह दी गई थी तब प्रारंभ में तो इन किसानों को लाभ कम हुआ, लेकिन अब कई किसानों को इसका लाभ दिखने लगा है।

उन्होंने कहा, “इसके नतीजे अब काफी सकारात्मक आए, जिसके बाद अब संस्थान इसे लेकर जिले में लीची की बागवानी करने वाले किसानों को प्रशिक्षित कर रहा है। लीची के बगानों में देसी मुर्गों के ओपन फामिर्ंग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें देसी मुर्गे और लीची के बाग दोनों एक दूसरे के लिए अनुपूरक का काम करते हैं।”

उन्होंने बताया कि लीची बगानों में इन देसी मुर्गों के विचरण से बगीचों में उर्वरक और कीटनाशकों के इस्तेमाल की जरूरत आधी से भी कम हो गई है। इनके बीट बगीचे के लिए काफी लाभदायक हैं जबकि ये कीटाणु को अपना भोजन बना लेते हैं।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि जलजमाव या नमी वाले क्षेत्रों में मुर्गी पालन में समस्या आती है। खुली जगह में मुर्गों को प्राकृतिक वातावरण मिलता है, जिसमें उनकी ग्रोथ तेजी से होती है।

निदेशक पांडेय भी मानते हैं कि ठंड के मौसम में मांस और अंडों की मांग बढ जाती है, जिससे इन किसानों का लाभ भी बढ जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here