द न्यूज 15
खगड़िया। बिहार की नीतीश कुमार सरकार बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है। जिससे सूबे के बच्चे आगे बढ़ें और तरक्की करें। लेकिन इसकी हकीकत कुछ और ही है। इसका पता तब चला जब खगड़िया जिले के डीएम आलोक रंजन घोष अपने अधिकारियों के साथ रामगंज संसारपुर स्थित स्कूल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे। यहां कई बच्चों को अपना नाम तक लिखना नहीं आता था। जब इसके बारे में डीएम ने सवाल किया तो शिक्षक उनसे ही उलझ पड़े।
औचक निरिक्षण को पहुंचे डीएम ने ब्लैकबोर्ड पर हिंदी के कुछ अक्षर लिखकर बच्चों को उन्हें पढ़ने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने बच्चों से ब्लैकबोर्ड पर अपना नाम लिखने को कहा। इससे वहां मौजूद शिक्षकों के पसीने छूट गए क्योंकि किसी भी बच्चे ने ठीक से अपना नाम नहीं लिखा। उन्होंने जब क्लासटीचर से इसे लेकर सवाल किया तो वे गलती मानने की बजाय उन्हीं से बहस करने लगे।
डीएम ने क्लासटीचर से कहा कि बच्चे टाइमपास कर रहे हैं। जवाब में टीचर ने कहा कि सर हम इन्हें पढ़ाते-लिखाते हैं पर ये बच्चे भूल जाते हैं। इसपर उन्होंने कहा कि भूल जाता है? अपना नाम लिखना भी, जो सबसे ज्यादा पर्सनल चीज है? जवाब में टीचर कहते हैं कि अ से ज्ञ तक सिखेगा तब ना अपना नाम लिखना सीखेगा। गुस्से में डीएम कहते हैं कि नहीं सिखा पा रहे हैं आप? टीचर कहते हैं कि सिखा रहे हैं सर।
टीचर के जवाब से डीएम को और गुस्सा आ जाता है। वे कहते हैं कि नहीं सिखा पा रहे हैं आप? नहीं सिखा पा रहे हैं तो किसलिए हैं आप फिर? कितना वेतन मिलता है आपको? टीचर जवाब में कहते हैं कि सर सिखा रहे हैं। पहले अ, य, र, ल, व ब लिखना आ जाए फिर सिखाएंगे। इसके बाद डीएम पूछते हैं कि कौन सिखाएगा इनको? ये सभी कल से कक्षा में आ रहे हैं क्या? जवाब में टीचर वही पुराना जवाब दोहराते हुए कहते हैं कि हम सिखाएंगे सर।