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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की चपेट में बिहार, जुदा हो सकते हैं बीजेपी-जदयू !

चरण सिंह राजपूत 
नई दिल्ली/लखनऊ/पटना। उत्तर प्रदेश का असर बिहार की नीतीश सरकार पर भी पड़ रहा है। नीतीश कुमार का सहयोगी पार्टी भाजपा से सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पहले शराबबंदी को लेकर बीजेपी की तरफ से नीतीश की आलोचना और अब यूपी चुनाव को लेकर कोई निर्णायक सहमति न बनने से कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार सरकार के लिए यह सब कुछ ठीक नहीं हो रहा है। उत्तर प्रदेश से बीजेपी के खिलाफ बना माहौल बिहार तक पहुंच सकता है। रोज-रोज की बीजेपी से चल रही तकरार से पीछा छुड़ाने के लिए नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ हाथ भी मिला सकते हैं।
दरअसल शराबबंदी को लेकर जिस तरह से बीजेपी नेता जेडीयू को आंखें दिखा रहे हैं, उससे नीतीश कुमार अपने असहज महसूस कर रहे हैं। उधर, यूपी चुनाव को लेकर जेडीयू ने साफ कर दिया है कि वो अकेले ही चुनाव मैदान में उतरने जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में जदयू के चुनाव लड़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री नीतीश ने कुछ समय पहले कहा था कि हमारी पार्टी की सब जगह शाखाएं हैं। अभी पार्टी के नेशनल एग्जीक्यूटिव की मीटिंग थी। उसमें भी लोगों ने इच्छा प्रकट की थी। ये तो नेशनल एग्जीक्यूटिव का काम है। एलायंस या अलग लड़ने के संबंध में पार्टी के लोग निर्णय लेंगे। यूपी में 200 सीटों पर लड़ने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, लेकिन उनके ही वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने साफ कर दिया है कि यूपी चुनाव को लेकर उनकी बीजेपी से कोई सहमति नहीं बन पाई है। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी और जेडीयू की राहें बिहार में जुदा हो सकती हैं। ऐसे में जदयू के पास राजद के साथ हाथ मिलाने के अलावा कोई चारा नहीं है। वैसे भी राजद और जदयू मिलकर पहले भी सरकार बना चुके हैं।
यह भी जगजाहिर है कि जातीय जनगणना पर भी बीजेपी से नीतीश के सुर नहीं मिल रहे हैं। जातीय जनगणना कराने की मांग पर अड़े राजनीतिक दल यह चाहते हैं कि जल्द से जल्द बिहार में जातीय जनगणना हो। इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक बुलाने की भी बात कही है। उनकी बात को राजद, कांग्रेस की तरफ से समर्थन भी मिल चुका है। सिवाय बीजेपी के। जातीय जनगणना के लिए जदयू की ओर से भी बीजेपी पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन वो नहीं मान रही।
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