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सनातन धर्म मे हमेशा स्त्री को दुर्गा,काली,चंडी,और लक्ष्मी के रूप मे पूजा जाता है। लेकिन जैसे-जैसे इंसान कलयुग की और बढ़ रहा है वह अपने सभ्यता से खिन्न होता जा रहा है। वर्तमान मे महिलाओ के साथ हो रहे अन्याय से हर कोई परिचित है। कुछ वर्गो की मानसिकता इस कदर हो गई है कि वह स्त्री को मात्र एक उपभोग और अइयाशी की वस्तु  समझने लगा है। इतना ही नहीं वह राह चलती लड़कियों पर भद्दे व अश्लील कमेंट्स और इशारे रहता है। इन लोगों कई दफा कड़ी सजायें भी सुनाई जाती है लेकिन फिर भी ये लोग अपनी हरकतो से बाज़ नही आते।

क्या महिलाओं को जागरूक करने के लिये NCIB ने पोस्ट किया हैं शेयर

दरअसल, नेशनल क्राइम इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो यानी NCIB ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है कि यदि कोई व्यक्ति स्त्री को आवारा माल,छम्मक-छल्लो, आइटम चुड़ैल , कलमुखी, चरित्र जैंसे शब्दो से संबोधित करता है,या फिर अश्लील इशारे करता है। जिसे उसके लज्जा का अनादर हो तो उसे आईपीसी की धारा 509 के तहत 3 वर्ष तक जेल/आर्थिक दंड या दोनों हो सकता है’। हालांकि भारतीय दंड संहिता ( Indian Penal Code) में ये प्रावधान 2013 से ही लागू है। लेकिन इसके बाद भी अपराध रूकने का नाम नहीं ले रही। रोज महिलाओं के साथ हो रहे हिंसा की गाथा इस कदर बढ़ती जा रही है। कभी दहेज को लेकर तो कभी उसके लड़की होने का एहसास दिलाने को लेकर। इसके पीछे का कारण क्या है ये हम जानने की कोशिश करेंगें।

2013 मे छेड़खानी की धारा लागू होने के बाद भी क्यों नहीं रूक रहे अपराध

2013 में जब कानून में संशोधन हुआ है उसके बाद के मामलों में छेड़छाड़ के लिए नए कानून के तहत सजा का प्रावधान है। हम बात करे अगर भारतीय दंड संहिता के सेक्शन 354 की जिसके अगर कोई शख्स ये जानते हुए भी कि किसी महिला के साथ मारपीट करता है, यौन उत्पीड़न करता या उसकी लज्जा भंग करता है तो उसे सेक्शन 354 के तहत संज्ञेय अपराध माना जाता है।

कई प्रशासन की कमी तो कही सामाज की कुरूतियों का डर 

महिलाओं के साथ हो रहे अपराध दिन प्रति दिन बढ़ रहा है, हालांकि कई महिलायें इसके खिलाफ आवाज़ उठाती है तो वही खइयों को सामाज का स्टेटस सोचने पर विवश कर देता है,जिसके कारण इन अपराधियो के होसले और बुलंद हो जाते है। भारत में घरेलू हिंसा Act के तहत साल 2021 में एनसीआरबी की रिर्पोट के मुताबिक 4,28,278 मामले दर्ज किये गए है। जिनमें 7.40 फीसदी बलात्कार के केस है। वही 2022 में इन मामलो मे लगातार इज़ाफा हो रहा है।

 एफआईआर दर्ज नहीं करते 

छेड़छाड़,रेप,मारपीट,अश्लील इशारे ये आम घटनाएं हो गई है। इन में से मामलों के खिलाफ तो FIR दर्ज ही नहीं की जाती। और अगर दर्ज भी की जाती है तो कई बार सख्ती से प्रशासनी कारवाई नहीं की जाती। कही पैसों के दम पर मामला रफ्फा-दफ्फा कर दिया जाता है तो कहीं शरमिंदगी के मारे।।

पितृसत्तात्मक मानसिकता

महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और एक आम रुख कि ‘’लड़के आखिर लड़के हैं’’, यौन उत्पीड़न को निरपराध और छिछोरी गतिविधि बनाते हैं। लेकिन ऐसे विकृत सुख का आखिर अर्थ क्या है और महिलाओं पर इसका क्या असर है, इस पर कोई विचार नहीं करता। लड़कियों के महज़ एक उरभोग की वसतु समझा जाता है। इस तरह की मानसिकता का आखिर कब खात्मा होगा।

 

 

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