तख्तापलट हुआ बांग्लादेश में, सेना ने चली ऐसी कुचाल
दिखावा रख आरक्षण का, मूढ़ जनता को बनाया अपना ढाल
डॉ. सविता मिश्रा मागधी
शेख हसीना ने सपने में भी न सोचा होगा कि जिस देश की बागडोर पंद्रह वर्ष से संभाल रही थीं, वह उन्हें पैंतालीस मिनट देगा, अपना सामान समेटने को और पंद्रह मिनट में वे अपने देश से बाहर हो जाएंगी। जून माह में आरक्षण मामले को ले सुलगे आंदोलन ने जुलाई माह में विकृत रूप ले लिया और 05 अगस्त को विद्रोहियों ने तख्ता ही पलट दिया।छह माह से ही साजिश चल रही थी। वहाँ की सेना बाहरी ताकत आईएसआई की सहायता ले सरकार गिराने में सफल रही।बागी भीड़ क्रूर और हिंसक राहों पर चलना अपना परम अधिकार समझती है। यह कहना अनुचित न होगा कि बांग्लादेश भीड़ की सोच तालिबानी है। तभी तो हिंसक भीड़ ने अवामी लीग के नेता को सरेआम फांसी पर लटका दिया। अपने देश के संस्थापक की मूर्ति तोड़ने में तनिक नहीं हिचकी। वे तो इस्लामी समुदाय के थे। सेना की मिली भगत थी तभी तो वह मूक दर्शक बनी हिंसक भीड़ को देखती रही। जमात-ए इस्लामी एक कट्टर संस्था है। भारत की आजादी से पहले ही जमात-ए इस्लामए की स्थापना 1941 में भारत में ही हुई थी। वर्ष 2018 में बांग्लादेशी चुनाव आयोग ने इसका पंजीकरण रद्द कर दिया था। 01 अगस्त 2024 को बांग्लादेश सरकार ने इसपर बैन लगा दिया। उसपर धर्म के दुरुपयोग का आरोप था। जमात-ए इस्लामी संस्था ने पाकिस्तान से बांग्लादेश बनने पर 1971 में कडा विरोध किया था। खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल पार्टी के कार्यवाहक प्रमुख खालिद जिया के बेटे तारीख रहमान की साँठ-गांठ थी। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर उसनेतख्तापलट की रूपरेखा लंदन में बनाई थी। ढाका विश्वविद्यालय के तीन छात्र नाहिद, आसिफ और आबू ने इस आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई है। सोशल मीडिया पर शेख हसीना के खिलाफ बड़ी संख्या में पोस्ट वायरल कर उनलोगों ने अन्य छात्रों को उकसाने में कोई कोई-कसर न छोड़ी।
तख्तापलट की समस्या से वहाँ के अल्पसंख्यक हिंदुओं पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। उन्मादी भीड़ ने कई मंदिरों को अपना निशाना बना, तोड़-फोड़ और आगजनी की। कालीजी और स्कॉन मंदिर को तोड़ दिया गया। उन्मादी भीड़ ने कई हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया।जिससे भारत-बांग्लादेश की सीमा पर हलचलबढ़ गई है। दिनाजपुर में दस हिंदुओं के घरों में लूट-पाटकर उसे जला दिया। दुकानों में तोड़-फोड़ जारी है, जो गंभीर चिंता के विषय है। उन्हें बांग्लादेश छोड़ने पर मजबूर किया जा रहा है। एक लड़की का रोते हुए वीडियो आया है, जिसमें वह भारत सरकार से मदद माँग रही है। जमात-ए इस्लामी एक्टिव हो गई है। वहाँ का लॉ-एंड ऑर्डर फेल है। अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाना सबसे आसान है। सरकार ने सीमा पर चौकसी बढ़ा दी है। कारण जेल से भागे पाँच सौ से अधिक जमात-ए इस्लाम के अपराधी भारत में घुसकर हिंसा को अंजाम दे सकता है। तख्तापलट का असर यूएस में बांग्लादेश के वाणिज्य दूतावास में तोड़-फोड़ से प्रारंभ हो गया है। संयोक्त राष्ट्र ने शांति बहाली की अपील की है। उनकी अपील पर कितना अमल होगा यह तो समय बताएगा।
हिंसा को अपनाने वाली भीड़, तू अपने खुदा से तो डर.
तू भी बुरी मौत मरेगा, मृत्यु लोक में नहीं कोई अमर.