Banafer: बनाफर की अनकही कहानी
चरण सिंह राजपूत
Banafer:आल्हा खंड में महोबे की सेना को बनाफर (Banafer) राय बताया गया है। दरअसल महोबे को बनाफर नाम आल्हा ऊदल के पिता जसराज ने दिया था। देश के राजा बनाफरों को चंदेले का नौकर कहकर चिढ़ाते थे और अपनी बेटियों के स्वयंबरों में इन्हें नहीं बुलाते थे।
बनाफरों की अगुआई करने वाले आल्हा ऊदल और मलखान के अपनी वीरता के दम पर विभिन्न राजाओं की बेटियों का डोला लेने की कहानी आल्हा खंड में है। यह बात दूसरी है कि इतिहासकारों ने इतिहास में बनाफरों (Banafer) को कोई खास तवज्जो नहीं दी।
दरअसल देखने में आया है कि चाहे राजतंत्र रहा है या फिर लोकतंत्र अधिकतर मामलों में दरबारी लेखकों ने जो लिखा काफी हद तक उसे ही इतिहास मान लिया गया। अकबरनामा, पृथ्वीराज रासो में भी यही बात प्रमुखता से मिली है। अब जब पृथ्वीराज चौहान फिल्म रिलीज हुई तो राजा महाराजाओं की वीरता को लेकर एक बहस छिड़ गई है। एक बड़ा तबका बनाफरों की वीरता को लेकर सोशल मीडिया पर एक बड़ा अभियान छेड़े हुए है। आल्हा खंड में बनाफरों द्वारा 52 लड़ाईयां जीती बताई जाती है।
बनाफरों की 52 लड़ाईयों पर लिखने से पहले यह जानना जरूरी है कि आख़िरकार ये बनाफर थे कौन ? राजतंत्र में भी बनाफर (Banafer Ahir) इतनी लोकप्रियता कैसे बटोर ले गए। राजा महाराजाओं के सामने ये लोग इतनी लड़ाई कैसे जीत ले गए। दरअसल बनाफर बुंदेलखंड के राजपूत माने जाते हैं।
यदि बनाफरों की उत्पत्ति की बात की जाए तो इसके पीछे अलग-अलग मान्यताएं हैं। जायसवाल की किताब इंडियन एंटीक्वैरी के अनुसार किसी समय मगध में कनिष्क का राज्यपाल “बनस्फर’ या बनस्फर्ण’ था। भले ही बनाफरों की कथाएं महोबा से संबद्ध बताई जाती हों पर जायसवाल के अनुसार बनाफर उस समय के बाघसर- व्याघ्रसर और आज के बक्सर से बुंदेलखंड आये बताये जाते हैं।
ऐसा माना जाता है कि महोबा में रहने वाले बनाफरों के चार अधिपति पूर्वज बक्सर में रहते थे। ये चारों जसराज, बच्छराज, रहमल और टोडर थे।
Also Read- नूपुर शर्मा-नवीन जिंदल प्रकरण ने बढ़ाई बीजेपी की मुश्किलें !
बताया जाता है कि महोबे के चंदेल राजा परमार एक बार कजरी वन में शिकार खेलने गए थे। उन्होंने वहां माता- पिता से बिछड़े दो बालकों को देखा। राजा उन्हें हाथी पर बैठाकर महोबा ले आये। बताया जाता है कि रानी मल्हना के आग्रह पर राजा परमाल ने उन्हें पुत्र रूप में अंगीकार कर लिया और जब वे जवान हुए तो उन्हें अपनी सेना का सेनापति बना दिया।
Banafer Ahir-
अहीर लड़कियों से की शादी : बताया जाता है कि जसराज, बच्छराज एक दिन शिकार के लिए जंगल में गए। उन्होंने दो भैंसों को आपस में लड़ते देखा। यह देखकर जसराज और बच्छराज दंग रह गए कि उनकी राह में रुकावट देख दो अहीर (Banafer Ahir) बालाओं ने दोनों भैंसों का एक- एक सींग से पकड़कर दोनों को एक तरफ पटक दिया।
दोनों वीरों ने सोचा कि ऐसी बलिष्ठ लड़कियों से यदि उनकी शादी हो गई तो उनके पराक्रमी संताने पैदा होंगी। तो जसराज और बच्छराज ने इन दोनों लड़कियों से शादी रचा ली। जसराज के साथ ब्याही लड़की का नाम दिवला और बच्छराज की पत्नी का नाम तिलका था।
Alaha Udal story
जसराज के तीन और बच्छराज के दो बटे हुए : आल्हा खंड में ऐसा बताया गया है कि जब मांडो के राजा जम्बे के बेटे कडंगा ने महोबे पर हमला किया तो जसराज और बच्छराज ने द्वार की रक्षा की थी। विवाहोपरांत जसराज के तीन आल्हा- ऊदल और एक दासी पुत्र धांधू हुए तो बच्छराज के मलखान- सुलखान नामक दो पुत्र हुए थे। इनकी माताओं को लेकर भी स्थान और बोली के भेद से कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। कुछ कहानियों (alaha udal story) में दिवला और तिलका ग्वालियर के राजा दलपत की पुत्रियाँ बताई जाती हैं तो कुछ में ये दोनों अहीर कन्याएँ बताई जाती हैं।
दूसरी ओर बताया जाता है कि राजा कनिष्क राज्य मध्य एशिया में तजाकिस्तान से लेकर भारत में उडीसा तक, अफगानिस्तान से लेकर चीन में कांशू तक था। शांति व्यवस्था के लिये जो प्रमुख राजपाल उत्तरदायी था उसका नाम था बनाफल था।
मनिया देव के नाम से हुए प्रसिद्ध : इसी वनाफर के वंशज सैकड़ों वर्षों के बाद महोवा में देवतुल्य साधु के रूप में मनिया देव नाम से प्रसिद्ध हुआ। बताया जाता है कि इसी मनिया देव के वंशज हंसराज चंदेल वंसीय कालिंजर के राजा कीरतदेव की सेना में बडे पद पर पहुंच गए।
हंसराज के दोनों बेटे जसराज बच्छराज कीरत देव की सेना में भर्ती हो गये । जब कीरत देव ने अपनी राजधानी चंदेरी को बनाया तब जसराज और बच्छराज को सेनापति का औहदा दे दिया ।
कीरत देव का बेटा परिमारदेव (परिमाल) जब राजा बना तब उसने अपनी राजधानी महोबा को बनाया । जसराज और बच्छराज हंसराज के बेटे बताये जाते हैं। जसराज के तीन बेटे आल्हा- ऊदल और एक दासी पुत्र धांधू था। बच्छराज के मलखान और सुलेखन दो बेटे हुए। आल्हा का बेटा एक बेटे इंदल हुआ। मलखान के एक बेटा बहोरन हुआ।
यहां क्लिक कर आप हमारे YouTube Channel पर जा सकते है
जसराज के दो मित्र : ऐसा भी बताया जाता है कि जसराज के भाई जैसे दो मित्र भी थे। वीरा धानुक जिसे महोबा किले का रक्षक माना जाता था। दूसरे मित्र ताला सैयद थे, जिन्हें बनारस किले का रक्षक माना जाता था। वीरा धानुक का बेटा ढेवा था। इस सेना में दो मुख्य वीर राजा चंदेले का बेटा ब्रह्मा और ऊदल का परम मित्र लाखन और बताये जाते हैं। ये सब वीर बनाफर (Banafer) थे। Banafer, Banafer Ahir, Alaha udal story