भीख मांगकर गुजारा करते थे बाबा शिवानंद के माता-पिता, भूख के चलते माता-पिता और बहन की हो गई थी मौत, चार साल की उम्र में माता-पिता ने बाबा ओंकारनंद गोस्वामी को कर दिया था समर्पित, 6 साल की उम्र से शुरू कर दिया था योग, 126 साल की उम्र में प्राप्त किया है पद्मश्री अवार्ड, प्रधानमंत्री ने भी झुककर किया है अभिवादन
चरण सिंह राजपूत
कहा जाता है कि जिस जिंदगी में संघर्ष न हो तो वह जिंदगी कैसी। पर संघर्ष हद से गुजर जाये तो वह पीड़ा में बदल जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस पीड़ा को बर्दाश्त करते हुए बड़ा कीर्तिमान स्थापित कर दे, वह भी 126 साल की उम्र में तो निश्चित रूप वह व्यक्ति सम्मान से आगे बढ़कर नमन के योग्य है। बात हो रही है 126 साल की उम्र में पद्मश्री सम्मान पाने वाले काशी के बाबा शिवानंद की। चार साल की उम्र में माता-पिता ने बेहतर भविष्य के लिए उन्हें नवद्वीप निवासी बाबा ओंकारनंद गोस्वामी को समर्पित कर दिया था। बताया जाता है बाबा शिवानंद के माता-पिता भीख मांगकर गुजारा करते थे। किसी बालक के लिए इससे बड़ी पीड़ा क्या हो सकती है कि जब शिवानंद छह साल के थे तो उनके माता-पिता और बहन की भूख के चलते मौत हो गई। शिवानंद ने पीड़ा को दवा बनाया और काशी में गुरु के सानिध्य में आध्यात्म की दीक्षा लेनी शुरू कर दी। यह उनका संघर्ष ही है कि 126 साल की उम्र में उन्होंने राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री अवार्ड प्राप्त किया है। खुद प्रधानमंत्री ने झुककर उनका अभिवादन स्वीकार किया है।
हाल ही में राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में पद्म सम्मान के लिए अपने नाम की घोषणा सुनने के बाद अपने स्थान से खड़े हुए बाबा शिवानंद ने राष्ट्रपति के पास पहुंचने तक तीन बार नंदीवत योग की मुद्रा में प्रणाम कर दुनिया का मन मोह लिया। पहले पीएम के सामने दोनों पैर मोड़कर हाथों को आगे कर प्रणाम किया तो पीएम मोदी ने भी झुककर उनका अभिवादन किया।
126 साल के बाबा शिवानंद के शिष्यों का दावा है कि वे दुनिया के सबसे बुजुर्ग इंसान हैं। उनके आधार कार्ड और पासपोर्ट में उनकी जन्मतिथि आठ अगस्त 1896 दर्ज है। इस रिकार्ड को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराने की भी कवायद की जा रही है। बाबा शिवानंद की 126 की उम्र में फुर्ती ऐसी है कि देखने वाले दंग रह जाते हैं। वाराणसी के दुर्गाकुंड इलाके में स्थित आश्रम में तीसरी मंजिल पर स्थित कमरे में निवास करने वाले बाबा शिवानंद दिन में तीन से चार बार बिना किसी सहारे के सीढ़ियां चढ़ते और उतरते हैं। चार वर्ष की उम्र में अपने परिवार से अलग हो गए बाबा शिवानंद ने छह वर्ष की उम्र से ही योग को अपने जीवन का अहम हिस्सा बना लिया। तब से ही उन्होंने पवित्र जीवन जीने की ठानी, वह भी बिल्कुल सामान्य वेशभूषा में और आज तक उसका पालन करते हैं।
बाबा शिवानंद का जन्म 8 अगस्त 1896 को अविभाजित बंगाल के श्रीहट्ट जिले के ग्राम हरिपुर (थाना क्षेत्र बाहुबल) में एक गोस्वामी ब्राह्मण परिवार में हुआ था। मौजूदा समय में यह जगह बांग्लादेश में है। जीवन के 126 वसंत देख चुके बाबा शिवानंद छह वर्ष की आयु से ही संयमित दिनचर्या का पालन कर रहे हैं। पूरी तरह स्वस्थ बाबा ब्रह्म मुहूर्त में तीन बजे ही चारपाई छोड़ देते हैं। रोजाना अलसुबह स्नान-ध्यान के बाद नियमित एक घंटे योग करते हैं। भोजन में बहुत कम नमक में उबला आलू, दाल का सेवन करते हैं। बाबा के शिष्यों ने बताया कि वे फल और दूध का भी सेवन नहीं करते हैं। उन्होंने विवाह नहीं किया है। उनके मुताबिक, ईश्वर की कृपा से उनको कोई बीमारी और तनाव नहीं है। बाबा शिवानंद की मानें तो वे कभी स्कूल नहीं गए, जो कुछ सीखा वह अपने गुरु से ही। उन्हें अंग्रेजी का भी अच्छा ज्ञान है।
बाबा शिवानंद के आश्रम अमेरिका, जर्मनी और बांग्लादेश में भी हैं। वे समय-समय पर अपने इन आश्रमों में भी प्रवास के लिए जाते हैं। बाबा शिवानंद ने बताया कि उन्हें मिलने वाले दान को वे गरीबों में ही वितरित करते हैं। दुनिया में सबसे अधिक उम्र के होने का दावा करने वाले स्वामी शिवानंद कहते हैं कि उनकी लंबी उम्र का राज उनकी स्वस्थ जीवन शैली है, शिवानंद अपनी लंबी उम्र के लिए नियमित योगाभ्यास करते हैं साथ ही उनका आहार भी बहुत ही सात्विक होता है।