Attack on Dynasty : विपक्ष के खिलाफ बड़ा हथियार साबित हो रहा है बीजेपी का वंशवाद पर बोला जाने वाला हमला

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Attack on Dynasty : हैदराबाद में बड़ी रणनीति के तहत नड्डा ने उठाया है वंशवाद का मुद्दा

Attack on Dynasty : हैदराबाद में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ऐसे ही वंशवाद की राजनीति पर हमला नहीं बोला है। ऐसे ही नड्डा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उनके संवैधानिक पदों पर रहकर समाज कल्याण और गरीबों के उत्थान की बात नहीं कही है। ऐसे ही वंशवाद से पनपे विपक्षी दलों के समाज कल्याण की योजनाओं में बाधा पैदा करने की बात नहीं कही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को बांधे रखने के लिए वंशवाद को बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है।

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Weak Opposition : मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर तो विपक्ष को डरा ही रखा ही है साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने वंशवाद को विपक्ष के खिलाफ इस्तेमाल करने का बड़ा हथियार भी बना रखा है। दरअसल देश में अधिकतर विपक्षी पार्टियां और उनके कर्णधार वंशवाद के बल पर टिकी हैं। चाहे कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी हों, सपा के अखिलेश यादव हों, रालोद के जयंत चौधरी हों, राजद के तेजस्वी यादव हों, शिवसेना के उद्धव ठाकरे हों, बीजू जनता दल के नवीन पटनायक हों, टीडीपी के स्टालिन हों, एनसीपी की सुप्रिया सुले हों, अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल हों, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती हों, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला हों, झामुमो के हेमंत सोरेन हों, इनेलो में अभय चौटाला हों, जेजेपी में दुष्यंत चौटाला हों, बसपा के आकाश हों ये सभी वंशवाद के बल पर आज के राष्ट्रीय नेता बने हुए हैं। दरअसल समाजवाद के नाम पर राजनीति करने वाले पंडित जवाहर लाल नेहरू, चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, चौधरी देवीलाल, प्रकाश सिंह बादल, शरद पवार, बीजू पटनायक जैसे नेताओं के वंशवाद को बढ़ावा देने पर देश का Weak Opposition साबित हो रहा है।

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भाजपा लोगों को यह समझाने में कामयाब हो रही है कि क्या विभिन्न प्रदेशों पर वंशवाद के बल पर ही राज होगा। यह  Modi’s strategy है कि वह हर चुनाव में वंशवाद पर हमला बोलते हैं। उन्होंने वंशवाद के मुद्दे को लगातार कब्जाया हुआ है। यह वंशवाद पर टिका विपक्षी नेतृत्व ही है कि देश में मोदी सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन राजनीतिक दलों का खड़ा नहीं हो पा रहा है। इसकी बड़ी वजह यह है कि वंशवाद के बल पर टिके इन सभी नेताओं में वह दमखम नहीं है जो आज की तारीख में बदलाव करने के लिए जरूरी है। यही वजह है कि जहां विपक्ष को सत्तापक्ष पर आक्रामक होना चाहिए था वहीं सत्तापक्ष विपक्ष पर आक्रामक है।

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उत्तर प्रदेश में लोकसभा उप चुनाव में बीजेपी ने अखिलेश यादव के कमजोर नेतृत्व के चलते ही रामपुर और आजमगढ़ की लोकसभा सीेटें उनसे छीनी हैं। यह मोदी की वंशवाद पर प्रहार की ही रणनीति रही है कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को आगे कर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन से बनी उद्ध ठाकरे की सरकार गिराई गई। आज की तारीख में अधिकतर विधायक शिंदे गुट के साथ हैं। मोदी ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनवाकर वंशवाद में बगावत का एक बड़ा संदेश दिया है। इसमें दो राय नहीं कि यदि भाजपा वंशवाद के खिलाफ आक्रामक रही तो विपक्ष सत्तापक्ष पर पूरी तरह से आक्रामक नहीं हो पाएगा। ऐसे में Weak Opposition ही कहा जाएगा

Modi’s Strategy : इसका बड़ा कारण यह है कि लंबे समय समय तक बिहार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, झारखंड में वंशवाद के बल पर चल रही पार्टियों ने ही राज किया है। आज की तारीख में जनता में वंशवाद के बल पर टिके नेतृत्व के प्रति बहुत नाराजगी है, जिसका फायदा लगातार भाजपा उठा रही है। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्मयंत्री योगी आदित्यनाथ की आक्रामक भाषा शैली के सामने वंशवाद पर टिका नेतृत्व वैसे भी बौना नजर आ रहा है। यही वजह है कि देश में सत्ता की मनमानी चल रही है और यदि कांग्रेस को छोड़ दें तो पूरा का पूरा विपक्ष बस बयानबाजी तक सिमटा हुआ है।

Opposition not United : सड़क पर उतरने में क्षेत्रीय दल घबरा रहे प्रतीत हो रहे हैं। भाजपा की यह भी बड़ी मजबूती है कि जब भी विपक्ष को एकजुट होकर मजबूती दिखानी होती है तो वह बंटा नजर आता है। अब राष्ट्रपति चुनाव में जब ममता बनर्जी ने विपक्ष को एकजुट करने का प्रयास किया तो आम आदमी पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने कांग्रेस का हवाला देकर इस एकजुटता का विरोध कर दिया। विपक्ष के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा हैं को इन तीनों पार्टियों का समर्थन नहीं है।

कहना गलत न होगा कि वंशवाद पर टिका विपक्षी नेतृत्व बिल्ली के भाग से छींका टूटने की मुद्रा में है। देश में बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है पर किस भी विपक्षी पार्टी का बड़ा आंदोलन देश में देखने को नहीं मिल रहा है। देश में लंबे समय तक चला किसान आंदोलन भी विपक्ष की नि्क्रिरयता का ही परिणाम था। अग्निपथ योजना के खिलाफ युवाओं के गुस्से को भी विपक्ष नहीं भुना पा रहा है। ऐसे लग रहा है कि जैसे विपक्षी पार्टियां सत्तापक्ष से बहुत डरी हुई हैं। यदि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और चंद्रशेखर राव की बात छोड़ दें तो विपक्षी नेता मोदी सरकार के खिलाफ खुलकर नहीं बोल पा रहा है। यदि ओवैसी की बात करें तो वह बस हिन्दू मुस्लिम के मुद्दे पर ही आक्रामक होते हैं।

कहना गलत न होगा कि Opposition not united. देश में बदलाव की बात सोच रहे लोगों को इस बात पर सोचना होगा कि वंशवादी नेतृत्व की कमजोरी का फायदा उठाते हुए बीजेपी ने अपनी जड़ें बहुत मजबूत कर ली हैं। आज की भाजपा आजादी के समय की कांग्रेस है। जब तक देश में जेपी क्रांति या फिर अन्दा आंदोलन जैसा बड़ा माहौल मोदी सरकार के खिलाफ नहीं बनेगा तब तक बदलाव की बात करना बेमानी लग रहा है। वैस भी देश में जितने भी बदलाव हुए हैं उनमें बड़े स्तर पर विपक्ष नेता जेल गये हैं। लाठियां खाई हैं। बड़ी कुर्बानियां दी गई हैं।

जेपी आंदोलन में तो डेढ़ साल तक विपक्ष के नेता जेल में रहे थे। आज के वंशवादी नेता जहां लाठी खाने से बचते हैं वहीं जेल में जाने से डरते हैं। यही वजह है कि विपक्षी दलों का कोई बड़ा आंदोलन मोदी सरकार के खिलाफ नही हुआ है। भाजपा में भले ही रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह नोएडा से विधायक हों, भले ही वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत भाजपा में ठीकठाक पद पर हों, भले ही मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी सांसद हों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा में भी Attack on Dynasty हैं। वंशवाद को न पनपने के लिए बयान देकर माहौल बनाते रहते हैं।

– चरण सिंह राजपूत 

 

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