चरण सिंह राजपूत
मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को कब्जाने के झगड़े में अलग-अलग हुए चाचा शिवपाल यादव और भतीजा अखिलेश यादव इन विधानसभा चुनाव में मिल गये हों पर यह खेल अभी खत्म नहीं हुआ है। मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना गु्प्ता के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी अर्पणा यादव ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेकर नेताजी की राजनीतिक विरासत पर अपनी ताल ठोक दी है। अर्पना यादव ने बाकायदा मुलायम सिंह यादव से मिलकर उनका आशीर्वाद भी ले लिया है। भले ही इस मामले को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हों पर अर्पणा यादव के साथ ही मुलायम सिंह के समधी विधायक हरिओम यादव और साढ़ू प्रमोद गुप्ता ने भी भाजपा में शामिल होकर इस मुहिम को बढ़ावा दिया है। अखिलेश यादव के लिए मंथन का विषय यह भी है कि संभल की गुन्नौर विधानसभा सीट पर चाचा शिवपाल यादव को टिकट न देने पर उन्हें शिवपाल यादव को परिवार की नाराजगी का सामना फिर करना पड़ सकता है। भले ही शिवपाल यादव अभी कुछ न बोल रहे हों पर आने वाले समय में कुछ भी हो सकता है। जहां अर्पना यादव कई बार शिवपाल यादव की तारीफ कर चुकी हैं वहीं शिवपाल यादव योगी आदित्यनाथ की भी तारीफ कर चुके हैं। गुन्नौर सीट पर टिकट कटने पर शिवपाल यादव की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नेताओं में भी नाराजगी है। वैसे भी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से काफी नेता टिकट मिलने की ऊमीद लगाए बैठे थे। दरअसल अर्पणा यादव की छवि एक सामाजिक कार्यकर्ता की है।
दरअसल भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने के बाद अपर्णा यादव ने लखनऊ आकर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की और उनका आशीर्वाद लिया। अर्पणा यादव ने बाकायदा नेताजी से आशीर्वाद लेने की तस्वीर अपने सोशल मीडिया हैंडल से शेयर की है ।
इसमें दो राय नहीं कि सत्ता में न रहते हुए भी उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के परिवार का जलवा अब भी बरकरार है। समाजवादी पार्टी भले ही 5 साल से सत्ता से बाहर हो लेकिन यादव परिवार के 8 सदस्य प्रदेश में प्रमुख राजनीतिक ओहदों पर हैं। जलवा भी ऐसा है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में यहां भाजपा ने अपना प्रत्याशी ही नहीं उतारा। नतीजतन अखिलेश के चचेरे भाई अभिषेक निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुन लिए गए। मुलायम सिंह यादव खुद मैनपुरी से सांसद हैं। अखिलेश यादव आजमगढ़ से रामगोपाल यादव राज्यसभा से सांसद हैं। शिवपाल यादव जसवंतनगर से विधायक हैं तो मृदला यादव सैफई से बीडीसी, सरला यादव इटावा को-ऑपरेटिव बैंक की अध्यक्ष हैं। शिवपाल यादव का बीटा आदित्य यादव यूपी को-ऑपरेटिव चेयरमैन है।
मुलायम के भतीजे स्व. रणवीर सिंह की पत्नी व बिहार के लालू प्रसाद यादव की समधन मृदुला यादव निर्विरोध बीडीसी सदस्य पंचायत चुनी गईं। अभिषेक यादव अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। जिलापंचायत अध्यक्ष सीट पर अभिषेक यादव दोबारा निर्विरोध हुए हैं। समाजवादी पार्टी के युवा चेहरा धर्मेंद्र यादव अखिलेश यादव के चचेरे भाई हैं। बदायूं से सांसद चुने जाते थे। इस बार मोदी लहर में उनकी सीट उनके हाथ से फिसल गई। वह पार्टी में और परिवार में अहम स्थान रखते हैं। मुलायम सिंह यादव के दूसरे भतीजे स्व. रणवीर के पुत्र व लालू प्रसाद के दामाद तेज प्रताप यादव मैनपुरी से सांसद थे। मुलायम सिंह ने अपनी कमाई यह सीट तेज प्रताप को दी थी। हालांकि, पिछले चुनाव में खुद मुलायम इस सीट से लड़े। डिंपल यादव अकसर अखिलेश यादव के चुनाव प्रचार में देखी जाती हैं। वह मुलायम परिवार की बहू हैं। सांसद रह चुकी हैं।
डिंपल यादव सपा की एक मात्र महिला नेता हैं। डिंपल अखिलेश यादव की पत्नी हैं। कन्नौज से सांसद रह चुकी हैं। फिरोजाबाद से भी वह चुनाव लड़ चुकी हैं। प्रचार-प्रसार में पार्टी की कमान संभालती हैं। अक्षय यादव रामगोपाल यादव के बेटे हैं। रामगोपाल यादव का पार्टी में बड़ा वर्चस्व होने के चलते अक्षय यादव भी पार्टी के टिकट से बड़े चुनाव लड़ते रहे हैं। वह फिरोजाबाद से सांसद रह चुके हैं।
इटावा के सैफई गांव में एक किसान परिवार में 22 नवंबर 1939 में जन्मे मुलायम सिंह यादव को उनके पिता सुधर सिंह यादव पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन यही शौक उन्हें राजनीति की ओर ले गया। मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता में उनके राजनीतिक गुरु नत्थू सिंह उनसे प्रभावित हुए।
नत्थूसिंह के ही परंपरागत विधान सभा क्षेत्र जसवंत नगर से उनका राजनीतिक सफर भी शुरु हुआ। शिक्षक पद से त्यागपत्र देने के बाद वह पूरी तरह सक्रिय राजनीति में आ गए और 1967 में सोशलिस्ट पार्टी से चुनाव लड़कर जीते। 1977 में उन्हें जनता सरकार में मंत्री बनाया गया। 1980 में कांग्रेस सरकार में भी वे मंत्री रहे। पांच दिसंबर 1989 में वह पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। लेकिन, मुलायम यूपी में समाजवाद का परचम फहराने के लिए दृढ़ प्रतिज्ञ थे। इसलिए राजनीतिक उतार-चढ़ावों के तमाम क्रमों के बीच 1992 में उन्होंने समाजवादी पार्टी बनाई और प्रदेश की राजनीति में पिछड़ों व मुस्लिमों का मजबूत समीकरण खड़ा किया ।