नई दिल्ली | पेशेवर और बौद्धिक विकास के क्षेत्र में आपसी सहयोग के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) और द पोलिश चेम्बर ऑफ स्टेट्यूटरी ऑडिटर्स (पीआईबीआर) के बीच समझौता-ज्ञापन को मंजूरी दे दी गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने बुधवार को यह मंजूरी प्रदान की। आईसीएआई विश्व के 47 देशों के 73 शहरों में अपने चैप्टर्स एंड रिप्रेजेंटेटिव कार्यालयों के विस्तृत नेटवर्क के जरिये इन देशों में प्रचलित तौर-तरीकों को साझा करने में महžवपूर्ण भूमिका निभाता है। ताकि भारत सरकार उन उत्कृष्ट व्यवहारों को अपनाकर विदेशी निवेश को आकर्षित कर सके तथा उन्हें भारत में अपने संस्थान स्थापित करने के लिये प्रोत्साहित कर सके। आईसीएआई सदस्य देशभर के विभिन्न संगठनों में मध्यम से उच्च स्तरीय पदों पर काम करते हैं। वे देश के उन संगठनों में निर्णय, नीति निर्माण रणनीतियों को प्रभावित करने की स्थिति में होते हैं।
प्रस्तावित समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य है ब्लॉकचेन, स्मार्ट कॉन्ट्रेक्ट प्रणाली, पारंपरिक लेखा-कार्य से क्लाउड लेखा-कार्य में अंतरण आदि को शामिल करना। लेखा-परीक्षा और लेखा-कार्य के क्षेत्र में नये तरीकों के इस्तेमाल तथा अध्ययन सम्बन्धी विषयों में सहयोग को मजबूती देना।
आईसीएआई और पीआईबीआर ने यह भी तय किया है कि वे पेशेवर संगठनों द्वारा प्रकाशित पुस्तकों, पत्रिकाओं और अन्य प्रकाशनों के आदान-प्रदान, लेखा-परीक्षा और लेखा-कार्य पर लेखों का दोनों पक्षों की पत्रिकाओं तथा वेबसाइटों पर आपसी प्रकाशन करेंगे तथा भ्रष्टाचार और धनशोधन के खिलाफ लड़ाई में आपस में सहयोग करेंगे।
आईसीएआई और पीआईबीआर, पोलैंड के बीच समझौता-ज्ञापन के जरिये आईसीएआई के सदस्यों को पोलैंड में व्यावसायिक अवसर मिलेंगे। इस तरह यूरोप में उनकी उपस्थिति दर्ज होगी। ये अवसर अल्पकालीन होने के साथ-साथ दीर्घकालीन होंगे।
इस समझौता-ज्ञापन का उद्देश्य है कि आईसीएआई और पीआईबीआर के सदस्यों के बीच आपसी तौर पर लाभकारी सम्बन्ध विकसित करने के लिये मिलकर काम करना। समझौते के तहत, आईसीएआई लेखा-कार्य के व्यवसाय में सेवाओं के निर्यात के लिये पोलैंड के साथ साझेदारी मजबूत करने में सक्षम होगा।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेन्ट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) एक विधिक निकाय है, जिसे सनदी लेखाकार अधिनियम, 1949 के तहत स्थापित किया गया था, ताकि भारत में लेखा परीक्षकों के व्यवसाय को नियमबद्ध किया जा सके। आईसीएआई ने शिक्षा, व्यावसायिक विकास, उच्च लेखा-कार्य विधि, लेखा-कार्य और लेखा आचार मानकों को कायम रखने तथा उन्हें आगे बढ़ाने में योगदान किया है।