नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन हेतु प्रधानमंत्री से मनुहार

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  नालंदा के चतुर्दिक विकास हेतु बने ‘ नालन्दा विकास प्राधिकरण ‘

 

राजगीर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से नवनिर्मित नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन करने के लिए राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास द्वारा अनुरोध किया गया है। न्यास अध्यक्ष नीरज कुमार द्वारा प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन में नालन्दा विश्वविद्यालय का उद्घाटन और विश्व धरोहर प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष का दर्शन के लिये मनुहार किया गया है। उन्होंने कहा है कि आपके
(प्रधानमंत्री) द्वारा प्रतिदिन देशभर में हजारों संस्थानों और योजनाओं का उद्‌द्घाटन किया गया जा रहा है. उसी कड़ी में नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया जाना भी अपेक्षित श्रेयस्कर है। नालंदा पधारकर अथवा विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से देश के एकमात्र नालंदा अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय का उद्घाटन करने की महती कृपा की जाय। ज्ञापन में कहा गया है कि वर्षों पहले से नालंदा विश्वविद्यालय बनकर तैयार है। लेकिन अबतक इसका उद्घाटन तक नहीं हुआ है। इससे स्थानीय लोगों में मायूसी और गहरी चिंता है। नीरज कुमार ने कहा है कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष को आपके अथक प्रयास बाद यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है। लेकिन विश्व धरोहर के मानदण्डों को यह विरासत आजतक पूरा नहीं करता है। नालन्दा महज धरोहर नहीं, बल्कि विचार, संस्कृति और भारत का गौरव है। आश्चर्य है कि विश्व धरोहर का दर्जा मिलने के पहले जैसा प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष था, वैसा ही आज भी है। उसके रखरखाव में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। देश- दुनिया से आये पर्यटकों को विश्व धरोहर की सुविधा नहीं मिलने से मायूसी है। इस विश्व धरोहर के मुख्य प्रवेश द्वार के आसपास पीने के पानी और सार्वजनिक शौचालय तक का घोर अभाव है। धरोहर के ईर्दगिर्द बफर जोन, ड्रेनेज, पार्किंग, बेंडिंग जोन आदि का निर्माण अबतक नहीं कराया गया है। ज्ञानभूमि नालन्दा केन्द्रीय और राज्य सरकार दोनों से उपेक्षित है। यही कारण है कि विश्व विख्यात नालंदा में सैलानियों के विश्राम के लिए एक भी होटल तक नहीं है। गौरवशाली इतिहास के अनुकूल ज्ञानपीठ नालंदा का उत्तम ढंग से विकास किया जाय, तो यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। पर्यटन से हजारों स्थानीय नौजवानों को रोजगार का अवसर मिल सकता है।

— नालंदा के चतुर्दिक विकास हेतु बने ‘ नालन्दा विकास प्राधिकरण ‘

प्राचीन नालन्दा विश्वविद्यालय परिसर के केवल 10 फीसदी भूभाग का उत्खनन करीब सवा सौ साल पहले अंग्रेजों द्वारा किया गया था। विश्वविद्यालय का शेष भाग अभी भी जमींदोज है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का ध्यान इस ओर अनेकों बार आकृष्ट कराया गया है। लेकिन अभी तक कोई कारवाई नहीं हुई है। न्यास द्वारा
नालन्दा के चर्तुदिक विकास और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष की खुदाई के लिए “नालन्दा विकास प्राधिकरण” बनाने का सुझाव प्रधानमंत्री को दिया गया है।

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