चरण सिंह
आजाद समाज पार्टी के संरक्षक और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने जिस तरह से लोकसभा में बीजेपी पर आजम खां का उत्पीड़न करने का आरोप लगाया, जिस तरह से वह जेल में उनके बेटे अब्दुल्ला आजम से मिले और इस संकट के समय उनके परिवार के साथ रहने का वादा किया। जिस तरह से जब चंद्रशेखर आजाद पर हमला होने के बाद आजम खां अपने बेटे के साथ चंद्रशेखर आजाद से मिलने उनके घर पहुंचे थे और चंद्रशेखर आजाद पर लाड़ उडेला था। जिस तरह से चंद्रशेखर आजाद ने नगीना लोकसभा सीट पर दलितों के साथ ही मुस्लिमों का वोट हासिल किया। वह भी तब जब बसपा मुखिया मायावती ने उनकी पार्टी को वोट कटुवा तो अखिलेश यादव ने उनके लिए सीट नहीं छोड़ी। इन सब बातों के आधार पर कहा जा सकता है कि चंद्रशेखर आजाद आने वाले समय में न केवल बसपा मुखिया मायावती बल्कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के के लिए भी दिक्कतें पैदा कर सकते हैं।
दरअसल चंद्रशेखर आजाद नगीना से सांसद बनने के बाद फुल फॉर्म में हैं। यूपी उप चुनाव में वह दलित-मुस्लिम समीकरण बनाने में लगे हैं। देखने की बात यह है कि मायावती के बीजेपी के दबाव में होने की वजह से उत्तर प्रदेश विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दलित चंद्रशेखर आजाद को ज्यादा पसंद कर रहे हैं। भले ही मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी बनाया हो पर गत लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उन्होंने उन्हें घर बैठा दिया था तथा उन्हें अपरिपक्व नेता करार दे दिया था, उससे दलितों में गलत संदेश गया। वैसे भी मायावती और अखिलेश यादव आरामतलबी राजनीति कर रहे हैं तो चंद्रशेखर आजाद एक आंदोलनकारी नेता के रूप में काम कर रहे हैं। चाहे किसानों का आंदोलन हो, मजदूरों का आंदोलन हो वकीलों का आंदोलन या फिर कोई और समस्या को लेकर आंदोलन हो हर जगह चंद्रशेखर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश करते हैं।
लोकसभा चुनाव में जिस तरह से मुस्लिम इंडिया ब्लॉक की ओर गया और मुस्लिमों का रुख कांग्रेस की ओर माना जा रहा है और कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ रही है। आजम खां प्रकरण को लेकर उत्तर प्रदेश का मुस्लिम समाज अखिलेश यादव से नाराज देखा जा रहा है, ऐसे में चंद्रशेखर आजाद का प्रयास है कि मुस्लिम वोटबैंक आजाद समाज पार्टी को मिले। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद लगातार अखिलेश याादव की टेंशन बढ़ा रहे हैं। भले ही चंद्रशेखर आजाद अखिलेश यादव को बढ़िया नेता बता रहे हों पर लोकसभा चुनाव में उनके लिए सीट न छोड़ने की टीस चंद्रशेखर आजाद में है। वैसे भी चंद्रशेखर आजाद ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने दम पर चुनाव लड़ेंगे। फिलहाल उनकी पार्टी किसी से गठबंधन नहीं करने जा रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा उप चुनाव में चंद्रशेखर आजाद का प्रयास है कि वह खाता खोलें। उप चुनाव में यदि चंद्रशेखर आजाद का खाता खुल जाता है तो आने वाले समय में उनकी पार्टी के लिए बड़ा रास्ता तैयार हो जाएगा।