वृद्धों को बस चाहिए, बस इतनी सौगात।
लाठी पकड़े हाथ हो, करने को दो बात।।
वृद्धों की हर बात का, कौन करे अब ख्याल।
आधुनिकता की आड़ में, हर घर है बेहाल।।
यश वैभव सुख शांति के, यही सिद्ध सोपान।
घर हो बिना बुजुर्ग सखे, एक खाली मकान।।
होते बड़े बुजुर्ग है, सारस्वत सम्मान।
मिलता इनसे ही हमें, है अनुभव का ज्ञान।।
सबकी खिड़की बंद है, आया कैसा काल।
बड़े बुजुर्गो को दिया, घर से आज निकाल।।
बड़े बुजुर्गो से मिला, जिनको आशीर्वाद।
उनका जीवन धन्य है, रहते वो आबाद।।
सुनते नहीं बुजुर्ग थे, जहाँ बहू के बोल।
आज वहाँ हर बात पर, होते खूब कलोल।।
बड़े बुजुर्गो का सदा, जो रखता है ध्यान।
बिन मांगे खुशियाँ मिले, बढ़ता है सम्मान।।
अब ना बड़े बुजुर्ग की, पूछे कोई खैर।
है एकल परिवार में, मात- पिता भी गैर।।
डॉ. सत्यवान सौरभ