पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में जाति गणना की मांग उठाई। अपनी बात मजबूती से रखते हुए अखिलेश यादव ने गैर समाजवादी पार्टी दलों को जाति जनगणना मामले में अपने साथ लाने का प्रयास किया। नीतीश सरकार का उदाहरण देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि जब बिहार जाति जणनगना हो सकती है तो फिर उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं हो सकती है। इस बीच में उन्होंने बीजेपी के पाल में जाने वाले ओमप्रकाश राजभर से जातिगणना कराने के में उनकी राय जाननी चाहिए।
दरअसल अखिलेश यादव आजकल पूरी तरह से पिछड़ों की राजनीति पर ध्यान दे रहे हैं। यही वजह है कि राम चरित मानस मामले में उन्होंने स्वामी प्रसाद मार्य के तमाम विरोध के बावजूद उनका साथ दिया है। पिछड़ों की लड़ाई में उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य को प्रमुख रूप से अपने साथ लिया हुआ है। वैसे भी समाजवादियों की राजनीति पिछड़ों के हक-हकूक की लड़ाई को लेकर रही है। डॉ. राम मनोहर लोहिया की पिछड़ों की राजनीति को ही अखिलेश यादव के पिताजी और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने भी डॉ. राम मनोहर लोहिया के पदचिह्नों पर चलते हुए पिछड़ों की राजनीति की। चौधरी चरण सिंह भी पिछड़ों की राजनीति पर ज्यादा जोर देते थे।