यूपी उप चुनाव में भूपेंद्र सिंह हुड्डा वाली गलती कर गये अखिलेश!

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चरण सिंह
भले ही उत्तर प्रदेश में सपा मुखिया अखिलेश यादव कांग्रेस को भाव न देकर खुश हो रहे हैं। भले ही वह इसे हरियाणा में हुए अपमान का बदला मान रहे हों पर उत्तर प्रदेश में एक भी सीट कांग्रेस के सिंबल पर न लड़े जाने का नुकसान अखिलेश यादव को उठाना पड़ सकता है। दरअसल भले ही हरियाणा में कांग्रेस हार गई हो पर मुस्लिम राहुल गांधी को अपना नेता मानते हैं। जिसका प्रमाण हरियाणा विधानसभा चुनाव में मेवात में हुई कांग्रेस की जीत है। यदि उत्तर प्रदेश के मुस्लिमों में यह संदेश चला गया कि अखिलेश यादव ने जानबूझकर कांग्रेस को सीटें नहीं दी हैं और कांग्रेस के नेता इस बात को लेकर नाराजगी जता देते हैं तो मुस्लिम वोटबैंक आजाद समाज पार्टी की ओर जा सकता है। इसकी बड़ी वजह यह है कि आज की तारीख में दलित मायावती से ज्यादा चंद्रशेखर आजाद में विश्वास जता रहे हैं। यदि उत्तर प्रदेश के उप चुनाव में मुस्लिमों का रुख आजाद समाज पार्टी की ओर हो गया तो समझ लीजिए कि अखिलेश यादव को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे भी बसपा के साथ ही पीडीएम भी उप चुनाव में हाथ आजमा रही है। असदुद्दीन ओवैसी और पल्लवी पटेल भी अखिलेश यादव को नुकसान पहुंचाने में लगे हैं। ऐसे में पीडीएम और बसपा के प्रत्याशी भी सपा के वोट काट सकते हैं।
दरअसल लोकसभा चुनाव में जो ३७ सीटें सपा ने जीती हैं उनमें कांग्रेस विशेषकर राहुल गांधी का बड़ा योगदान है। अखिलेश यादव को यह समझना होगा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र को जो हवा मिली और राहुल गांधी ने जो आरक्षण और संविधान को लेकर माहौल बनाया उसका फायदा सपा को मिला। यदि उत्तर प्रदेश में सपा के खिलाफ यह संदेश चला गया कि वह कांग्रेस को तवज्जो नहीं दे रहे हैं तो उसका खामियाजा सपा को उठाना पड़ सकता है। ऐसे में मुस्लिम आजाद समाज पार्टी की ओर जा सकता है। नगीना लोकसभा चुनाव में मुस्लिमों ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से ज्यादा चंद्रशेखर आजाद को ज्यादा पसंद किया। दरअसल कांग्रेस उप चुनाव में ३-५ सीटें मांग रही थी। जब अखिलेश यादव ने सात सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिये गये तो कांग्रेस नेताओं में नाराजगी देखी गई। फिर एक चर्चा चली कि फूलपुर सीट पर कांग्रेस के अजय राय चुनाव लड़ रहेे हैं। हालांकि सपा के मुर्तजा सिद्दीकी ने फूलपुर से पर्चा भर दिया था। जब अखिलेश यादव ने बची खैर और गाजियाबाद सीट पर भी सपा के सिंबल पर प्रत्याशी उतार दिये तो यह माना गया कि कांग्रेस को अखिलेश यादव ने साइकिल पर हाथ नहीं रखने दिया।
देखने की बात यह है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जिस रणनीति के साथ चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में अखिलेश यादव भी वह गलती कर गये जो गलती भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हरियाणा में की है। योगी आदित्यनाथ और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मथुरा में हुई मीटिंग से यह संदेश गया है कि मोहन भागवत ने योगी आदित्यनाथ को पूरी ताकत से साथ उप चुनाव लड़ाने का भरोसा दिया है। ऐसे में यदि योगी का बंटोगे तो कटोगे का नारा चल निकला तो सपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। वैसे भी जातीय आंकड़ों के अलावा अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में ऐसा कुछ नहीं किया जिसके चलते उन्हें वोट मिले। विपक्ष में रहने के बावजूद समाजवादी पार्टी ने किसान-मजदूर और युवाओं के लिए कोई आंदोलन नहीं किया। देखने की बात यह है कि इन उप चुनाव में योगी आदित्यनाथ को भी लोकसभा में हुई हार का बदला चुकता करना है। यह सदेश देना है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा की हार उनकी वजह से नहीं बल्कि दिल्ली की वजह से हुई थी। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और सपा के बीच किस तरह की टक्कर देखने को मिलती है। क्योंकि दोनों ही पार्टियां अपने ही सिंबल पर सभी सीटें लग रही हैं।

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