नीतीश हैं नाराज या बीजेपी में गड़बड़ी?
दीपक कुमार तिवारी
पटना। बूंद-बूंद से घड़ा भरता है। शिकायत दर शिकायत से नाराजगी बढ़ती है। हाल के दिनों में देखें तो जनता दल यू और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच या तो तालमेल का अभाव है या फिर यह महज संयोग हो सकता है। मगर देखा जाए तो इधर ऐसे कई कार्यक्रम हुए, जिनमें भाजपा और जदयू मंत्रियों के बीच तालमेल का अभाव दिखा। आगामी विधान सभा चुनाव के इस कगार पर दोनों दलों के नेताओं के दिल नहीं मिलने को लेकर राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर चर्चा इस बात को लेकर तेज हो गई है कि कहीं कुछ अलग खिचड़ी तो नहीं पक रही है। इन चर्चाओं के बीच इस महीने में लगातार दूसरी बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के बिहार आगमन की खबर ने इस बात को हवा दे दी कि क्या जेपी नड्डा फिर डैमेज कंट्रोल को लेकर आ रहे हैं?
भाजपा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय अध्यक्ष सह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा 28 सितंबर (शनिवार) को एक दिवसीय दौरे पर पटना आ रहे हैं। सितंबर माह में लगातार दूसरी बार बिहार आने को लेकर यह चर्चा है कि पब्लिक प्लेटफॉर्म पर जदयू और भाजपा के मंत्रियों का अनुपस्थित रहने से गलत संदेश जाता है।
इसलिए प्रदेश नेतृत्व को अगर कोई बात चुभ रही है तो वे डैमेज कंट्रोल के तहत आ रहे हैं। अपनी पहली यात्रा में भी जेपी नड्डा डैमेज कंट्रोल के लिए आए और पलटी मारने की खबर को राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से खंडन कराया। हालांकि प्रदेश भाजपा के अनुसार जेपी नड्डा के आगमन का कारण यह बताया जा रहा है कि वह राज्य के सांसद, विधायक, विधान पार्षद सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ भाजपा के चल रहे सदस्यता अभियान की समीक्षा करेंगे। सदस्यों की संख्या और बढ़ाने को लेकर विचार-विमर्श करेंगे।
दरअसल, हो यह रहा है कि कुछ सरकारी कार्यक्रमों में बीजेपी-जेडीयू के बीच रिश्ते में कुछ गड़बड़ी दिखाई पड़ रही है। अब यह महज संयोग भी हो सकता है पर किसी सरकारी कार्यक्रम में मंत्रियों का नहीं रहना शक तो पैदा करता है।
बापू सभागार में 19 सितंबर को वेस्ट मैनेजमेंट को एक कार्यक्रम था, जिसमें राज्यपाल विश्वनाथ आर्लेकर के साथ प्रोग्राम में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा, विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव, नगर विकास मंत्री नितिन नवीन मौजूद थे। लेकिन जेडीयू के एक भी शीर्ष नेता मौजूद नहीं थे। वैसे इस कार्यक्रम में सीएम नीतीश कुमार के आने की भी संभावना थी। पर अंततः जदयू से किसी मंत्री ने शिरकत नहीं की।
वहीं इसी दिन सीएम नीतीश ने 4 एक्सप्रेस-वे को लेकर हाई लेवल मीटिंग बुलाई थी। लेकिन विभाग के मंत्री और डेप्युटी सीएम विजय सिन्हा ने भी इस बैठक से किनारा किया। जबकि इस बैठक में योजना की जानकारी देनी थी।
बिहार जिस अग्निकांड के करने देश भर में चर्चा में है उस नवादा अग्निकांड को लेकर हुई बैठक में सीएम तो मौजूद थे। पर लॉ एंड ऑर्डर की इस बैठक में एडीजी, मुख्य सचिव और डीजीपी और ना ही उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी या विजय सिन्हा नजर ही नजर आए।
इसी माह पर्यटन विभाग की कुछ योजनाओं की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने समीक्षा की, जिसमें मंत्री और बीजेपी नेता नीतीश मिश्रा गायब रहे। अपने ही मंत्रालय की बैठक में वह सीएम के साथ मौजूद नहीं थे।
राजद को इसकी सच्चाई जानने की कोई जरूरत नहीं। उनके प्रवक्ता अरुण यादव और भी मिर्च लगाते हुए कहते हैं कि भाजपा नीतीश कुमार का अपमान करने पर तुली है। लोकसभा चुनाव में लगातार पीएम नरेंद्र मोदी की मिली जीत के बाद प्रदेश भाजपा खुद को बड़ा भाई साबित करने के लिए ऐसी हरकत कर रही है। लेकिन सच्चाई यही है कि जदयू का साथ जहां छूटा भाजपा न तो तीन में रहेगी और तेरह में। 2015 विधान सभा चुनाव से भी बदतर हालत में भाजपा पहुंच जाएगी।