आप मस्जिद तोड़ते हो
आप मदरसे खत्म करते हो
आप रंग-रूप को आतंकी बनाते हो
आप रस्मों रिवाजों को ज़िहाद बोलते हो
बेशक आप मस्जिद तोड़ सकते हो
मदरसे भी गिरा सकते हो
पर आप उनके दिलों से ख़ुदा नहीं निकाल सकते
जुबां से “अल्लाह हू अकबर” नहीं खत्म कर सकते
आप इमारतें खत्म कर सकते हो
पर हमारे ख़ुदा को नहीं …
आप इंसान को खत्म कर सकते हो
पर उसके विश्वास को नहीं …
और जब तक विश्वास ज़िंदा है
धर्म भी ज़िंदा रहेगा ….
धर्म कल भी स्वतंत्र था
धर्म आज भी स्वतंत्र है …
के एम भाई