प्रिंसिपल को स्कूल का अभिभावक माना जाता है। और जब प्रिंसिपल की ही गंदी नजरें छात्राओं पर रहेंगी तो फिर उन छात्राओं की अस्मत की रक्षा कौन करेगा। जी हां हरियाणा के जींद जिले के एक सरकारी स्कूल में एक प्रिंसिपल पर यौन शोषण का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 142 छात्राओं ने पत्र लिखा है। इस पत्र में इन छात्राओं ने आरोप लगाया है कि प्रिंसिपल उनको गलत ढंग से छूता है। उनका यौन शोषण करता है। सितम्बर माह में इस स्कूल की एक छात्रा के आत्महत्या करने का मामला भी सामने आया है। हालांकि पुलिस प्रशासन और छात्राओं के परिजन मामले को स्कूल से अलग कर रहे हैं पर छात्राएं आत्महत्या का कारण यौन शोषण ही बता रहे हैं। मामले की जांच करते हुए प्रिंसिपल को गिरफ्तार कर लिया गया है। प्रिंसिपल को बर्खास्त कर महिला प्रिंसिपल को नियुक्त किया गया है।
राष्ट्रपति को भेजे गए पत्र से इस स्कूल की बेहद गंदी हकीकत सामने आई है। पता चला है कि छह साल से ये बच्चियां इस प्रिंसिपल की दरिंदगी झेलने को मजबूर थी।
स्कूल के प्रिंसिपल का नाम करतार सिंह है और इस पर छह साल की अवधि में उनका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया गया है।
विभाग की जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रिंसिपल के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई को मंजूरी दी है।
दरअसल एसडीओ उचाना ने इस मामले में रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रिंसिपल करतार सिंह ने सैकड़ों छात्राओं के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की और उनका यौन शोषण किया। कई छात्राओं ने प्रिंसिपल के खिलाफ दुर्व्यवहार के बयान दिए हैं, जिसके बाद मामले की गंभीरता और प्रिंसिपल के खिलाफ आरोपों को देखते हुए यह कार्रवाई की गई है। स्कूल में महिला प्रिंसिपल को नियुक्त कर दिया गया है तथा 16 नए स्टाफ की भी नियुक्ति की गई है।
जींद जिले के डिप्टी कमिश्नर मोहम्मद इमरान रजा ने कहा है कि एसडीएम के नेतृत्व में एक जांच समिति ने कुल 390 लड़कियों के बयान दर्ज किए। मामले में 142 मामलों की शिकायतें दर्ज की गई हैं। 390 में से 142 लड़कियों ने प्रिंसिपल पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। वहीं, दूसरी ओर बाकी पीड़िताएं यौन शोषण की गवाह रहीं।