सपा गठबंधन से केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ लड़ रहीं पल्लवी पटेल के सिर पर बहुत सारा कर्ज 

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पल्लवी पटेल
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सिराथू में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को घेरने के लिए समाजवादी पार्टी ने पल्लवी पटेल को  उतारा है चुनाव मैदान में, पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं

द न्यूज 15 
लखनऊ । कौशांबी के सिराथू विधानसभा सीट से डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य  के खिलाफ समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी के रूप में अपना दल (कमेरावादी) की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पल्लवी पटेल चुनाव लड़ रही हैं। पल्लवी पटेल केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की बहन हैं, हालांकि इनके बीच काफी समय से विवाद रहा है। नामांकन के दौरान पल्लवी पटेल ने अपनी संपत्ति का ब्योरा दिया है, जिसमें उन्होंने कुल संपत्ति 3.35 करोड़ घोषित की है। हलफनामे के मुताबिक, सपा नेता के ऊपर बैंक का 8.87 लाख रुपए का लोन है। पल्लवी पटेल के पास चल संपत्ति के रूप में 55 लाख रुपए हैं और उनके पति के पास चल संपत्ति के रूप में 18 लाख रुपए हैं। पल्लवी पटेल के पास कुल 2.3 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति है। इसके अलावा, उनके पति के पास अचल संपत्ति के रूप में 31 लाख रूपए हैं। पल्लवी के ऊपर कोई भी केस नहीं है।पल्लवी के पास दर्शनशास्त्र की डिग्री है। चुनावी हलफनामे में पल्लवी पटेल ने अपनी आमदनी का स्रोत व्यवसाय को बताया है।
पल्लवी पटेल के पिता डॉ. सोनेवाल पटेल ने अपना दल नाम की पार्टी बनाई थी। इसी पार्टी को लेकर अनुप्रिया पटेल और उनकी बहन पल्लवी के बीच विवाद चल रहा है। इस विवाद के बाद इन्होंने अपना दल कमरेवादी नामक मोर्चा बनाया, जो सपा के साथ गठबंधन में विधानसभा चुनाव मैदान में है। अपना दल कमरेवादी की अध्यक्ष इनकी मां कृष्णा पटेल हैं।
कृष्‍ण पटेल और सपा गठबंधन को बड़ा झटका :  दूसरी तरफ, यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन करने वाले अपना दल कमेरावादी को उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजवन सिंह पटेल अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। इनके अलावा, भाजपा में शामिल होने वालों में बहराइच से कांग्रेस के पूर्व सांसद कमल किशोर कमांडो की बहू भी हैं।
भाजपा ज्वाइनिंग कमेटी के प्रमुख डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने मंगलवार को राजवन सिंह पटेल को लखनऊ में भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में पार्टी की सदस्यता दिलाई। राजवन के भाजपा में शामिल होने को अपना दल (के) के साथ-साथ सपा गठबंधन के लिए भी बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।

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