केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन राजगीर में निकली भव्य नगर शोभायात्रा

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भगवान राम के समकालीन थे मुनि सुब्रत स्वामी

नौलखा मन्दिर परिसर में हुआ सांस्कृतिक संध्या का यादगार आयोजन

 राजगीर। 20 वें तीर्थंकर भगवान श्री मुनिसुव्रत स्वामी के केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव के दूसरे दिन पर्यटक शहर राजगीर में भगवान की भव्य नगर शोभायात्रा बुधवार को निकाली गई। यह शोभायात्रा श्वेताम्बर कोठी परिसर के नौलखा मंदिर से गाजे बाजे के साथ निकलकर नगर के विभिन्न सड़कों पर शोभायात्रा निकाली गयी। नगर भ्रमण करने के बाद शोभायात्रा फिर नौलखा मंदिर वापस पहुंची। शोभायात्रा में काफी संख्या में जैन श्रद्धालु और स्थानीय भक्तगण नाचते गाते शामिल हुये। शोभायात्रा के पहले रथ पर भगवान मुनि सुब्रत के प्रतिमा रखी गयी थी। पीछे के रथ पर जैन श्रद्धालु पुरुष और महिलायें चल रहे थे। श्रद्धालुओं के द्वारा वस्त्र और रुपये लूटाये गये। नगर शोभायात्रा देखने वालों की भी सड़क किनारे अच्छी खासी भीड़ लगी रही। नगर शोभायात्रा के बाद मुनि सुब्रत स्वामी मन्दिर जी में भगवान के शकस्त अभिषेक का आयोजन विभिन्न द्रव्यों के जल से किया गया। शाम में मुम्बई के कलाकारों और गायकों के द्वारा भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया।

 

सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुये। इस अवसर पर मुनिदादा कल्याणक मंडल, मुंबई के समीर भाई महेता ने कहा कि भगवान श्री मुनिसुव्रत स्वामी का जन्म राजा सुमित्र की धर्मपत्नी रानी पद्यमावती की रत्न कुक्षी से इसी पवित्र नगर राजगीर में हुआ था। भगवान का शरीर श्यामवर्ण का था। उनका लांक्षण कछुआ है। वे भगवान श्री राम के समकालीन थे। भगवान मुनि सुब्रत स्वामी के 18 गणधर थे। उनमें इन्द्र स्वामी प्रथम थे। उन्होनें कहा कि ऐसे धार्मिक आयोजनों से यहाँ का कण कण पवित्र होकर पूरा परिसर भक्तिमय हो गया है। मुम्बई के ही कोमल भाई मेहता ने कहा कि हमलोगों का सौभाग्य है कि जैन धर्म के 24 तीर्थकरों में 22 तीर्थकरों की निर्वाण भूमि बिहार और झारखंड है। हम सभी भाग्यशाली हैं कि हर साल भगवान मुनि सुब्रत स्वामी के केवलज्ञान कल्याणक भूमियों की स्पर्शना करने का बुलावा आता है।

संस्था के ट्रस्टी रणवीर कुमार जैन ने कहा कि तीर्थकरों के जीवन चरित्र का यदि हम अनुशरण करें, तो समस्त मानव जाति का कल्याण हो जायेगा। जियो और जिने दो के सिद्धान्त का पालन करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि जैन तीर्थंकरों के बताये मार्ग पर चलने से विश्व में युद्ध की नौबत नहीं आयेगी। विश्व में शांति और समृद्धि के साथ सभी जगह भाईचारा का माहौल बन जायेगा। कोठी के सहायक प्रबन्धक ज्ञानेन्द्र पाण्डेय ने कहा कि तीर्थंकरों ने भी अपने पूर्व भवों में काफी झंझावात का सामना किया है। उसपर विजय पाकर ही वे तीर्थंकर बनें हैं। जैन धर्म सबों को आपस में मिलजुल कर रहना सिखाता है। सभी जीवों की रक्षा करने का संदेश यह धर्म देता है। महोत्सव के मौके पर आयोजित अलग अलग कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुये हैं। कार्यक्रम में दीपक भाई छेड़ा, समीर मेहता, जिमी मेहता, प्रभुलाल संघवी, परेश संघवी, हनीष संघवी, दीपेश भाई, राजू भाई, विजय भाई, नीलेश भाई, पारस शाह, ललीत शाह, कोमल मेहता, निपुन मेहता, रमेशचन्द भूरा, सुशील कुमार जैन, गुणवंती बेन, मधु बेन, नमीता जैन, गीता बेन, प्रिया बेन, वैशाली बेन, प्रेमलता बेन, पुनम बेन, सुखराज जैन्, जयन्ती भाई मेहता, प्रियंका जैन, भाविन मेहता, भावना मेहता, पूर्णिमा जैन, रेखा जैन, कंचन जैन, सुषमा पाण्डेय, रूपा जैन, परी जैन संस्था के कैशियर संजीव कुमार जैन, सत्येन्द्र कुमार सहित हजारों की संख्या में जैन श्रद्धालु और स्थानीय लोग हजारों की संख्या में शामिल हुये हैं।

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