विलुप्त हो रहे फलों, सब्जियों और अनाज को बढ़ावा देने का प्रयास

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 किसानों को किया गया जागरूक

पीपराकोठी। स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र (केविके) के अटल सभागार में मंगलवार को ‘पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण’ विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण सह जागरूकता कार्यक्रम एवं प्रदर्शनी का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन अटारी पटना के निदेशक डॉ. अंजनी कुमार सिंह, डीएओ मनीष कुमार सिंह, केविके प्रमुख डॉ. अरविंद कुमार सिंह, डीएचओ विकास कुमार एवं आत्मा निदेशक धीर प्रकाश धीर ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।

इस अवसर पर निदेशक डॉ. अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि हमारे पूर्वज ऐसे अनाज, फल-फूल और सब्जियों का उत्पादन करते थे जिनमें औषधीय गुण हुआ करते थे। लेकिन समय के साथ इनकी पैदावार धीरे-धीरे कम होती गई। हालांकि, कुछ किसान आज भी परंपरागत फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, लेकिन इसकी जानकारी सरकार और विभाग के पास नहीं है। ऐसे विलुप्त हो रहे फसलों के संरक्षण और संवर्धन के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

158 परंपरागत फसलों पर शोध:

उन्होंने बताया कि किसानों को उनके परंपरागत फसलों के संरक्षण के लिए सरकार ने पीपीभीएफआरए योजना लागू की है। इसके तहत 158 परंपरागत फसलों को शोध कर विकसित किया गया है।

किसानों को मिलेगा रॉयल्टी और प्रमाण पत्र:

केविके प्रमुख डॉ. अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि जो किसान अपने परंपरागत फसलों के बीज प्रदर्शनी में लाएंगे, उन्हें उनके नाम से पैकिंग कर भेजा जाएगा। साथ ही, ऐसे किसानों को उनके बेहतर उत्पाद के लिए रॉयल्टी के साथ प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा। उन्होंने अन्य किसानों को भी अपने परंपरागत बीज प्रदर्शनी में लाने की अपील की।

कार्यक्रम के बाद निदेशक डॉ. अंजनी कुमार सिंह ने सभी किसानों के स्टॉल का भ्रमण कर उनके बीजों की विशेषताओं के बारे में जानकारी ली।

उपस्थित प्रमुख व्यक्ति:

इस अवसर पर वैज्ञानिक डीएओ मनीष कुमार सिंह, डॉ. आर.बी. शर्मा, राजेश्वर सिंह, जयशंकर सिंह, मनोरंजन सिंह, रामनरेश गिरी, राजन शर्मा, राजेश कुमार यादव, भारत भूषण सिंह सहित अन्य वैज्ञानिक एवं किसान उपस्थित थे।

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