चरण सिंह
कुछ भी हो कांग्रेस पर आज भी कांग्रेस परिवार का होल्ड है। राष्ट्रीय अध्यक्ष भले ही मल्लिकार्जुन खड़गे हों पर कांग्रेस में नेता राहुल गांधी ही हैं। कांग्रेस के लिए हरियाणा विधानसभा भी राहुल गांधी के जाने पर ही बना है। प्रचार से दूर चल रही जो कुमारी शैलजा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज चल रही थीं, राहुल गांधी की पहली रैली में ही वह न केवल मंच पर दिखाई दीं बल्कि उन्होंने जमकर राहुल गांधी की भी तारीफ की ।
दरअसल राहुल गांधी ने हरियाणा में पहुंचकर शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जो मिलाया है उससे विधानसभा चुनाव पर कांग्रेस की पकड़ और मजबूत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कांग्रेस को दलितों और किसानों का विरोधी करार दिया। राहुल गांधी ने हरियाणा जाते ही कंगना राणावत का किसान आंदोलन के दबाव में पीएम मोदी द्वारा वापस लिये गये तीन नये कृषि कानूनों को वापस लाने का बयान गर्मा दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के होते हुए किसी भी हालत में उन काले कानूनों को वापस नहीं लाने दिया जाएगा। पहलवानों के सेक्सुअल हरासमेंट के मुद्दे को उठाकर उन्होंने दिल्ली जंतर-मंतर पर पहलवानों के साथ की गई बदसलूकी को याद करा दिया। विनेश फोगाट के साथ दिल्ली जंतर-मंतर और ओलंपिक में जो हुआ उससे लोगों को अवगत करा दिया। दरअसल पहलवानों का मामला हरियाणा के लोगों के दिलों से जुड़ा है।
दरअसल बीजेपी की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली हरियाणा में हो चुकी है। बीजेपी ने कुमारी शैलजा की नाराजगी और राहुल गांधी के आरक्षण को लेकर दिये गये बयान को लेकर यह माहौल बनाने का प्रयास किया कि हरियाणा का दलित बीजेपी को वोट करने जा रहा है। पर न केवल हरियाणा बल्कि दूसरे प्रदेशों के दलितों के अंदर भी बीजेपी के ४०० के पार जाने पर संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने की नीयत की बात नहीं निकली है।
दरअसल इस समय हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाटों के सर्वमान्य नेता हैं। चौधरी देवीलाल, बंसीलाल, ओमप्रकाश चौटाला के बाद दुष्यंत चौटाला थोड़ा उभरकर सामने आये थे पर खट्टर सरकार में शामिल होने तथा किसान आंदोलन में किसानों के पक्ष में न खड़ा होने की वजह से हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की छवि खराब हुई है। ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना रखा है। साथ ही पहलवानों के बृजभूषण सिंह पर लगाए गए यौन शोषण के आरोप, जंतर मंतर पर पहलवानों का उत्पीड़न भी हरियाणा में बड़ा मुद्दा है। क्योंकि हरियाणा में जाट चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा की स्थिति वहां पर मजबूत मानी जा रही है। देखने की बात यह है कि गत विधानसभा चुनाव में सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा में वर्चस्व की लड़ाई के चलते अंत समय में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव की कमान मिली थी फिर भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस को ३० सीटें दिलवा दी थी।
कुछ भी हो कांग्रेस पर आज भी कांग्रेस परिवार का होल्ड है। राष्ट्रीय अध्यक्ष भले ही मल्लिकार्जुन खड़गे हों पर कांग्रेस में नेता राहुल गांधी ही हैं। कांग्रेस के लिए हरियाणा विधानसभा भी राहुल गांधी के जाने पर ही बना है। प्रचार से दूर चल रही जो कुमारी शैलजा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज चल रही थीं, राहुल गांधी की पहली रैली में ही वह न केवल मंच पर दिखाई दीं बल्कि उन्होंने जमकर राहुल गांधी की भी तारीफ की ।
दरअसल राहुल गांधी ने हरियाणा में पहुंचकर शैलजा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जो मिलाया है उससे विधानसभा चुनाव पर कांग्रेस की पकड़ और मजबूत हो गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो कांग्रेस को दलितों और किसानों का विरोधी करार दिया। राहुल गांधी ने हरियाणा जाते ही कंगना राणावत का किसान आंदोलन के दबाव में पीएम मोदी द्वारा वापस लिये गये तीन नये कृषि कानूनों को वापस लाने का बयान गर्मा दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के होते हुए किसी भी हालत में उन काले कानूनों को वापस नहीं लाने दिया जाएगा। पहलवानों के सेक्सुअल हरासमेंट के मुद्दे को उठाकर उन्होंने दिल्ली जंतर-मंतर पर पहलवानों के साथ की गई बदसलूकी को याद करा दिया। विनेश फोगाट के साथ दिल्ली जंतर-मंतर और ओलंपिक में जो हुआ उससे लोगों को अवगत करा दिया। दरअसल पहलवानों का मामला हरियाणा के लोगों के दिलों से जुड़ा है।
दरअसल बीजेपी की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गृहमंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली हरियाणा में हो चुकी है। बीजेपी ने कुमारी शैलजा की नाराजगी और राहुल गांधी के आरक्षण को लेकर दिये गये बयान को लेकर यह माहौल बनाने का प्रयास किया कि हरियाणा का दलित बीजेपी को वोट करने जा रहा है। पर न केवल हरियाणा बल्कि दूसरे प्रदेशों के दलितों के अंदर भी बीजेपी के ४०० के पार जाने पर संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने की नीयत की बात नहीं निकली है।
दरअसल इस समय हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा जाटों के सर्वमान्य नेता हैं। चौधरी देवीलाल, बंसीलाल, ओमप्रकाश चौटाला के बाद दुष्यंत चौटाला थोड़ा उभरकर सामने आये थे पर खट्टर सरकार में शामिल होने तथा किसान आंदोलन में किसानों के पक्ष में न खड़ा होने की वजह से हरियाणा में दुष्यंत चौटाला की छवि खराब हुई है। ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना रखा है। साथ ही पहलवानों के बृजभूषण सिंह पर लगाए गए यौन शोषण के आरोप, जंतर मंतर पर पहलवानों का उत्पीड़न भी हरियाणा में बड़ा मुद्दा है। क्योंकि हरियाणा में जाट चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा की स्थिति वहां पर मजबूत मानी जा रही है। देखने की बात यह है कि गत विधानसभा चुनाव में सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा में वर्चस्व की लड़ाई के चलते अंत समय में भूपेंद्र सिंह हुड्डा को चुनाव की कमान मिली थी फिर भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कांग्रेस को ३० सीटें दिलवा दी थी।