परशुराम ने 21 क्षत्रियों राजाओं को परास्त किया था न कि 21 बार क्षत्रिय का विनाश !

देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट

मां गंगा का अवतरण,महर्षि परशुराम का जन्मदिन ,मां अन्नपूर्णा का जन्म, द्रोपदी का चीर हरण, कृष्ण सुदामा का मिलन, कुबेर को आज के दिन खजाना मिलना, सतयुग त्रेता युग का प्रारंभ होना, ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय का अवतरण, प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बद्रीनारायण का कपाट खोलना, बांके बिहारी मंदिर में केवल आज ही के दिन विग्रह चरण के दर्शन होना, महाभारत का युद्ध समाप्त होना सारी कल्पित बातें हैं।
महाभारत का युद्ध महाभारत पुस्तक के अनुसार पौष माह में प्रारंभ हुआ था जो 18 दिन तक चला था। दसवीं दिन भीष्म पितामह घायल होकर सरसैया पर लेट गए थे। इस युद्ध के पश्चात 58 दिन तक भीष्म पितामह शरशैया पर पड़े रहे थे। 58 वे दिन उन्होंने देह त्याग किया था।( देखो महाभारत पुस्तक)।
वह दिन होता था जब से सूर्य उत्तर की ओर दक्षिणी गोलार्ध से लौटकर बढ़ना शुरू करता है अर्थात उत्तरायण होता है जिसे हम वर्तमान में मकर संक्रांति के रूप में जानते हैं। जो माघ माह के अंदर आती है। और साथ माघ माह में भीष्म पितामह का शरीर त्याग करना महाभारत पुस्तक से प्रमाणित है ।इसलिए वैशाख के महीने में अक्षय तृतीया के दिन महाभारत का युद्ध समाप्त होने की घटना कल्पित है।
उनके पीछे कोई सत्य नहीं है।
अब अक्षय तृतीया क्या  है तो आओ जानने का कष्ट करें।
अक्षय कहते हैं जिसका क्षरण न होता हो अर्थात जिसका क्षय नहीं होता हो, यानी कि जो कभी कमजोर ना  हो।
और कमजोर होकर कभी मृत्यु को प्राप्त ना हो ।
अब प्रश्न पैदा होता कि ऐसी कौन सी वस्तुएं हैं जिनका क्षय न होता हो कमजोर ना पड़ती हो। और जिनकी मृत्यु न होती हो।
ऐसी केवल तीन ही शक्तियां हैं।
ईश्वर ,जीव और प्रकृति।
यह तीनों अनादि हैं। यह तीनों शाश्वत हैं ,यह तीनों अमर हैं, यह तीनों अक्षय हैं। अर्थात यह तीनों न कभी पैदा होती है न मरती हैं। इसलिए तीनों को अक्षय कहते हैं।
अक्षय तृतीया इन्हीं तीनों का प्रति निरूपण करती हैं।
दूसरी बात पर आते ब्रह्मा जी का पुत्र अक्षय होना।
ब्रह्मा कौन होते हैं?
ब्रह्मा किसे कहते हैं ?
आपके अनुसार तो ऐसा आभास होता है कि ब्रह्मा किसी व्यक्ति का नाम है ,जो अपना परिवार पत्नी, पुत्र, पुत्री रखता है जिसका परिवार होता है अगर वह ऐसा कोई है जिसके पुत्र उत्पन्न हुआ हो तो वह पिता और पुत्र और उसकी संतान और उसकी पत्नी सभी कुछ मर लिए होंगे।
तो फिर वह अक्षय कैसे जो मृत्यु को प्राप्त हो चुके। और यदि वह जीवित हैं अक्षय हैं तो कृपया हमें दर्शन कराने का कष्ट करें।
अरे बंधुओं! ईश्वर को ब्रह्म कहते हैं।( देखो सत्ता प्रकाश का प्रथम समुल्लास)
ईश्वर जो ज्ञान का स्रोत है, जो ज्ञान का पुंज है ,जो प्रकाश पुंज है। जो आदि ज्ञान हैं ,जो ज्ञान का आदि स्रोत है। ईश्वर के इसी स्वरूप को ब्रह्म कहते हैं। और जब वह सृष्टि की रचना करता है तो उसका गुणवाचक नाम हो जाता है ब्रह्मा।
क्योंकि ईश्वर के अनेक नाम हैं जो गुण कर्म और स्वभाव के आधार पर पुकारे जाते हैं।
और ईश्वर के कोई अक्षय नाम का पुत्र नहीं बल्कि उस ब्रह्मा के हम सभी पुत्र हैं।
और हम क्योंकि जीव हैं और हमारे भौतिक शरीर में वह जीव आत्मा निवास करती है इसलिए जीवात्मा अक्षय है जो पंच भौतिक शरीर में अवस्थित रहती है। वस्तुतःयही ईश्वर का ब्रह्म का पुत्र है।
कुबेर भी ईश्वर का नाम है (देखो सत्यार्थ प्रकाश का प्रथम समुल्लास) उस ईश्वर ने जिसने सभी प्रकार के मणी माणिक्य सोना चांदी सभी बनाया है उस कुबेर (ईश्वर) को कहां से खजाना मिलेगा।
और यदि ऐसा मान लें कि कुबेर को आज ही के दिन खजाना मिला था तो इससे पहले कुबेर का नाम कुबेर क्यों पड़ा ?वह तो गरीब था।
मेरा कहने का भावार्थ सिर्फ इतना है कि जो सत्य है उसको ग्रहण करो अनावश्यक, अनर्गल, असत्य,  अवैज्ञानिक , सस्ती क्रम के विपरीत बातों का प्रसारण उपयुक्त नहीं होता, बल्कि इससे तो समाज में अंधविश्वास और अधिक फैलता है।

जबकि बुद्धिमान व्यक्ति का कर्तव्य होता है कि वह कुरीतियों को असत्य को भ्रामक प्रचार को रोके और सत्य को उजागर करें
यहां पर यह उल्लेख करना भी अति आवश्यक एवं आज के दिन के लिए प्रासंगिक है कि परशुराम जी द्वारा क्षत्रियों का विनाश 21 बार नहीं किया गया था। यहां तक कि एक बार भी क्षत्रिय विहीन नहीं किया गया था ।यह सब असत्य है। और पाखंडियों के द्वारा चलाया गया पाखंड है। यदि परशुराम जी एक बार भी छत्रिय  विहीन पृथ्वी को कर देते तो छत्री आज भी हैं यह कहां से आए? पुनः कैसे पैदा हुए ?
उन्होंने केवल क्षत्रियों राजाओं से 21 बार युद्ध लड़े थे जिसमें उन्होंने 21 राजाओं को परास्त किया था। उसी को बढ़ा चढ़ा कर के यह कहा जाता है कि परशुराम जी ने 21 बार क्षत्रियों से पृथ्वी को विहीन कर दिया था। परशुराम जी एक महायोद्धा और महापुरुष थे।
परशुराम जी विष्णु का अवतार भी नहीं थे। जो अज्ञानी लोग हैं अवतार होने  की बात कहते हैं। जबकि ईश्वर का  एक नाम विष्णु है। जोकि ईश्वर इस सृष्टि में कण-कण में वास करता है इसलिए उसको वसु  भी कहते हैं। और ईश्वर इस सृष्टि का भरण पोषण एवं पालन पोषण करता है इसलिए उसको विष्णु कहते हैं। ईश्वर कभी अवतार धारण नहीं करता है ।ईश्वर कभी मनुष्य के रूप में नहीं आता है ।ईश्वर का अवतार महापुरुषों को बताना भी अनावश्यक ,अनर्गल ,अवैज्ञानिक, अतार्किक, अबुद्धिमत्ता पूर्ण कार्य है। सृष्टि क्रम के विपरीत है। जो बात स्वस्तिकम के विपरीत हो उसको कभी भी सत्य स्वीकार नहीं करना चाहिए।
ईश्वर सर्वशक्तिमान है। वह अपने कार्यों को करने में किसी की सहायता नहीं लेता है। इसलिए ईश्वर को पृथ्वी पर जन्म लेने की आवश्यकता नहीं है मनुष्य के रूप में।

(देखें सत्यार्थ प्रकाश प्रथम समुल्लास)
हम अपने सभी महापुरुषों का हृदय से सम्मान करते हैं।

मेरी मंशा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं है।

  • Related Posts

    समाजवादी आंदोलन !

    राजकुमार जैन संसद विधानसभाओं में समुचित प्रतिनिधित्व, सत्ता…

    Continue reading
    Special on Hindi Journalism Day : फेक न्यूज की आड़ में पत्रकारिता

    अरुण श्रीवास्तव दशकों से संक्रमण के दौर से…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    किरतपुर में बिजली अच्छी आने से जनता में खुशी की लहर

    • By TN15
    • May 30, 2025
    किरतपुर में बिजली अच्छी आने से जनता में खुशी की लहर

    अवैध गतिविधियों पर चला प्राधिकरण का डंडा

    • By TN15
    • May 30, 2025
    अवैध गतिविधियों पर चला प्राधिकरण का डंडा

    पीएम से मिले शुभम द्विवेदी के परिजन 

    • By TN15
    • May 30, 2025
    पीएम से मिले शुभम द्विवेदी के परिजन 

    100 दिन – उत्सव नहीं, आत्ममंथन का समय

    • By TN15
    • May 30, 2025
    100 दिन – उत्सव नहीं, आत्ममंथन का समय

    सुरवीन चावला ने साझा किया दर्दनाक वाकया, डायरेटर ने की थी किस करने की कोशिश!

    • By TN15
    • May 30, 2025
    सुरवीन चावला ने साझा किया दर्दनाक वाकया, डायरेटर ने की थी किस करने की कोशिश!

    रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी!

    • By TN15
    • May 30, 2025
    रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को दी कड़ी चेतावनी!