वरुण गांधी की राजनीति को गर्त में ले जाएगा उनका यह समझौता!

0
75
Spread the love

चरण सिंह 

जब बीजेपी नेतृत्व ने पीलीभीत से वरुण गांधी का टिकट काटा तो हर ओर से इस तरह की बात सुनने को मिल रही थी कि वरुण गांधी पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ंेगे। राजनीतिक समझ रखने वाले लोगों का कहना था कि यदि वरुण गांधी को निर्दलीय चुनाव लड़ बीजेपी को एहसास कराना चाहिए था। वरुण गांधी चुनाव हार भी जाते थे तो लोग यह जरूर कहते कि कुछ भी हो वरुण गांधी उसूलों वाले और लड़ने वाले नेता हैं। अब जब टिकट कटने पर उन्होंने बीजेपी के सामने समर्पण कर दिया तो वह कहीं से भी चुनाव लड़ लें उनकी छवि पहले जैसी नहीं रहेगी।
वरुण गांधी में उनके पिता संजय गांधी की छवि देखी जा रही है। लोग यह मानकर चल रहे थे कि वरुण गांधी पीलीभीत से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे और समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के समर्थन से चुनाव जीतेंगे। तब बीजेपी को ललकारेंगे कि देखो वह निर्दलीय चुनाव लड़कर भी जीत सकते हैं। अब यदि वह ऐसे ही दब कर रह गये तो बीजेपी में उनको उभरने का मौका नहीं मिलेगा। बीजेपी से बगावत कर उनके पास नेता बनने का मौका था। वरुण गांधी के बगावत करते ही समाजवादी, टीएमसी और कांग्रेस तीनों पार्टियों में से कोई भी उन्हें चुनाव लड़ा देती। हां वरुण गांधी के निर्दलीय चुनाव लड़ने से उनका कद ज्यादा बढ़ता।
पीलीभीत से यदि वरुण गांधी चुनाव जीत जाते तो बीजेपी के लिए वह अच्छा मौका होता। क्या वरुण गांधी का आत्मविश्वास डिग गया है ? क्या वरुण गांधी पर कोई दबाव डाला गया है ? क्या वरुण गांधी भी समझौतावादी प्रवृत्ति के हैं। क्या अब वह वह भी अपने भाई राहुल गांधी की तरह पप्पू बनकर रह जाएंगे। यदि वरुण गांधी को बीजेपी टिकट दे और वह चुनाव जीत भी जाएं तो उनका कद बढ़ेगा नहीं। जहां तक वरुण गांधी का टिकट काटने की बात है कि क्या उनका पहलवान बेटियों के पक्ष में बोलना क्या गुनाह था ?
अब यदि वरुण गांधी शांत रह गये तो कुछ बोल नहीं पाएंगे, दबाव में रहेंगे। हां यदि वह चुनाव लड़ते तो हारते या फिर जीतते पर उनका कद बढ़ता ही। जितना संघर्ष करते उतना ही बड़ा नेता बनते। उनका भविष्य कांग्रेस में भी है और अलग संगठन बनाकर भी। जो परिस्थितियां वरुण गांधी के लिए बीजेपी में हैं उसके चलते वह सांसद तो बन सकते हैं। मंत्री तो बन सकते हैं पर नेता नहीं बन सकते। कांग्रेस में जैसे अधीर रंजन चौधरी ने उनको कांग्रेस में आने का ऑफर दिया। ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि वरुण गांधी को यदि कांग्रेस में आने का ऑफर सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी या फिर राहुल गांधी देते तो माना जा सकता था कि वह कांग्रेस में शामिल हो जाते। वैसे भी जिन सोनिया गांधी ने अपने पुत्र मोह के चलते अपनी खुद की बेटी प्रियंका गांधी को लांच करने इतनी देरी कर दी । वह भला राहुल गांधी के प्रतिद्वंदी वरुण गांधी को कैसे पचा पाएंगी। ऐसे ही वरुण गांधी या फिर उनकी मां मेनका गांधी अपने अपमान को कैसे भूल पाएंगे ?  अब वरुण गांधी को चुप रहते हुए बीजेपी में ही रहना है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here