समस्तीपुर पूसा दलसिंहसराय स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के वीआईपी कॉलोनी स्थित स्थानीय सेवा केंद्र में आध्यात्मिक होली मिलन समारोह ईश्वरीय ज्ञान रूपी गुलाल और परमात्म-स्मृति के रंग में रंगकर दिव्यतापूर्ण तरीके से मनाया गया।
इस मौके पर समस्तीपुर से आये ओमप्रकाश भाई ने होली के आध्यात्मिक रहस्य को उजागर करते हुए बताया कि होली पर्व का सच्चा अर्थ इसके नाम में ही समाया हुआ है। होली के तीन अर्थ हैं। पहला- होली अर्थात् पवित्र। यह त्योहार हमें मन-वचन-कर्म की पवित्रता का संदेश देता है। शिव जयन्ती के कुछ दिनों के बाद ही होली मनाई जाती है क्योंकि जब परमात्मा शिव का इस धरा पर अवतरण होता है और उस परमपिता से जब हमारा सच्चा परिचय होता है, उनसे संबंध का अनुभव होता है तो परमात्मा द्वारा हमें पवित्र भव, योगी भव का वरदान मिल जाता है। होली का दूसरा अर्थ है- हो ली सो हो ली अर्थात् बीती हुई कष्टदायक बातों को, भूलों को बिंदी लगाकर अपने वर्तमान को परमात्म-ज्ञान और याद से श्रेष्ठ बनाना ताकि हमारा भविष्य सुखमय हो। होली का तीसरा अर्थ है- मैं आत्मा परमात्मा की हो ली। जब परमात्मा पिता को पहचानकर हम उनके हो गये तो उनका सब कुछ हमारा हो गया। परमात्मा के ज्ञान, गुण, शक्तियों, आशीर्वादों के अविनाशी रंगों से हम रंग गये। उन्होंने कहा कि होली के एक दिन पहले होलिका दहन मनाई जाती है। हम भी अपनी बुरी आदतों, कड़वी यादों, तकलीफ देने वाले संस्कारों की होलिका परमात्म-स्मृति की योग-अग्नि में जलायें तो हमारा जीवन खुशहाल बन जायेगा।
बीके सोनिका बहन ने कहा कि हम सभी महान् सौभाग्यशाली हैं कि हमें होलियेस्ट ऑफ होली परमपिता परमात्मा शिव बाबा के संग के रंग में रंगकर अपने जीवन को देवतुल्य बनाने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने सभी से आह्वान किया कि समय रहते हम इन अमूल्य घड़ियों का लाभ अवश्य ले लें।
सभी आगंतुक भाई-बहनों को आत्म-स्मृति का तिलक लगाया गया और मुख मीठा कराया गया। ज्ञान युक्त गीतों के माध्यम से सभी को ईश्वरीय संदेश देने के साथ-साथ उनका मनोरंजन भी किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से शैलेंद्र जी, विद्यासागर जी, विजय भाई, विनोद भाई, मनोहर भाई, शिवजी भाई, मंटून भाई आदि शामिल रहे।