Pakistan Economy: क्या है Pakistan के कंगाल होने की वजह ?

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Pakistan Economy: अर्श से फर्श पर तो आपने सुना ही होगा। बस कुछ एसा ही हाल हुआ है हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान के साथ। हां ठीक हैं आंकड़ों के हिसाब से भले ही आज पाकिस्तान हमसे ज़्यादा खुश है(latest happiness index pic) लेकिन माली हालत क्या है पाक की, ये सबको पता है । आज पाकिस्तान की economy अपने सबसे बुरे दौर से गु़ज़र रही है। forex reserves इतने भी नहीं है कि एक महिने का गुज़ारा भी ढंग से हो पाए। जहां जनता की चाय पर भी पाबंदियां लगा दि जाए, और दुकानदारों से कहा जाए की भाई, देखो रात 8-8:30 तक अपना काम धंधा बंद कर दो, क्योंकि बिजली का भी संकट है देश में, एसे देश के क्या ही हाल होंगे, और रहे होंगे ये आप समझ सकते है। जी हां….जो भी कुछ आप समझ रहें हैं, बिल्कुल गलत समझ रहे हैं, दरअसल, एक वक्त था, जब भारत यानी बड़ा भाई, पाकिस्तान से पीछे था economy के मामले में, या ये कहें कि पाक की economy आसमान छू रही थी। यकीन नहीं हो रहा,समझ सकते हैं, लेकिन सच है ये। चलिए बताते हैं कैसे?।

1947: भारत और पाकिस्तान का विभाजन

साल 1947 में भारत से अलग होकर, पाकिस्तान एक अलग देश बना। यूं तो दोनो देश की एक साझा विरासत है, लेकिन दोनो ही देशों की economy अज़ादी के बाद से बहुत ज़्यादा अलग रही है। महज़ तीन साल में, यानी 1950 में ही, जहां भारत की GDP 481 US dollar(US$841) थी, वहीं पाकिस्तान की GDP 1268 US dollar(US$1268) थी। साल 2007 के बाद से ही भारत की GDP ने एकाएक वृद्धि देखी है, वहीं पाकिस्तान की GDP बर्बादी की ओर बढ़ती चली गई।

इस चौंका देने वाले matter पर रिसर्च करते हुए ये साफ हुआ कि पाकिस्तान के मौजूदा हाल के 2 मुख्य कारण रहें- एक – मिलिट्री कूप (military coup) और political instability, दूसरा तब के East Pakistan और आज के Bangladesh के साथ किया गया पाकिस्तान का भेद-भाव। तो ये समझने के लिए वक्त को थोड़ा पिछे लेके चलते हैं।

 

देखें ये वीडियो: Pakistan Economy: क्या है Pakistan के कंगाल होने की वजह ? 

 

साल 1947 से 1958 (Political instability)

पाकिस्तान एक एसा मुल्क है जहां किसी भी सरकार ने, किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया है। और पाकिस्तान की ये आदत साल 1947 से ही शुरु हो गई थी। 1947 से 1958 तक पाकिस्तान में political instability कुछ इस कदर थी, की महज़ 11 साल में पाकिस्तान ने 7 प्रधानमंत्री देखे। ये सिलसिला तब थमा जब साल 1958 में तत्कालिन राष्ट्रपति आयूब खान ने पूरे पाकिस्तान में मार्शल लॉ लागू किया। जिसका मतलब था कि पाकिस्तान का संविधान, पाकिस्तान की सभी राजनीतिक पार्टियां, सब बर्खास्त कर दी गईं थी। और पाकिस्तान में military rule लागू हुआ।

Although किसी देश के लिए सैन्य शासन यानी मार्शल लॉ लगना गलत ही होता है, लेकिन फिर भी पाकिस्तान में जब पहली बार सैन्य शासन लगा था तो उसका फायदा पाकिस्तान की economy को बहुत ज़्यादा हुआ था। पाकिस्तान में सैन्य शासन करीब 3 बार लग चुका है-साल 1958-1971, 1977-1988 और 1999-2008। खास बात ये रही कि इन सालों में कुछ हो ना हो लेकिन पाकिस्तान में पॉलिटिक्ल स्टेबिलिटि रही थी।

 Industries

बात करें पहले मार्शल लॉ की, तो 1958 से 1971 तक, पाकिस्तान की economy के लिए golden period रहा। इस दौरान पाकिस्तान में infrastructure development हुआ, पाकिस्तान में heavy industries setup हुई, देश को पहली oil refinery मिली, automobile industry और साथ ही देश में textile industry भी setup हुई। mid 1960s में पाक में करीब 180 textile units थी जो कराची और पाकिस्तान के पंजाब में थी। पाकिस्तान की economy को liberate किया गया था, exports को बढ़ावा दिया गया था। जिसके बाद, पाकिस्तान में economic prosperity आई। 1960s के दौरान दुनिया तीन blocs में बट गई थी-एक USA, दूसरा USSR और तीसरा NAM(Non Align Movement), जहां भारत NAM के साथ था, वहीं पाकिस्तान ने USA चुना। अब पाकिस्तान की already prosperous economy को USA का साथ भी मिलने लगा । पाक को USA से billions of dollars की मदद मिली।

 Agriculture

अगर आपको लग रहा है कि पाकिस्तान ने केवल industries के ज़रिए अपनी तरक्की की, तो आप गलत हैं, इसी वक्त पाक ने agriculture पर भी ध्यान दिया था। तभी पाकिस्तान की manufacturing growth 8.5% थी, वहीं agricultural growth 5% थी। उस दौरान पाक में agricultural revolution आया था, जिसमें पाक ने mechanical agricutlural production, water resources, pesticides, fertilizers, और अच्छे wheat or rice seeds में invest किया था। जिसके कारण ही पाक के लिए वो दौर एक golden period के बराबर था।

 Ease of Doing business

1960s-1980s के दौरान पाक में दूसरा मार्शल लॉ भी लग चुका था। लेकिन फिर भी पाकिस्तान सही तरक्की कर रहा था। उसका कारण था उनकी पॉलिसीस । उस दौर में पाक में business असानी से किया जा सकता था, क्योंकि वहां की economy को liberate किया गया था। अगर किसी को कोई industry setup करनी है business करने के लिए तो वहां सिर्फ Army General की permission की ज़रुरत थी और किसी की नहीं । वहीं same उसी period में India में बहुत से बाबुओं की permission चाहिए होती थी, जिसकी वजह से यहां business करना मुश्किल था। लिहाज़ा इसी period में पाक का growth rate 6% था, लेकिन भारत का growth rate 4% था।

East Pakistan/Bangladesh के साथ Discrimination

West Pakistan का East Pakistan के खिलाफ भेदभाव शुरु से ही था। जैसे अलग देश बनते ही Pakistan की state language उर्दू कर दी गई थी, ये ignore करते हुए, की east pakistan में bengali भाषी ज़्यादा थे। west Pakistan का समान easily east pakistan में बेच सकते थे, लेकिन east pakistan का समान west Pakistan में बेचने के लिए tarrifs लगाए गए थे। East Pakistan से पाक को काफी फायदा हो रहा था,पाक की बहुत सी industries east pakistan में थी, जो अच्छा business दे रही थी, लेकिन फिर भी वहां से कमाया हुआ पैसा, west pakistan में spend किया जाता था। हाल ये थे कि साल 1969-70 में जहां west Pakistan की per capita income पाकिस्तानी currency में 504 रुपय थी, वहीं east pakistan की per capita income 314 रुपय थी। बस इन हालातों में East Pakistan का गुस्सा West Pakistan के खिलाफ बढ़ता रहा, वहीं West Pakistan में अयूब खान के खिलाफ Zulfikar Ali Bhutto ने revolt किया, जिसके बाद अयूब खान के बाद, यायाह खान 1969-71 के बीच पाकिस्तान के राष्ट्रपति बने ।

जहां East Pakistan में हुकुमत के भेदभाव के चलते गुस्सा उमड़ रहा था, वहीं West Pakistan में तख्तापलट चल रहा था। इसी बीच साल 1970 में east pakistan में एक cyclone आया, जिसमें करीब एक ही रात में nearly 5 लाख लोगों की जान गई थी, लेकिन इतनी बड़ी आपदा के बावजूद पाकिस्तान की सरकार ने कुछ ठोस कदम नहीं उठाए थे,east pakistan के लोगों की जान बचाने के लिए। जिसके बाद East Pakistan के लोगों का गुस्सा और ज़्यादा बढ़ गया था। और यायाह खान की उस दौरान east pakistan के election में भी हार हुई थी। अपनी हार मानने के बजाए, यायाह खान ने East Pakistan में पाक आर्मी भेजी, जिसके बाद लाखों Bengali refugees India में आ गए थे। और लिहाज़ा भारत इस लड़ाई में शामिल हुआ, जिसके बाद 1971 मे Bangladesh, भारत की मदद से एक अज़ाद देश बना।

Bangladesh के अलग देश बनते ही पाकिस्तान के हाथ से East Pakistan गया, जो तब के Pakistan की economy को तरक्की पर ले जाने के लिए एक अहम role 2 कारणों की वजह से निभा रहा था-

1. East Pakistan, दरअसल, एक major sea trade route था, जिसके ज़रिए पाकिस्तान दूसरे देशों से trade कर पाता था, और अपनी economy को मज़बूत रखता था।

2. 1971 से पहले पाकिस्तान की textile का एक बहुत बड़ा हिस्सा तब के east pakistan और अब के बांग्लादेश के पास था। इन textile industries में बंगालियों ने jute factory establish की थी।

गौरतलब है कि 1971 की जंग में पाकिस्तान को करीब $10 billion का नुकसान हुआ, जिससे साफ तौर पर उनकी economy को झटका लगा।

बांगलादेश के अलग होते ही, पाक में economy को झटका तो लगा ही, साथ ही एक बार फिर से पाक में Political instability का दौर शुरु हुआ। 1971 से 1973 तक Zulfikar Ali Bhutto ने शासन किया और पाक की liberated economy को socialist economy की तरफ ले गए। मतलब banking system, insurance companies और भी बहुत सी industries nationalised हो गई। जिसके बाद private investment के साथ-साथ foreign investors भी देश छोड़ कर जाने लगे। जिसके बाद 1972- 1977 के बीच पाकिस्तान ने बहुत बुरी inflation झेली।

1977- एक और मिलीट्री कूप

1977 में Muhammad Zia-ul-Haq ने bhutto को अरेस्ट किया और 2 साल बाद फांसी की सज़ा हुई। Zia-ul-Haq ने एक बार फिर से private investments को बढ़ावा दिया लेकिन साथ ही उन्होंने पाक economy में islamization को लाया, जिसके बाद पाक की military govt, banks के balances से 2.5% काटती थी और उसे गरीबों में बाटने का काम करती थी, ज़कात कमेटि के through।

लेकिन zia ul haq के islamization का negative impact ये रहा कि पाक में बहुत सी religious political parties create हुई जो एक दूसरे से compete कर रही थी ये दिखाने के लिए कौन इस्लाम को ज्यादा support कर रहा है। जिस्की वजह से Pakistan में violence बढ़ा और ये देश economy पर focus कर ही नहीं पाया ।

जहां लंबे वक्त तक पाक की economy prosper करती रही और भारत की economy liberated होने की जगह closed होने की वजह से उतनी तरक्की शुरु में नहीं कर पाई। वहीं पाक में political instability बढ़ते-बढ़ते और military coup के साथ साथ सेना के हाथ economic dominance होने की वजह से पाक की economy 1990 के बाद से गिरती ही जा रही है। आज हाल ये हैं कि भारत की GDP पाक से कई गुना ज्यादा है। आज India के पास करीब 576.761 अरब डॉलर का विदेशी भंडार है जबकि पाकिस्तान के पास करीब 4 अरब डॉलर के फॉरेक्स रिजर्व है, जिससे एक महीना का आयात भी मुश्किल है। वक्त बदलते-बदलते हालात भी बदले और साल 2007 के बाद से भारत की पर कैपिटा GDP पाकिस्तान से लगातार अधिक बनी हुई है। जिसके बाद साल 2021 में भारत की पर कैपिटा GDP 2,256.59 डॉलर और पाकिस्तान की 1505.01 डॉलर थी। आज जहां भारत में make in India, made in India और ease of doing business को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं पाकिस्तान में अस्थिर सरकार, सैन्य तानाशाही, सत्ता के विरोधाभासी केंद्रों और आतंकी संगठनों को समर्थन देने की नीति से पाकिस्तान की इकॉनमी को गहरा झटका लगा है। दुनिया की कोई भी कंपनी वहां कारोबार करने को तैयार नहीं है। अब पाकिस्तान के नेता भी भारत के सिस्टम का लोहा मानने लगे हैं। मौजूदा हाल एसे हैं कि हाल ही में भी जब इमरान खान पर attack हुआ था तो पाक के President Dr. Arif Alvi ने भी पाकिस्तान की political instability को लेके चिंता व्यक्त की थी, और पाक की सरकार को लोगों की economic problems पर focus करने की बात कही थी। इन दिनो पाकिस्तान की सियासत में एक और military coup के भी कयास लगाए जा रहे हैं।

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