“सहारा प्रतिबंध” देश का आश्चर्यजनक रहस्य

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कंपनियों पर प्रतिबंध के नाम पर निवेशकों को बेवकूफ बना रहे हैं सुब्रत राय 

यह अपने आप में दिलचस्प है कि एक ओर सहारा इंडिया के चेयरमैन सुब्रत राय खाते सील होने का बहाना बनाकर निवेशकों का भुगतान करने में असमर्थता जताते हैं तो दूसरी ओर सुब्रत राय समेत दूसरे निदेशकों और अधिकारियों के सभी खर्चे सहारा इंडिया से चल रहे हैं। यह भी एक रहस्य है कि दिल्ली हाईकोर्ट के सहारा इंडिया के कलेक्शन पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद विभिन्न पैरा बैंकिंग ऑफिस में लगातार कलेक्शन होने की बात सामने आ रही है। सहारा निवेशकों को भले ही पैसा न मिल पा रहा हो पर सहारा के विभिन्न विभागों के खर्चे बदस्तूर सहारा उठा रहा है।

भले ही सुब्रत रॉय खातों के बंद होने का रोना रोते रहते हों पर जब 2018 में इन्होंने अपना जन्मदिन मनाया तो अपना रुतबा दिखाने के लिए सहारा के विभिन्न ऑफिसों से कर्मचारी बुलाये थे। ये कर्मचारी न केवल एसी कोच से बुलाये थे बल्कि इन्हें फाइव से सेवन स्टार होटल में ठहराया गया था। यह सब निवेशकों को भ्रमित करने और बरगलाने के लिए किया गया था। उदाहरण के तौर पर  रांची के पास हटिया स्टेशन से मुंबई के लिए रांची के कर्मचारियों के लिए पूरी ट्रेन की बुकिंग होने की बात सामने आई थी। जानकारी के अनुसार उस समय सुब्रत रॉय ने भारतीय रेलवे को 1 करोड़ रुपए का अग्रिम भुगतान कराया था। सुब्रत राय ने निवेशकों को बरगलाने के लिए सहारा स्टाफ के लिए इस ट्रेन में सभी एसी कोच  बुक कराये थे। उस समय रांची सहारा का यह पूरा स्टाफ मुंबई सहारा के सेवन स्टार होटल  में होने वाले सुब्रत रॉय के जन्मदिन समारोह में भाग लेने गया था। दरअसल सुब्रत रॉय इस बात का प्रयास करते रहे हैं कि निवेशक सहारा का तामझाम देखकर अपने पैसों को सुरक्षित मानकर दूसरे मदों में ट्रांसफर कराते रहें।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि जब सहारा की कंपनियों पर प्रतिबंध था तो सुब्रत रॉय ने इतने बड़े तामझाम के साथ अपना जन्मदिन कैसे मनाया था। ट्रेनों का अग्रिम भुगतान कहां से किया गया था ?  यह अपने आप में प्रश्न है कि जब सुब्रत राय अपना रुतबा दिखाने के लिए पैसा खर्च कर सकते हैं तो फिर निवेशकों का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है ? यह भी अपने आप में प्रश्न है कलेक्शन पर प्रतिबंध के बावजूद सहारा की सभी शाखा कार्यालयों में नियमित रूप से कलेक्शन किया जा रहा है।

प्रश्न यह भी है कि जब सभी सहारा शाखा कार्यालयों के खर्चों के साथ ही अपने कर्मचारियों के वेतन के लिए करोड़ों रुपये का मासिक भुगतान कर रहा है तो फिर यह भुगतान कहां से हो रहा है ? या फिर निवेशकों का भुगतान क्यों नहीं हो रहा है ? इसे सुब्रत रॉय की बेशर्मी ही कहा जाएगा कि जिन निवेशकों के दम पर पूरे सहारा का खर्चा उठाया जाता रहा है, सुब्रत रॉय ने उन्हीं एजेंटों को मरने के लिए छोड़ दिया है।

यह भी जमीनी हकीकत है कि गत सालों में सहारा इंडिया की ओर से देश के लगभग सभी समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित होते रहे हैं। यह पैसा कहां से आता रहा है ? हालांकि सुब्रत रॉय यह कहते रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले नौ वर्षों से सभी सहारा समूह की कंपनियों पर बहुत सख्त प्रतिबंध लगा दिया था। इसलिए, वे अपने निवेशकों / ग्राहकों को कोई परिपक्वता भुगतान नहीं कर सकते हैं।यह भी जमीनी हकीकत है कि आज भी सहारा के चेयरमैन हजारों शाखाओं, कार्यालयों, सहारा फ्रेंचाइजी शाखाओं को चलाने के लिए करोड़ों रुपए का मासिक भुगतान करते हैं। यह भुगतान पूरे भारत में हो रहा है। इतना ही नहीं विभिन्न कार्यालयों में मासिक समेकित व्यय, कार्यालय मासिक किराए, मासिक रखरखाव शुल्क, कार्यालय का मासिक बिजली बिल, मासिक कर्मचारियों के वेतन दिया जा रहा है। इतना ही नहीं सहारा में पेट्रोल, डीजल, मोबाइल शुल्क और कार के मासिक खर्च समेत रखरखाव शुल्क भी सुब्रत राय दे रहे हैं पर उनके पास निवेशकों के लिए पैसा नहीं है।

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