Noida Twin Tower Demolition: क्या है ट्वीन टावर की कहानी, क्यों आई ट्वीन टावर को गिराने की नौबत,
Noida Twin Tower Demolition: Noida के सेक्टर 93 A स्थित सुपरटेक ट्विन टावर को जमीऩदोज़ किया जा चुका है रविवार दोपहर दो बजकर 30 मिनट पर इसे ध्वस्त किया जा चुका है। अब सवाल ये है कि कुतुब मीनार से भी ऊँची इस 32 मंजिला इमारत को क्य़ो ढहाया जा रहा है ?
दरअसल हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट तक लंबी लड़ाई के बाद इस ट्वीन टावर को गिराने का आदेश कोर्ट ने दिया.था। कोर्ट के आदेश के बाद इस गैरकानूनी टावर को महज 9 सेकेंडों में जमीनदोज कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के सीनियर अधिकारियों पर सख्त टिप्पणी की थी। (Noida Twin Tower Demolition)
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कह दिया था कि नोएडा अथॉरिटी एक भ्रष्ट निकाय है। इसकी आंख, नाक, कान और यहां तक कि चेहरे तक भ्रष्टाचार टपकता है अब सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी क्यों कि आप अंदाजा लगा ही चुके होंगे।
Noida Twin Tower Demolition: क्यों गिराए जा रहे सुपरटेक ट्विन टावर?
Noida Twin Tower Demolition: ट्विन टावर का विवाद करीब डेढ़ दशक पुराना है। 23 नवंबर 2004 को नोएडा के सेक्टर 93 ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन आंवटित की गई थी। इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी। 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाहीयों के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी।
अंतत: जमीन के दो प्लॉट्स हो गई जिन्हें, 2006 में नक्शा पास होने के बाद एक प्लॉट बना दिया गया। इस प्लॉट पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया. इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की योजना थी।
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नक्शे के हिसाब से आज जहां पर 32 मंजिला एपेक्स और सियाने खड़े हैं वहां पर ग्रीन पार्क दिखाया गया था. इसके साथ ही यहां पर एक छोटी इमारत बनाने का भी प्रावधान भी किया गया था. यहां तक भी सब कुछ ठीकठाक था और 2008-09 में इस प्रोजेक्ट को कंप्लीशन सर्टिफिकेट भी मिल गया था, लेकिन इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के एक फैसले से इस प्रोजेक्ट में विवाद की नींव भी पड़ गई। 28 फरवरी 2009 को उत्तर प्रदेश शासन ने नए आवंटियों के लिए FAR बढ़ाने का निर्णय लिया।
साथ ही पुराने आवंटियों को कुल FAR का 33% तक खरीदनें का विकल्प भी सरकार ने दिया। FAR बढ़ने से अब उसी जमीन पर बिल्डर ज्यादा फ्लैट्स बना सकते थे, इससे सुपरटेक ग्रुप को यहां से बिल्डिंग की ऊंचाई 24 मंजिल और 73 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति मिल गई, यहां तक भी एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट के बायर्स ने किसी तरह का विरोध नहीं किया. लेकिन इसके बाद तीसरी बार जब फिर से रिवाइज्ड प्लान में इसकी ऊंचाई 40 और 39 मंजिला करने के साथ ही 121 मीटर तक बढ़ाने की अनुमति मिली तो फिर होम बायर्स का सब्र टूट गया।
RWA ने बिल्डर से बात करके नक्शा दिखाने की मांग की. लेकिन बायर्स के मांगने के बावजूद बिल्डर ने लोगों को नक्शा नहीं दिखाया। तब RWA ने नोएडा अथॉरिटी से क्शा देने की मांग की. यहां भी घर खरीदारों को कोई मदद नहीं मिली। किसी तरह का रास्ता दिखाई ना देने के बाद 2012 में बायर्स ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया। कोर्ट के आदेश पर पुलिस जांच के आदेश दिए। जांच के बाद भी बिल्डर या अथॉरिटी की तरफ से बायर्स को नक्शा नहीं मिला।
नोएडा समेत देशभर में कितने ही ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं जहां बरसों बरस बीत जाने के बाद भी काम पूरा नहीं किया जा सका है. खुद सुपरटेक के कई प्रोजेक्ट्स ऐसे मे हैं जहां पर टावर के चंद फ्लोर ही कई साल में बन पाए हैं, लेकिन एपेक्स और सियाने के मामले में कुछ अलग ही देखने को मिला. 2012 में ये मामला जब इलाहाबाद हाई कोर्ट में पहुंचा तो एपेक्स और सियाने की महज 13 मंजिलें बनी थीं लेकिन डेढ़ साल के अंदर ही सुपरटेक ने 32 स्टोरीज़ का निर्माण पूरा कर दिया 2014 में हाईकोर्ट ने इन्हें गिराने का आदेश दिया।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुपरटेक सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट में सात साल चली लड़ाई के बाद 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को बरकार रखा। सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के अंदर ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया।
ट्विन टावर गिराने में कितने करोड़ का नुकसान? :
Noida Twin Tower Demolition: ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपए का खर्च आने का अनुमान है. ये खर्च भी सुपरटेक को उठाना होगा. लेकिन इसके पहले कुल 950 फ्लैट्स के इन 2 टावर्स को बनाने में ही सुपरटेक 200 से 300 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है. गिराने का आदेश जारी होने से पहले इन फ्लैट्स की मार्केट वैल्यू बढ़कर 700 से 800 करोड़ तक पहुंच चुकी थी. ये वैल्यू तब है जबकि विवाद बढ़ने से इनकी वैल्यू घट चुकी थी।
ट्विन टावर्स में 711 ग्राहकों ने बुक कराए थे फ्लैट्स, जिन लोगों को बदले में सस्ती प्रॉपर्टी दी गई उनमें सभी को अभी तक बाकी रकम नहीं मिली : ट्वीन टावर को गिराने के लिए 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया, जिसनें चंद सेकेंडों में इस इमारत को धराशाही कर दिया। इस इमारत को गिरते समय भारी कंपन को अनुभव किया।सबसे पहले छोटी इमारत के बारूद के बटन को दबाया गया
(Noida Twin Tower Demolition) इसके बाद कुछ मिली सेकेंड़ों के बाद बड़ी इमारत को गिराया गया। दोनों ही बिल्डिंग के गिरने से लगभग 800 करोड़ का नुकसान इस इमारत के बिल्डर को भुगतना प़ड़ेगा, मलवा जो था वो सड़क के हिस्से की ओर गिरा माना जा रहा है कि ये धमाका सफल रहा। सामने के ओर का हरा भरा हिस्सा धूल में लिप्त हो गया, यहां तक कि आस पास के हिस्से को खाली करा दिया गया था और धमाके के बाद पता चला कि आस पास के इमारतों के शिशे भी नहीं टूटे। इसके बाद पानी के छिड़काव की प्रक्रिया शुरू हो गई।