रिकवरी के नाम पर दबाया जा रहा लखनऊ नगर निगम में हुआ करोड़ों का घोटाला!

0
215
Spread the love

अधिकारियों से मिलीभगत कर सफाई कर्मचारियों के ईपीएफ का 64.32 रुपए डकार गईं निजी एजेंसियां  

चरण सिंह राजपूत 
नई दिल्ली/लखनऊ। विभिन्न महानगरों में सफाई व्यवस्था संभाल रहीं निजी एजेंसिया कर्मचारियों को कैसे ठग रहीं हैं। कैसे स्थानीय प्रशासन से मिलकर उनके हिस्से के पैसे को डकार जा रही हैं उसका ताजा उदाहरण लखनऊ के नगर निगम में सामने आया है। इन निजी एजेंसियों ने नगर निगम के अधिकारियों से मिलीभगत कर सफाई कर्मचारियों के ईपीएफ के 64.32 करोड़ रुपये डकार लिये। अब जब मामले का खुलासा हुआ तो उसकी रिकवरी की बात कर प्रशासन मामले को दबाने में लग गया है।
दरअसल नगर निगम में साफ सफाई के काम में लगी एजेंसियों के निगम के कुछ अधिकारियों के साथ मिलकर यह ईपीएफ घोटाला किया गया है। इन सभी ने मिलकर कर्मचारियों की इस रकम को आपस में बांट लिया है। बाकायदा नगर निगम के अधिकारी इसे बड़ा घोटाला मान रहे हैं। नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी के पत्र में भी इस घोटाले का जिक्र किया गया है। अपने पत्र में उन्होंने साफ लिखा है कि एजेंसियों ने सफाई कर्मचारियों का ईपीएफ खाता ही नहीं खुलवाया है। कुछ ने खाता खुलवाया तो उसमें पैसा ही नहीं जमा किया है।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि खुलासे के बाद भी नगर निगम की ओर से इस इस मामले में  एफआईआर दर्ज क्यों कराई गई है ? जिन एजेंसियों ने ईपीएफ के पैसे का गमन किया है उनसे  रिकवरी बात तो हो रही है पर कार्रवाई की बात नहीं हो  रही है।
 दरअसल नगर निगम में मैन पावर सप्लाई करने वाली कुल 32 एजेंसियां काम कर रही हैं। ये  एजेंसियां नगर निगम को सफाई कर्मचारी सप्लाई कर रही हैं। इन्हीं 32 एजेंसियों ने नगर निगम के अफसरों के साथ मिलकर यह घोटाला किया है। केवल 2 वर्ष में ही इन सभी ने 64.32 करोड रुपए पर हाथ साफ किया है। ऐसे बात निकल कर सामने आ रही हैं कि यदि जांच हो गई तो यह 200 करोड़ रुपए से अधिक का घोटाला निकलेगा।
नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी को खुद इस घोटाले के बारे में स्पष्ट तौर पर जानकारी है। उन्होंने अपने पत्र में खुद ही लिखा है की सफाई कर्मचारियों के ईपीएफ के लिए दी जा रही 29% रकम उनके खातों में नहीं जमा हुई है। इसका गमन किया गया है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि  उन्होंने इनमें से किसी एजेंसी के खिलाफ एफ आई आर दर्ज क्यों नहीं कराई ?
दरअसल यह बात निकल कर सामने आ रही है कि  कई एजेंसियां नगर निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों के रिश्तेदारों के नाम पर हैं तो कुछ पार्षदों के रिश्तेदारों की हैं और कुछ दूसरे प्रभावशाली लोगों की हैं।
बताया जा रहा है कि नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में तैनात एक बड़े बाबू की खुद की तीन एजेंसियां है। इनमें से एक को हटाया गया था जबकि दो अभी भी काम कर रही हैं।
लखनऊ नगर निगम की ओर से रिकवरी की बात तो की जा रही है पर एफआईआर दर्ज करने की बात नहीं हो रही है। नगर निगम के डिप्टी कलेक्टर यमुनाधर चौहान ने रिकवरी की बात बाकायदा मीडिया से कही है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here