पहली दफा फूलन को देखा तो चौंक गया, मेरी सहानुभूति उसके साथ थी : अर्जुन सिंह

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उसे हथियार उठाने के लिए उसे मजबूर किया गया- पूर्व सीएम अर्जुन सिंह ने अपनी किताब में किया जिक्र, अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में फूलन के आत्मसमर्पण से जुड़े किस्सों को बयां किया है। उन्होंने अपनी आत्मकथा में दो लोगों राजेन्द्र चतुर्वेदी और कल्यान मुखर्जी का जिक्र खास तौर पर किया है।

द न्यूज 15 
नई दिल्ली। फूलन देवी को जब मैंने पहली बार देखा तब चौंक गया था। एक पांच फीट की लड़की ऑटोमेटिक राइफल लिए मंच पर चढ़ रही थी। उसने मेरे पैर छूए और हथियार मेरे पैरों में डालकर हाथ जोड़ा। मेरी सहानुभूति उसके साथ थी, क्योंकि उसको कानून हाथ में लेने के लिए कुछ लोगों ने मजबूर किया था। यह बात मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा ए ग्रेन ऑफ सेंड इन ऑवरग्लास ऑफ टाइम में कही हैं।
फूलन देवी और मानसिंह ने अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में ही सरेंडर किया था, जिसके बाद फूलनदेवी ग्वालियर की केंद्रीय जेल में करीब 8 साल तक बंद रहीं। एक समय में फूलन देवी पर हत्या, अपहरण और लूट के तकरीबन 48 मामले दर्ज थे। बेहमई कांड को कौन भूल सकता है जब 1981 में फूलन ने उसके साथ दुष्कर्म करने वाले व्यक्ति को उसके परिवार के 20 सदस्यों के साथ लाइन में खड़ा कर गोलियों से भून दिया था। लेकिन 12 फरवरी 1983 को समर्पण वाले दिन से पहले की रात फूलन ने घबराहट में कुछ नहीं खाया। उसने एक गिलास पानी तक नहीं पिया। वो पूरी रात वो एक सेकेंड के लिए भी नहीं सो पाईं। अगली सुबह एक डॉक्टर उन्हें देखने आया। फूलन के साथी मान सिंह ने उनसे पूछा- फूलन को क्या तकलीफ़ है? डाक्टर का जवाब था तनाव। वो बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं।
अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में फूलन के आत्मसमर्पण से जुड़े किस्सों को बयां किया है। उन्होंने अपनी आत्मकथा में दो लोगों राजेन्द्र चतुर्वेदी और कल्यान मुखर्जी का जिक्र खास तौर पर किया है। राजेन्द्र चतुर्वेदी उस वक्त भिंड के एसपी थे। उन्होंने लिखा कि फूलन देवी के समर्पण के के लिए ये दोनों की कारक थे। फूलन उनके आश्वासन पर ही समर्पण के लिए तैयार हुई।
अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि वो फूलनदेवी जो कभी लोगों के लिए भय का प्रतीक थी, उसी को लोगों ने अपना जन प्रतिनिधि चुनकर लोकसभा तक पहुंचाया। 1996 में सपा से वो मिर्जापुर से सांसद बनी। अर्जुन सिंह ने फूलन का जिक्र करते हुए लिखा कि- जो तलवार के दम पर जीते हैं, उनका अंत भी तलवार से होता है। फूलन का अंत भी कुछ ऐसे ही हुआ। 2001 में शेर सिंह राणा नामक शख्स ने फूलन की दिल्ली के अशोका रोड स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी।

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