दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखने से इनकार कर दिया। लोकसभा में जब विपक्ष ने इस मामले को उठाया तो कोलार के सांसद एस मुनिस्वामी को छोड़कर बीजेपी के ज्यादा सांसद चुप रहे
द न्यूज 15
नई दिल्ली। कर्नाटक सरकार के द्वारा स्कूल यूनिफॉर्म वाले आदेश पर पुनर्विचार के संकेत और मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री द्वारा दिए यूनिफ़ॉर्म ड्रेस कोड वाले बयान से बीजेपी की दूरी के बीच बीजेपी नेतृत्व में हिजाब विवाद की वजह से अलग अलग जगहों पर चल रहे आन्दोलनों को लेकर बैचैनी बढ़ गई है।
सूत्रों के अनुसार एक भावना है कि कर्नाटक सरकार और राज्य की भाजपा इकाई ने उडुपी में कुछ कॉलेजों में छात्राओं के एक छोटे समूह को विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी ताकि यह फैले, उच्च न्यायालय तक पहुंचे और राष्ट्रीय चर्चाओं में शामिल हो। पार्टी नेतृत्व के एक हिस्से में बेचैनी उन तस्वीरों के आने के बाद और गहरी हो गई है जिसमें पुरुषों के विरोध के बावजूद क्लास जाती छात्राएं, स्कूली छात्राओं और यहां तक कि शिक्षकों को भी अपने सिर के स्कार्फ को हटाने के लिए मजबूर किया जाना और कुछ को स्कूल गेट से ही घर जाने के लिए कहा जाना शामिल है।
इस विवाद पर एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब हम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चला रहे हैं, जब प्रधानमंत्री ने मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए तीन तलाक जैसे नियमों पर प्रतिबंध लगाए हैं।
दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखने से इनकार कर दिया। लोकसभा में जब विपक्ष ने इस मामला उठाया तो कोलार के सांसद एस मुनिस्वामी को छोड़कर बीजेपी के ज्यादा सांसद चुप रहे। यहां तक कि तेजस्वी सूर्या जो भड़काऊ भाषण देने में माहिर हैं, वे भी चुप रहे। त्रिपुरा के शिक्षा मंत्री ने इस विवाद पर चिंता व्यक्त की और वहीं एनडीए शासित बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में हिजाब कोई मुद्दा नहीं है और यहां सभी धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाता है। भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि अभी तक स्कूलों में यूनिफार्म ड्रेस कोड पर कुछ भी विचार नहीं किया जा रहा है। एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर चिंतित है कि कहीं यह सीएए विरोधी प्रदर्शनों जैसे आंदोलन में न बदल जाए, जिसमें मुस्लिम महिलाएं ही सबसे आगे थीं। भाजपा नेता ने कहा कि सीएए पर अपने उत्साह और प्रचार के बावजूद सरकार ने अभी तक दिसंबर 2019 में पारित इस कानून के लिए नियम नहीं बनाए हैं।
सूत्रों का कहना है कि सीएए के उलट हिजाब सीधे धार्मिक भावना और परिवार से जुड़ा हुआ माना जाता है। एक नेता ने कहा कि जब पहले से कहीं ज्यादा मुस्लिम लड़कियां स्कूल और कॉलेजों में जा रही हैं तो इस तरह का एक कोड उस पर असर डाल सकता है।
वहीं केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कर्नाटक मुद्दे को कैसे हल किया जाए इसको लेकर भी चर्चा की गई। ऐसे सुझाव दिए गए हैं कि राज्य यह रुख अपनाए कि लड़कियां अपने सिर को ढकने के लिए दुपट्टे का उपयोग कर सकती हैं। जो ड्रेस का हिस्सा है। ऐसा लगता है कि शीर्ष नेतृत्व इस मसले पर ज्यादा कठोर होने के बजाय बीच का रास्ता खोजना चाहता है। पार्टी के एक नेता ने भी यह कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व को यह पसंद नहीं है जब कोई राज्य विवाद पैदा करे, उसे भड़कने दे और फिर उसे हल करने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व के पाले में फेंक दे।
सूत्रों के अनुसार दिल्ली में पार्टी नेताओं का मानना था कि कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद काफी छोटा था, जिसे आसानी से सुलझाया जा सकता था। हालांकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के करीबी लोगों का कहना है कि उन्हें दोष देना अनुचित है और इसकी जिम्मेदारी पार्टी की राज्य इकाई की है। एक नेता ने सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले को शांत करने के लिए क्या किया? वे सरकार का बचाव करने के लिए भी मौजूद नहीं थे। पार्टी नेताओं के अनुसार बोम्मई का पार्टी कैडर पर ज्यादा नियंत्रण नहीं है।
वहीं मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अपने बयानों की वजह से जाने जाने वाले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा की गई यूनिफार्म ड्रेस कोड वाली टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया। माना जा रहा है कि शिवराज चौहान ने कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों को फटकार भी लगाई और कहा कि सरकार से सलाह लिए बिना कोई टिप्पणी न करें। हालांकि बाद में परमार ने भी कहा कि यूनिफार्म ड्रेस कोड को लेकर अभी कोई योजना नहीं है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मिश्रा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र दतिया के एक कॉलेज में दो हिजाब पहनने वाली महिलाओं को दक्षिणपंथी समूहों द्वारा परेशान किए जाने पर अपनी नाराजगी स्पष्ट की। मिश्रा ने इस मामले में जिला कलेक्टर को यह जांच करने का आदेश दिया कि कॉलेज ने धार्मिक पोशाक के खिलाफ आदेश क्यों जारी किया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि शीर्ष नेतृत्व ने हिजाब मुद्दे को नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि यह कभी भी भाजपा का मुद्दा नहीं था और पार्टी कभी भी इस मुद्दे को नहीं बढ़ाना चाहती थी।
नई दिल्ली। कर्नाटक सरकार के द्वारा स्कूल यूनिफॉर्म वाले आदेश पर पुनर्विचार के संकेत और मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री द्वारा दिए यूनिफ़ॉर्म ड्रेस कोड वाले बयान से बीजेपी की दूरी के बीच बीजेपी नेतृत्व में हिजाब विवाद की वजह से अलग अलग जगहों पर चल रहे आन्दोलनों को लेकर बैचैनी बढ़ गई है।
सूत्रों के अनुसार एक भावना है कि कर्नाटक सरकार और राज्य की भाजपा इकाई ने उडुपी में कुछ कॉलेजों में छात्राओं के एक छोटे समूह को विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी ताकि यह फैले, उच्च न्यायालय तक पहुंचे और राष्ट्रीय चर्चाओं में शामिल हो। पार्टी नेतृत्व के एक हिस्से में बेचैनी उन तस्वीरों के आने के बाद और गहरी हो गई है जिसमें पुरुषों के विरोध के बावजूद क्लास जाती छात्राएं, स्कूली छात्राओं और यहां तक कि शिक्षकों को भी अपने सिर के स्कार्फ को हटाने के लिए मजबूर किया जाना और कुछ को स्कूल गेट से ही घर जाने के लिए कहा जाना शामिल है।
इस विवाद पर एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह ऐसे समय में हो रहा है जब हम बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान चला रहे हैं, जब प्रधानमंत्री ने मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए तीन तलाक जैसे नियमों पर प्रतिबंध लगाए हैं।
दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखने से इनकार कर दिया। लोकसभा में जब विपक्ष ने इस मामला उठाया तो कोलार के सांसद एस मुनिस्वामी को छोड़कर बीजेपी के ज्यादा सांसद चुप रहे। यहां तक कि तेजस्वी सूर्या जो भड़काऊ भाषण देने में माहिर हैं, वे भी चुप रहे। त्रिपुरा के शिक्षा मंत्री ने इस विवाद पर चिंता व्यक्त की और वहीं एनडीए शासित बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में हिजाब कोई मुद्दा नहीं है और यहां सभी धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाता है। भाजपा शासित हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि अभी तक स्कूलों में यूनिफार्म ड्रेस कोड पर कुछ भी विचार नहीं किया जा रहा है। एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी इस मुद्दे को लेकर चिंतित है कि कहीं यह सीएए विरोधी प्रदर्शनों जैसे आंदोलन में न बदल जाए, जिसमें मुस्लिम महिलाएं ही सबसे आगे थीं। भाजपा नेता ने कहा कि सीएए पर अपने उत्साह और प्रचार के बावजूद सरकार ने अभी तक दिसंबर 2019 में पारित इस कानून के लिए नियम नहीं बनाए हैं।
सूत्रों का कहना है कि सीएए के उलट हिजाब सीधे धार्मिक भावना और परिवार से जुड़ा हुआ माना जाता है। एक नेता ने कहा कि जब पहले से कहीं ज्यादा मुस्लिम लड़कियां स्कूल और कॉलेजों में जा रही हैं तो इस तरह का एक कोड उस पर असर डाल सकता है।
वहीं केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कर्नाटक मुद्दे को कैसे हल किया जाए इसको लेकर भी चर्चा की गई। ऐसे सुझाव दिए गए हैं कि राज्य यह रुख अपनाए कि लड़कियां अपने सिर को ढकने के लिए दुपट्टे का उपयोग कर सकती हैं। जो ड्रेस का हिस्सा है। ऐसा लगता है कि शीर्ष नेतृत्व इस मसले पर ज्यादा कठोर होने के बजाय बीच का रास्ता खोजना चाहता है। पार्टी के एक नेता ने भी यह कहा कि राष्ट्रीय नेतृत्व को यह पसंद नहीं है जब कोई राज्य विवाद पैदा करे, उसे भड़कने दे और फिर उसे हल करने के लिए राष्ट्रीय नेतृत्व के पाले में फेंक दे।
सूत्रों के अनुसार दिल्ली में पार्टी नेताओं का मानना था कि कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद काफी छोटा था, जिसे आसानी से सुलझाया जा सकता था। हालांकि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के करीबी लोगों का कहना है कि उन्हें दोष देना अनुचित है और इसकी जिम्मेदारी पार्टी की राज्य इकाई की है। एक नेता ने सवाल उठाते हुए कहा कि उन्होंने इस मामले को शांत करने के लिए क्या किया? वे सरकार का बचाव करने के लिए भी मौजूद नहीं थे। पार्टी नेताओं के अनुसार बोम्मई का पार्टी कैडर पर ज्यादा नियंत्रण नहीं है।
वहीं मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और अपने बयानों की वजह से जाने जाने वाले गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार द्वारा की गई यूनिफार्म ड्रेस कोड वाली टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया। माना जा रहा है कि शिवराज चौहान ने कैबिनेट की बैठक में मंत्रियों को फटकार भी लगाई और कहा कि सरकार से सलाह लिए बिना कोई टिप्पणी न करें। हालांकि बाद में परमार ने भी कहा कि यूनिफार्म ड्रेस कोड को लेकर अभी कोई योजना नहीं है।
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा मिश्रा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र दतिया के एक कॉलेज में दो हिजाब पहनने वाली महिलाओं को दक्षिणपंथी समूहों द्वारा परेशान किए जाने पर अपनी नाराजगी स्पष्ट की। मिश्रा ने इस मामले में जिला कलेक्टर को यह जांच करने का आदेश दिया कि कॉलेज ने धार्मिक पोशाक के खिलाफ आदेश क्यों जारी किया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि शीर्ष नेतृत्व ने हिजाब मुद्दे को नहीं बढ़ाने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि यह कभी भी भाजपा का मुद्दा नहीं था और पार्टी कभी भी इस मुद्दे को नहीं बढ़ाना चाहती थी।