आखिर क्या था निठारी हत्याकांड मामला ?
निठारी कांड में दोषी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर की मौत की सजा को हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है, जिसने हाल ही में अपना फैसला सुनाया है. निठारी मामला भारत के नोएडा के पास एक गाँव निठारी में हुई सिलसिलेवार हत्याओं और यौन शोषण का एक भयानक उदाहरण है।
यह मामला दिसम्बर 2006 में नॉएडा सेक्टर 31 के निठारी गाँव से सामने आई है, जहां आज भि बच्चे से लेकर बूढ़े तक इस मर्डर केस के बारेमे याद करते है तो दिल देहेल जाती है, बताया जाता है निठारी गाव के Businessman Moninder Singh Pandher के कोठी नंबर D-5 में 17 बच्चो को अगवाह कर उनके साथ दुष्कर्म करने के बाद उनको कई टुकड़ो में काट के आस-पास के नाले और एक कुएं में उनके शव को फेकने का दावा किया गया है.
बताया जाता है की इस कोठी के लोग पहले मासूम बच्चो को बहला-फुसला कर अपने पास बुलाते थे इसके बाद उन बच्चो के साथ हैवानियत पार कर उनकी बेरहमी से हत्या कर देते थे, क्या-क्या नहीं किया इस कोठी के मालिक और उसके नौकर सुरेंदर कोहली ने मासूम बच्चो को अपनी कोठी में ले जाने के बाद पहले तो उनके साथ दुष्कर्म करते थे और फिर उनकी गले घोट कर हत्या कर देते थे, और इतना करने के बाद भी जब मन नहीं भरता था तो वो लोग बच्चो के शव को टुकड़ो में काट कर कुछ को पका कर खा जाते थे और वहीँ कुछ को कोठी के आगे बहने वाले नाले में फेक देते थे, हम आपको बता दे यह सिलसिला करीब डेढ़ साल तक चला लेकिन किसीको भी भनक नही हुई की यह मामला कोठी से हो रही है.
लोगों में शक तब हुआ..
वहा के लोगो को शक तब हुआ जब कोठी के आगे एक कुएं के पास से बच्चे गायब होने लगे थे मगर गांव वाले ये मानने लगे कि कुएं मे भुत-पिशाचों का डेरा है और वही बच्चो को मार रहा है.
लेकिन, दिसम्बर 2006 में एक लापता लड़की के जांच के दौरान पता चला की इसकी हत्या Moninder Singh Pandher के नौकर कोहली ने की है और पुलिस ने इस मामले को गहराई से जांच शुरू कर दी और उसके बाद एक के बाद एक मामले खुलते चले गए उस दौरान कोठी के आगे बहने वाले नाले को जांच करने पर कई बच्चो के कंकाल बरामद हुए.
कोहली को एक रिम्पा हल्दर नाम की युवती के ऊपर हत्या के जुर्म 2005 में अदालत ने मृत्युदंड सुनाया था जिसकी पुष्टि अलाहाबाद हाईकोर्ट ने कर दी थि और 15 फ़रवरी, 2011 को इस फैसले पर अपनी मोहर भि लगा दी.
कहानी यहाँ से होती है शुरू
साल 2006, नोएडा का निठारी गाँव, कोठी नंबर D-5 जहा से जब नर कंकाल मिलने शुरू हुए तो पुरे देश में सनसनी फ़ैल गयी सीबीआई को जांच के दौरान मानव हड्डियों के हिस्से और 40 ऐसे पैकेट्स मिले थे जिसमे मानव अंगो को भर कर नालो में फेका गया था उसके बाद पुलिस ने Moninder Singh Pandher और सुरेंदर कोहली को अगवा कर लिया, इस मामले का खुलासा तब हुआ जब,
7 MAY 2006 को पायल नाम की लड़की लापता हुई
पायल जब Moninder Singh Pandher के कोठी में रिक्शे से आई तो उसने रिक्शे वाले को रुकने को बोला और कहा वो कोठी के अन्दर से पैसे ले कर आ रही है, मगर रिक्शे वाले के बहोत देर इंतज़ार करने के बाद भी वह लड़की जब कोठी के बहार नही आई तो रिक्शा वाला खुद कोठी के पास जाकर जब कोठी की गेट खाट-खटाया तो दरवाजे पे सुरेंदर कोल्ही को पाया जिसने रिक्शे वाले को बताया की पायल तो काफी देर पहले हि जा चुकी है.
मगर रिपोर्ट्स के मुताबिक रिक्शे वाले ने बयान में कहा कि वह कब से कोठी के बहार हिं खड़ा था उसने लड़की को बहार आते हुए देखा हिं नहीं और रिक्शे वाले ने यह बात पायल के घरवालों को सूचित कर दिया जिसके बाद पायल के पिता नन्दलाल ने पास के ठाणे में FIR दर्ज करवाया की उसकी बेटी कोठी से गायब हो गयी, जिसके बाद पुलिस जांच में जुट गयी.
इससे पहले निठारी गाँव से दर्जनों बच्चे गायब हो चुके थे पुलिस को जाँच के दौरान पता चला कि पायल के पास एक फ़ोन था जो की घटना के बाद बंद आ रहा था इसके बाद पुलिस ने जब फ़ोन की डिटेलिंग निकाली तो मुंबई से ले कर तमाम जगहों के नंबर मिले जिसके बाद हिं पुलिस ने पंधेर के कोठी में छापा मारा और इसके बाद निठारी का काला सच सामने आया. कोहली को सिसिलेवर हत्यारा करार देने के लिए अदालत ने कहा था की उसके प्रति कोई भी दया नहीं दिखाई देनी जानी चाहिए.
कोहली के खिलाफ कुल 16 मामले दर्ज किये गए उसके नियुक्ता मोहिंदर सिंह पन्हेल को भि पिम्पा हल्दर मामले में मृत्युदंड सुनाया गया था लेकिन अलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसे बरी कर दिया, कोहली के खिलाफ दर्ज 16 मामलो में से 5 में उसे मृत्युदंड सुनाया गया और बाकि अभी विचारधीन बताया जा रहा है, इसमें 13 फरवरी, 2009 को CBI विशेष न्यायधीश प्रमा जैन ने सुरेन्द्र कोहली और मोनिंदर पन्हेल को फासी की सजा सुनाई थि.
कालांतर ने अलाहाबाद हाईकोर्ट में पंधेर को बरी कर दिया जबकि सुरेंदर की सज़ा बरक़रार राखी गयी, सुप्रीम कोर्ट ने भि सुरेन्द्र की सज़ा को बरक़रार रखते हुए अपिल को खारिज़ कर दिया.
इसके बाद कई ऐसेही मामलो में हाईकोर्ट तक तो घशिटा गया मगर कभी ये आरोपी फांसी के फंदों में नहीं चढ़ा, वहीँ 16 Oct को भी अलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुरेंदर को बरी कर दी और साथ ही जितने भी आरोप लगे थे सभी खारिज़ कर दी गयी. और सवाल यहाँ यह उठ रही है की आखिर कब तक इनलोगों को बरी और इनके मामलो को ख़ारिज कीया जायेगा और जो 16 बच्चों की लापता हुई उनकी जवाबदेहि कोवन करेगा कोवन सुनेगा उनकी माता पिता के आसुओं की आवाज़ को और कब उठेगा ये