व्यासजी तहखाने में पूजा को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा है कि तहखाने में पूजा जारी रहेगी। बता दें कि पिछले दिनों वाराणसी जिला जज ने व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा करने की इजाजत दी थी। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट गया था। वहीं हाईकोर्ट से याचिका खारिज करने के बाद अब मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि वाराणसी जिला जज ने जो पिछले दिनों पूजा करने का आदेश दिया था, वह जारी रहेगा। बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति द्वारा दायर अपील पर सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। वहीं इस मामले में ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “आज इलाहबाद हाई कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दी है, इसका मतलब है कि जो पूजा चल रही थी वह वैसे ही चलती रहेगी। अगर वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे तो हम भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखेंगे।”
साल 1993 में लगी थी पूजा पर रोक
दिसंबर 1993 के बाद ज्ञानवापी के प्रांगण में बेरिकेट वाले क्षेत्र में प्रवेश करने पर रोक लगा दी गई थी जिसके बाद से व्यास जी के तहखाने में पूजा नहीं हो रही थी। राग-भोग संस्कार भी रुक गए थे। हिंदू पक्ष ने कोर्ट में इस बात का भी दावा किया कि ब्रिटिश शासन काल में भी यहां पूजा होती थी। हिंदू धर्म की पूजा से संबंधित सामग्री और बहुत सी प्राचीन मूर्तियां और धार्मिक महत्व की अन्य सामग्री उक्त तहखाने में मौजूद है।
व्यासजी का तहखाना क्या है?
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में चार तहखाने हैं जिनमें से एक अभी भी व्यास परिवार के कब्जे में है जो यहां रहते थे। जिसे व्यास जी का तहखाना कहा जाता है। व्यासजी का तहखाना ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में दक्षिणी तरफ स्थिति है। याचिका के अनुसार, पुजारी सोमनाथ व्यास 1993 तक वहां पूजा-अर्चना करते थे। याचिका में आरोप लगाया गया है कि तत्कालीन सरकार के निर्देश पर अधिकारियों ने तहखाने को बंद कर दिया था। जिसके बाद से वहां पर उनको पूजा करने से वंचित कर दिया गया।
यह था पूरा मामला
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में व्यास परिवार को पूजा करने की अनुमति जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने 31 जनवरी को दी थी। इससे पहले 17 जनवरी को जिला जज ने जिला मजिस्ट्रेट को रिसीवर नियुक्त करने का भी आदेश दिया था। जिला जज के इस आदेश पर तत्काल रोक लगाने की मांग को लेकर अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी पहले सुप्रीम कोर्ट गई लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पहले हाईकोर्ट में अपील करने को कहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर पहले सुनवाई 2 फरवरी को हुई थी।