उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को भारी पड़ सकता है योगी और मोदी का आंतरिक द्वंद्व!

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मोदी
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सी.एस. राजपूत 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के बीच जो आंतरिक द्वंद्व चल रहा है, उसका खामियाजा बीजेपी को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सटका है। पीएम और सीएम के बीच सब कुछ ठीक है। यह बात पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन पर भी दिखाई दी। जहां मोदी और योगी एक साथ बैठे होने के बावजूद एक दूसरे से दूरियां बनाते दिखे वहीं मोदी की गाड़ी के पीछे योगी के चलने की एक तस्वीर भी खूब वायरल हो रही है। एक प्रधानमंत्री अपने गाड़ी पर बैठा जा रहा हो और देश के सबसे बड़े सूबे का मुख्यमंत्री उनकी गाड़ी के पीछे चल रहे हों तो उंगली तो उठेगी ही।

दरअसल मोदी और योगी का विवाद 2017 के विधानसभा चुनाव से ही चला आ रहा है। जब बीजेपी ने चुनाव जीता तो मोदी और अमित शाह के गाजीपुर के तत्कालीन सांसद मनोज सिन्हा को मुख्यमंत्री बनाने के प्रस्ताव की ख़बरें मार्केट में आ चुकी थी। आनन्-फानन में योगी आदित्यनाथ को मुख़्यमंत्री बनाया गया। इसके पीछे आरएसएस का हाथ बताया गया था। गत दिनों जब मोदी के करीबी आईएएस अधिकारी अरविंद शर्मा बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें उत्तर प्रदेश बीजेपी ने विधान परिषद के ज़रिए सदन में भेजा तो यह योगी आदित्यनाथ का बड़ा नागवार लगा था। इस वजह से राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा उठ खड़ी हुई थी कि राज्य सरकार में ‘बड़े बदलाव’ की तैयारी हो रही है। राजनीतिक पर्यवेक्षकों नेमोदी तो अरविंद शर्मा के मुख़्यमंत्री बनने की खबरें तक लिख दी थी। योगी के सिर पर आरएसएस का हाथ होने की वजह से उत्तर प्रदेश में वैसा ही हो रहा है जैसा की योगी चाहते हैं। तब योगी ने साफ़तौर पर कह दिया है कि अरविंद शर्मा को कोई महत्वपूर्ण विभाग तो छोड़िए, कैबिनेट मंत्री भी बनाना मुश्किल है। राज्य मंत्री से ज़्यादा वो उन्हें कुछ भी देने को तैयार नहीं थे। तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस क़दम को सीधे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अवहेलना और उन्हें चुनौती देने के तौर पर देखा जा रहा था।

पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व योगी आदित्यनाथ को यह अक्सर याद दिलाता रहता है कि वो मुख्यमंत्री किसकी वजह से बने हैं और मौक़ा पाने पर योगी आदित्यनाथ भी यह जताने में कोई कसर नहीं रखते कि नरेंद्र मोदी के बाद बीजेपी में प्रधानमंत्री के विकल्प वह ही हैं। हालाँकि बीजेपी से ही ऐसी खबरें बाहर आती हैं कि योगी आदित्यनाथ को मोदी के विकल्प के तौर पर पेश करने अभियान चलाने के पीछे योगी आदित्यनाथ के क़रीबियों का भी हाथ रहता है।  योगी आदित्यनाथ की कार्यशैली को लेकर संघ में भी और बीजेपी में भी मंथन चल रहा है। योगी आदित्यनाथ की ओर से भी अपनी ताक़त का एहसास कराया जाता रहता है। योगी और मोदी समय समय पर अपनी-अपनी मौजूदगी का एहसास कराते रहते हैं। अब जब पूर्वांचल एक्सप्रेस के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का आंतिरक विवाद दिखा। दोनों एक साथ बैठे थे पर बात नहीं कर रहे थे। जैसे योगी मोदी की गाड़ी के पीछे चल रहे हैं ऐसे में प्रश्न उठता है कि प्रधानमंत्री का मुख्यमंत्री को इस तरह से  गाड़ी के पीछे चलाना अपने रुतबे का एहसास कराना है। लखीमपुर कांड में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा पर कोई कार्रवाई न होना और सांसद कमलेश पासवान के करीबी नेता के दीपक गुप्ता नामक युवक की गाली गलौच करते हुए पिटाई करना भी योगी को कमजोर करने के रूप में देखा जा रहा है।

वैसे भी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ को चेहरा बनाया जा रहा है। ओमकारा फिल्म के गाने धम धम धड़म ढैया रे, सबसे बड़े लड़ैया रे की तर्ज पर द बिगेस्ट लड़ैया योगी गाना बनाया जा रहा है। मतलब योगी को मोदी से भी बड़ा लड़ैया दिखाया जा रहा है। ऐसे में बीजेपी योगी और मोदी दो लॉबी बंटने की पूरी आशंका है।

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