चरण सिंह
तो क्या मिल्कीपुर विधानसभा चुनाव का उप चुनाव जानबूझकर रोका गया था। ऐसा आरोप सपा मुखिया अखिलेश यादव ने लगाया था। ऐसे में यह भी प्रश्न उठता है कि यदि ऐसा नहीं है तो बीजेपी नेता बाबा गोरखनाथ की लंबित याचिका को उप चुनाव के परिणाम आते ही क्यों खारिज किया गया ? यह याचिका उप चुनाव के पहले भी खारिज की जा सकती थी, या फिर एक दो महीने लंबित रखी जा सकती थी। दरअसल लोकसभा चुनाव हार का दंश झेल रहे योगी आदित्यनाथ के लिए यह उप चुनाव जीतना बहुत जरूरी था। क्योंकि कटेहरी और मिल्कीपुर दोनों ही सीटें के प्रभारी खुद योगी आदित्यनाथ बने। इसलिए हर मायने में दोनों ही सीटें जीतना योगी आदित्यनाथ के लिए जरूरी हो गया था। कटेहरी सीट तो योगी आदित्यनाथ ने जीत ली और अब बाबा गोरखनाथ की याचिका खारिज होने के बाद मिल्कीपुर पर उप चुनाव होना है। जहां समाजवादी पार्टी के सामने मिल्कीपुर बचाने की चुनौती है तो योगी आदित्यनाथ के प्रभारी होने के नाते इस सीट को जीतने की।
देखने की बात है कि मिल्कीपुर सीट पर 2017 के विधानसभा चुनाव में बाबा गोरखनाथ ने जीत दर्ज की थी तो 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद जीते थे। अवधेश प्रसाद के सांसद बनने के बाद अब इस सीट पर चुनाव होना है। क्योंकि बाबा गोरखनाथ की याचिका दायर होने के चलते मिल्कीपुर उप चुनाव को रोक दिया गया था। अब जब 9 सीटों पर उप चुनाव हो चुके हैं तो अब बाबा गोरखनाथ की याचिका खारिज होते ही अब मिल्कीपुर पर चुनाव होना का रास्ता साफ हो गया है।
देखने की बात यह है कि 9 सीटों में से 7 सीटें योगी आदित्यनाथ ने जीत ली है और सपा के खाते में दो सीटें गई हैं। सपा ने इस सीट पर अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद को चुनाव में उतारा है। ऐसे में मिल्कीपुर में भिड़ंत सपा और बीजेपी प्रत्याशी के बीच नहीं होगी बल्कि योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव के बीच होगी। क्योंकि योगी आदित्यनाथ के हाथ में सत्ता की पावर है। सरकारी मशीनरी है।