दीपक कुमार तिवारी
पटना। बिहार के समस्तीपुर में है वह मंदिर जहां मंदिर का नाम है ‘कोहबर भवन’ और इसी कोहबर भवन में श्री राम-जानकी विवाह महोत्सव के बाद कोहबर की रस्म कराई जाती है। दरअसल बिहार में इस तरह का संभवत: इकलौता मंदिर है, जहां कोहबर भवन के नाम से वह मंदिर स्थापित है। जिसके अंदर भगवान श्री राम-सीता एवं लक्ष्मण की प्रतिमा है।
दाहिने तरफ श्रीराम भक्त हनुमान की प्रतिमा स्थापित है तो बाएं तरफ भगवान शंकर एवं माता पार्वती की संयुक्त प्रतिमा स्थापित है। यह श्रद्धा एवं आस्था का केंद्र बिंदु बना हुआ है। पिछले 89 सालों से यहां प्रत्येक साल वार्षिक रूप से बृहत एवं श्रद्धामय माहौल में ऐतिहासिक एवं पारंपरिक तौर तरीकों से भगवान श्री राम जानकी की विवाह महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।
इस दौरान कोहबर महोत्सव कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, लिहाज़ा यह मंदिर अपने धार्मिक परिपेक्ष्य को लेकर काफी ऐतिहासिक महत्व रखता है एवं आस्था का केंद्र बिंदु है। यह मंदिर समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड अंतर्गत डरोरी ग्राम में स्थित है। मंदिर कमेटी से जुड़े सक्रिय कार्यकर्ता,ग्रामीण सह मैथिली के प्रसिद्ध कलाकार श्री कृष्ण कुमार,उर्फ (कन्हैया जी) राम भरोस एवं अन्य लोगों ने बताया कि पिछले 89 सालों से यहां इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन प्रति बर्ष किया जाता है। चूंकि मिथिलांचल माता श्री जानकी की जन्मस्थली है और भगवान श्री राम का विवाह माता जानकी से हुआ था। इन कारणों से श्री राम सीता विवाह महोत्सव का मिथिलांचल के क्षेत्र में ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व है। और इन कारणों से इस मंदिर की स्थापना सालों पहले की गई थी।
और तब से यह परंपरा चली आ रही है।स्थानीय लोगों की मान्यता है की हिंदी माह ,,अगहन,, पंचमी श्री सीताराम बिवाह उत्सव के दिन प्रभु श्री राम स्वयं यहाँ वैदेही जी के साथ बिराजमान रहते हैं। लिहाज़ा तभी इस मंदिर का नामकरण कोहबर भवन के रूप में किया गया था।