पटना के गांधी मैदान में हुई जन विश्वास रैली में जिस तरह से भीड़ उमड़ी उसको देखकर तो कहा जा सकता है कि तेजस्वी यादव के प्रति बिहार में सहानुभूति देखी जा रही है। क्या यह भीड़ वोटबैंक में तब्दील होगी ? क्या बिहार की जन विश्वास रैली से इंडिया गठबंधन में एक नया उत्साह देखने को मिलेगा। जिस तरह से तेजस्वी यादव ने कहा है कि जैसे लालू प्रसाद बीजेपी के सामने नहीं झुके हैं ऐसे ही वह भी नहीं झुकेंगे।
क्या पटना में गांधी मैदान में उमड़ी भीड़ क्या वोटबैंक बनेगी ? क्या तेजस्वी यादव बिहार की राजनीति में कुछ अलग हटकर करेंगे ?
वैसे बीजेपी ने बकवास, जदयू ने पाखंड तो हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने कहा है आरजेडी के विधायक इस लिए टूट रहे हैं क्योंकि आरजेडी पर लोगों को विश्वास नहीं है। ऐसे में कहा जा सकता है कि प उत्तर प्रदेश में चुनाव दमदार होगा।
एक बात तो माननी पड़ेगी कि इन चुनाव में युवा ब्रिगेड और महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रही है।
बिहार की राजधानी पटना का गांधी मैदान देश में बदलाव के लिए जाना जाता है। चाहे आजादी की लड़ाई हो। जेपी आंदोलन हो या फिर कोई और आंदोलन। हर बदलाव का गवाह गांधी मैदान बना है। अब जब बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए में चले गए हैं। शनिवार को औरंगाबाद में प्रधानमंत्री मोदी की रैली हुई और नीतीश कुमार को उन्होंने खींचकर माला के अंदर किया और बिहार के लिए मोटा पैकेज दिया। उधर नीतीश कुमार ने भी एन डी ए में ही रहने की बात की।
दरअसल पीएम मोदी इन चुनाव में माहोल बनाने में लगे हैं कि इंडिया गठबंधन को उन्होंने खत्म कर दिया है
ऐसे ही न जाने कितने लोग विभिन्न दलों से टूट रहे है
अक्सर देखा जाता है कि शादी विहाह में नेताओं का बोलबाला रहता था। या तो नेताओं ने शादी विवाह में जाने से कोताही बरतनी शुरू कर दी या फिर ये लोग डरपोक है । ऐसे में प्रश्न यह है कि आखिरकार क्या अकेले कोई कुछ कर सकता है।
सबको मिलकर आगे बढ़ना है।